सोमवार, नवम्बर 25, 2024
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पुणे में हितेश हत्याकांड के पीछे नहीं है मॉब लिंचिंग जैसा कोई मामला, सोशल मीडिया में फैलाई जा रही है अफवाह

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Claim

पुणे के पिंपरी इलाके में माॅब लिंचिंग का मामला। एक हिंदू युवक को जिंदा जलाकर मार डाला। मारने वाले समुदाय विशेष से थे इसलिए मीडिया भी चुप है। 

Verification

सोशल मीडिया मे वायरल हो रही खबरों में दावा किया जा रहा है कि पुणे के पिंपरी में हितेश मूलचंदानी नामक हिंदू युवक को जिंदा जलाकर मार डाला। यह माॅब लिंचिंग का मामला है और इस पर मीडिया में भी कोई खबर नहीं आई, क्योंकि आरोपी विशेष समुदाय से हैं।

इस दावे की पड़ताल शुरु करने पर हमें एक ट्विटर यूजर Hemlata Khatri द्वारा इसी सन्दर्भ में किया गया एक ट्वीट मिला।

यही दावा करने वाले कई ट्वीट्स हमें मिले जिन्हें नीचे देखा जा सकता है। 

वायरल पोस्ट में यह भी दावा किया गया है था कि माॅब लिंचिंग का मामला होने के कारण हितेश के मर्डर की खबरें मीडिया में नहीं आई थी। हमनें हितेश मूलचंदानी के मर्डर को लेकर मीडिया में खबरें आई थी या नहीं इसकी पड़ताल शुरु की। गूगल पर hitesh mulchandani murder case इन कीवर्ड्स की मदद से खोज शुरु की तो कई खबरों के रिजल्ट्स सामने आए। 

पुणे समाचार वेबसाइट पर प्रकाशित खबर में बताया गया है कि हितेश मूलचंदानी मर्डर केस में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। वहीं खबर में आगे लिखा है कि, पुलिस ने अमीन फिरोज खान निवासी मोमिनपुरा, गंजपेठ, पुणे, शाहबाज सिराज कुरेशी निवासी कासारवाडी, पुणे, अरबाज शेख निवासी खड़की, अक्षय संजय भोसले उर्फ लिंगा और योगेश विट्ठल टोनपे उर्फ लंगड़ा दोनों निवासी सांगवी, के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इस मामले में फरार शाहबाज की तलाश जारी है। अमीन खान को पिंपरी पुलिस ने पहले ही हिरासत में ले रखा है।

पुणे समाचार की खबर से पता चला कि आरोपियों में दो हिंदू लोग भी शामिल हैं। वहीं खबर में कहीं पर भी माॅब लिंचिंग का उल्लेख नहीं है। हमनें अपनी पड़ताल को आगे बढ़ाया तो टाइम्स ऑफ इंडिया में विस्तार से ख़बर देखने को मिली। खबर के मुताबिक एडिशनल पुलिस कमिश्नर रामनाथ पोकले द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार पिंपरी कैम्प इलाके में रोहित सुखेजा (उम्र 26) होटल और बियर बार चलाता है। मंगलवार तड़के होटल की सफाई की जा रही थी। उस समय वहां पर पांच लोग कार से आए जिनमें एक 17 वर्षीय लड़का भी शामिल था। उन्होंने काउंटर पर कर्मचारी से बियर मांगी। कर्मचारी बियर की बोतल लेकर वापस आया तो उसे आरोपियों में एक शख्स होटल के कम्पाउंड के पास पेशाब करते नजर आया। उसने पेशाब करने से रोका तो होटल के कर्मचारी और उन लोगों के बीच हाथापाई हुई। उनमें से एक ने कैलाश पाटिल नामक कर्मचारी के सिर में बियर की बोतल मारी जिससे वह घायल हो गया। इसी समय उन्हें रोकने के लिए सुखेजा ने अपने रिश्तेदार लखन सुखेजा को काॅल कर मौके पर बुलाया। उसके साथ हितेश मूलचंदानी भी वहां पर पहुंचा। उन्हें आते देख चारों आरोपी और 17 साल का लड़का कार से भागने लगे। उसी समय सुखेजा और कर्मचारियों ने 17 साल के लड़के को पकड़कर रखा। तो चारों आरोपियों ने हितेश मूलचंदानी को पकड़ा और कार से भगाकर ले गए। सुखेजा ने हितेश के मोबाइल पर काॅल कर आरोपियों से कहा कि वे हितेश को छोड़ देंगे तो हम भी लड़के को छोड़ देंगे। इस पर आरोपियों ने कहा कि हितेश ने उनके साथ मारपीट की है इसलिए हम उसे छोड़ने वाले नहीं है। इसके बाद सुबह दस बजे हितेश मूलचंदानी पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम की बिल्डिंग के पिछे बेहोश हालत में मिला। पुलिस के मुताबिक धारदार हथियार से और स्क्रू ड्राइवर से वार किया गया था। छाती पर गहरे वार किए गए थे। हितेश को हाॅस्पिटल ले जाने पर डाॅक्टरों ने उसे मृत घोषित किया।

इससे साफ होता है कि हितेश की हत्या जिंदा जलाकर नहीं बल्कि धारदार हथियार सेे की गई है। यह हत्या मामूली विवाद में हुई थी। आरोपी सिर्फ समुदाय विशेष से नहीं थे उनमें अन्य धर्म के दो लोग भी शामिल थे। सोशल मीडिया में हितेश मूलचंदानी मर्डर केस को लेकर किया जा रहा दावा भ्रामक है। 

 

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Result- Misleading 

Authors

After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

Yash Kshirsagar
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.

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