After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim–
शिर्डी साईं ट्रस्ट ने कहा राम मंदिर दूसरे धर्म का मामला.. हम कुछ नहीं दे सकते।
Verification–
फेसबुक पर यादवराव बिराजदार नामक पेज से श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट को लेकर पोस्ट किया गया है। इस पोस्ट में दावा किया गया है कि ट्रस्ट की ओर से कहा गया है कि राम मंदिर दूसरे धर्म का मामला है इसलिए हम कुछ नहीं दे सकते। बता दें कि कुछ दिन पहले अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है। राम मंदिर बनाने के लिए कमिटी गठित करने का आदेश दिया है। इसके बाद अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिए जगह-जगह से मदद मिलने के पोस्ट सोशल मीडिया में वायरल हो रहे हैं। ऐसे में शिरडी ट्रस्ट द्वारा मदद करने से इनकार करने वाला पोस्ट भी वायरल हो रहा है। इसलिए हमनें इस फेसबुक पोस्ट की पड़ताल शुरू की तो हमें फेसबुक पर ही एक और इसी दावे वाला पोस्ट देखने को मिला।
इसके अलावा यही दावा करने वाले कई पोस्ट देखने को मिले।
सोशल मीडिया में श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट को लेकर वायरल हो रहे दावे की मेन स्ट्रीम मीडिया में कहीं खबरें आई है या नहीं यह जानने की कोशिश की। इसके लिए गूगल खंगाला तो ट्रस्ट से संबंधित कईं खबरे देखने को मिली।
लेकिन इन खबरों में कहीं पर ट्रस्ट के किसी पदाधिकारी या ट्रस्टी दवारा राम मंदिर को लेकर बयान देने की खबर नहीं दिखी। इसके बाद हमनें श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट शिरडी के जनसंपर्क अधिकारी मोहन यादव से संपर्क किया। उन्होंने बताया कि मुंबई हाईकोर्ट के आदेशानुसार औरंगाबाद खंडपीठ के न्यायाधीश इस ट्रस्ट के प्रमुख है। उन्होंने या ट्रस्ट के किसी पदाधिकारी ने राम मंदिर या अन्य किसी मामले को लेकर कोई बयान नहीं दिया है। सोशल मीडिया में ट्रस्ट के नाम पर भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है। झूठी खबरों पर भरोसा न करें।
इससे साफ होता है कि श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट की ओर से राम मंदिर निर्माण को लेकर कोई भी टिप्पणी या बयान नहीं दिया गया है। ट्रस्ट की छवि खराब करने के उद्देश्य से सोशल मीडिया में भ्रामक जानकारी वायरल की जा रही है।
Tools Used
- Google Keywords Search
- Facebook Search
- Direct Contact
Result- False
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.