Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim–
सूरत हाइवे पर नाज़ायज़ वसूली करने वाले पुलिसकर्मियों की पिटाई का वीडियो ज़रुर देखें और आगे शेयर करें। ये पुलिस वाला इतनी हद करता था कि पूरे कागज़ात होते हुए भी पैसा लेता था। अब ये हाल देखिए इसका।
Verification-
केंद्र सरकार द्वारा 1सितंबर 2019 से नए मोटर वाहन एक्ट लागू किए जाने के बाद से पुलिस, यातायात नियमों के अनुपालन हेतु सक्रिय हो गयी। हज़ारों वाहनों के चालान कटने की खबर मीडिया में अलग-अलग दावे के साथ शेयर होने लगी। इसी बीच newschecker.in टीम को फेसबुक पर एक वायरल वीडियो प्राप्त हुआ। वीडियो में दो पुलिस वाले मासूम बच्चे के सामने एक युवक को जूतों से पीट रहे हैं। वीडियो शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि यह वीडियो सूरत का है। युवक की गाड़ी के कागज़ात पूरे होने पर भी पुलिसवालों ने पैसे वसूलने के चक्कर में उसकी पिटाई कर दी।
वीडियो को बारीकी से देखने पर हमारा ध्यान पुलिस वाले की वर्दी पर मौजूद लोगो पर गया।
लोगो देखने के बाद हमने गुजरात पुलिस के लोगो को गूगल पर खंगाला। खोज के दौरान आये परिणामों से पता चला कि वीडियो में पुलिसवालों की वर्दी पर मौजूद चिन्ह गुजरात पुलिस की वर्दी से मैच नहीं करता।
LOGO COMPARISON
घटना का स्थान जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से दावे को गूगल पर खोजा। इस दौरान न्यूज़ स्टेट नामक वेबसाइट में 13 सितंबर 2019 को प्रकाशित एक लेख में वायरल हुई तस्वीरें प्राप्त हो गईं। इससे पता चला कि क्लिप सूरत की नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश की है।
मामले की पड़ताल के लिए हमने खबर को गूगल पर बारीकी से खोजा। जहां दैनिक भास्कर में प्रकाशित एक लेख से खबर की पूरी जानकारी प्राप्त हुई । लेख के मुताबिक घटना उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर की है जहां वाहन चेकिंग दौरान एक युवक के हेलमेट व गाड़ी के कागज़ात साथ न रखने पर इलाके के दरोगा व सिपाही ने बीच सड़क पर युवक को बेरहमी से पीटा।
इस दौरान घटना का वीडियो सोशल मीडिया में वायरल होने पर एसपी ने आरोपी दरोगा और सिपाही को निलंबित कर दिया।
हमारी पड़ताल में वीडियो के सूरत का होने वाला दावा भ्रामक साबित हुआ।
Tools Used
- Google Search
Result- Misleading
Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.