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सोशल मीडिया पर वायरल हुआ ‘महिला स्थायी आयोग’ को लेकर भ्रामक दावा, पढ़ें क्या है वायरल दावे का सच
Claim-
बेशर्मी की सीमा लांघ दी । भारत सरकार ने सेना में महिलाओं के स्थायी आयोग के गठन करने में विरोध किया (मनोवैज्ञानिक और सामाजिक मानदंडों पर)। सुप्रीम कोर्ट में इस केस में लेखी की पार्टी को हार मिली है और अब ऐसा व्यवहार कर रही है जैसे उन्होंने यह केस जीत लिया हो।
Hahaha besharmi ki limit. The Govt of India OPPOSED permanent commission of women in Army (on physiological and social norms). Lekhi ji’s party just LOST that case in Supreme Court. And now behaving like she has won it. https://t.co/Ouxiqy3K3J
— Aisi Taisi Democracy (@AisiTaisiDemo) February 17, 2020
Verification-
महिला स्थायी आयोग पर सोमवार को उच्चतम न्यायलय का फैसला आने के बाद से ट्विटर पर एक पोस्ट खूब शेयर हो रहा है। पोस्ट में मिनाक्षी लेखी की तस्वीर के साथ दावा किया जा रहा है कि मोदी सरकार ने हमेशा स्थायी महिला आयोग का विरोध ही किया और जब सोमवार को कोर्ट ने स्थायी आयोग के पक्ष में फैसला सुनाया तो लेखी ऐसे खुश हो रही है जैसे उन्होंने यह केस जीत लिया हो।
वायरल दावे का सच जानने के लिए हमने अपनी खोज आरम्भ की। जहां सबसे पहले वर्ष 2008 में news18 की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख के मुताबिक वर्ष 2008 को केंद्र सरकार ने सेना में महिलाओं के स्थायी आयोग का गठन करने पर विचार किया था।

इसके उपरान्त सितंबर साल 2012 को India today की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। लेख के अनुसार भारतीय सेना ने महिलाओं के स्थायी आयोग के गठन पर आपत्ति जताते हुए तर्क दिया था कि सेना का जूनियर स्टाफ ग्रामीण इलाके से है जिसके कारण वह एक महिला द्वारा दिए गए आदेश को स्वीकार नहीं कर पायेगा।

इसके उपरान्त साल 2018 में Hindustan times की वेबसाइट पर प्रकशित एक लेख के अनुसार लघु सेवा आयोग में महिलाओं के स्थायी आयोग के गठन पर केंद्र सरकार ने एक बार फिर चर्चा की थी।

जिस पर उच्चतम न्यायलय ने केंद्र से यह पूछा था कि अभी तक आयोग का गठन क्यों नहीं हुआ। इस पर अतिरिक्त महाधिवक्ता मनिंदर सिंह ने न्यायमूर्ति एनवी रमना की अगुवाई वाली एक पीठ को बताया कि केंद्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले हफ्ते तीन प्रमुखों (सेना, वायु सेना और नौसेना) के साथ बैठक की थी जहां यह निर्धारित किया गया कि किन-किन क्षेत्रों (पीसी) में यह दिया जा सकता है।
इसके बाद हमें newsyahoo नामक वेबसाइट पर एक लेख प्राप्त हुआ जहां यह बताया गया कि 19 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सेना में 3 महीने के अंदर स्थायी महिला आयोग का गठन करने का आदेश दिया है। लेख में आगे यह भी जिक्र है कि भाजपा की सांसद और अधिवक्ता मीनाक्षी लेखी ने सेना की महिला अधिकारियों को हक़ दिलाने के लिए इस मामले को निःशुल्क कोर्ट में उनका पक्ष रखा।
इन सभी लेखों को पढ़ने के बाद newschecker.in की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
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