Claim-
सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले को लेकर फैसला सुनाया साथ ही तीन महीने के भीतर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया है।
Verification–
ट्विटर पर एक पोस्ट शेयर किया गया है। पोस्ट में दावा किया गया है कि दो दिन पहले अयोध्या मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया लेकिन इसके साथ कोर्ट ने आदेश दिया है कि तीन महीनों के अंदर राम मंदिर का निर्माण किया जाए। पोस्ट में कहा गया है कि बीजेपी और आरएसस से भी राम मंदिर बनाने की जल्दी सु्प्रीम कोर्ट को है। साथ ही मस्जिद को वैकल्पिक जमीन देने को लेकर भी कहा है कि यह इंसाफ नहीं बल्कि आरएसएस का फैसला है।
हमनें वायरल हो रहे इस ट्वीट को लेकर पड़ताल शुरु की। सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर तीन महीनों के भीतर बनवाने का आदेश दिया था या नहीं इसको लेकर जानने की कोशिश की। इसके लिए हमनें गूगल खंगाला।
कुछ कीवर्ड्स के आधार पर खोज करने पर हमें अयोध्या मामले की फैसले की कई खबरें देखने को मिली।
इस खोज के दौरान हमें
आज तक की खबर मिली जिसनें लिखा गया है कि
अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने इस फैसले में विवादित जमीन पर रामलला का हक माना है यानी विवादित जमीन राम मंदिर के लिए दे दी गई है। जबकि मुस्लिम पक्ष को अलग स्थान पर जगह देने के लिए कहा गया है. यानी कोर्ट ने अयोध्या में ही मस्जिद बनाने के लिए अलग जगह जमीन देने का आदेश दिया है। राम मंदिर निर्माण के लिए कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के अंदर ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने यह फैसला सर्वसम्मति से दिया है।
इस खबर से पता चला कि कोर्ट ने तीन महीने के भीतर मंदिर नहीं बल्कि ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया है। इसके अलावा हमें
दैनिक भास्कर की खबर मिली जिसमें भी यही लिखा गया है कि
शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिए 3 महीने में ट्रस्ट बने और इसकी योजना तैयार की जाए। चीफ जस्टिस ने मस्जिद बनाने के लिए मुस्लिम पक्ष को 5 एकड़ वैकल्पिक जमीन दिए जाने का फैसला सुनाया, जो कि विवादित जमीन की करीब दोगुना है। चीफ जस्टिस ने कहा कि ढहाया गया ढांचा ही भगवान राम का जन्मस्थान है और हिंदुओं की यह आस्था निर्विवादित है।
इन दो वेबसाइट्स के अलावा अन्य सभी समाचार पत्रों की खबरों में सु्प्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को तीन महीने के भीतर मंदिर निर्माण को लेकर ट्रस्ट बनाने का आदेश देने की जानकारी दी गई है। इससे साफ होता है कि मंदिर बनाने के लिए नहीं बल्कि ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया गया है। सोशल मीडिया में गलत तरीके से कोर्ट के फैसले को लेकर भ्रामक जानकारी वायरल की जा रही है।
Tools Used
- Google Keywords Search
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Result- Misleading