Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
Claim–
गंगू महादलित जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़कर 200 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया। आज के ही दिन 18-9-1857 को कानपुर में चौराहे पर फाँसी दी गई थी इस वीर क्रांतिकारी योद्धा को नमन वीर शिरोमणि गंगू मेहतर जी को। लेकिन दुर्भाग्य कहीं भी इनका नाम नहीं।
गंगू महादलित जिन्होने
आज़ादी की लड़ाई लड़ी 200अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया
आज के ही दिन 18,9 1857 को कानपुर में चौराहे पर फाँसी दी गई थी
इस वीर क्रांतिकारी योद्धा को शत् शत् नमन
वीर शिरोमणि गंगू मेहतर जी को
लेकिन दुर्भाग्य कही भी इनका नाम नहीगांधी को चमकाने मे भुला दिया pic.twitter.com/A5mlTbLYfr
— जागीरदार साहब (@dsr_punadiya) September 18, 2019
Verification-
ट्विटर पर इन दिनों एक पोस्ट को हज़ारों बार रिट्वीट और लाइक किया गया है। पोस्ट में एक व्यक्ति की तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है, कि व्यक्ति का नाम शिरोमणि मेहतर है जिन्होंने साल 1857 की क्रांति में 200 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था। लेकिन दुर्भाग्यवश इनका नाम इतिहास के पन्नों से हटा दिया गया। ट्विटर पर इस दावे को कई अन्य यूजर्स ने भी शेयर किया है।
श्री गंगू वाल्मीकि, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी ओर 200 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था और 18-9-1857 को कानपुर में चौराहे पर उन्हें फाँसी दे दी गई थी।
ऐसे वीर क्रांतिकारी योद्धा वीर शिरोमणि गंगू मेहतर जी को शत शत नमन । pic.twitter.com/ujVHAmGeUk— RajKumar Saini (@rajkumarsaini28) September 19, 2018
श्री गंगू वाल्मीकि, जिन्होंने आज़ादी की लड़ाई लड़ी ओर 200 अंग्रेजों को मौत के घाट उतार दिया था और 18-9-1857 को कानपुर में चौराहे पर उन्हें फाँसी दे दी गई थी।
ऐसे वीर क्रांतिकारी योद्धा वीर शिरोमणि गंगू मेहतर जी को शत शत नमन । pic.twitter.com/MZY1R8kim3— Loktanter Suraksha Party (@lspharyana) September 19, 2018
हमने दावे की सत्यता जानने के लिए गूगल पर ‘शिरोमणि गंगू मेहतर’ के नाम से खोजा। लेकिन किसी प्रामाणिक वेबसाइट पर ‘शिरोमणि मेहतर का नाम प्रकाशित हुआ प्राप्त नहीं हुआ।
पड़ताल को आगे बढ़ाते हुए वायरल तस्वीर को गूगल पर खोजा। इस दौरान हमें यूट्यूब हिस्ट्री & मिस्ट्री नामक चैनल पर एक वीडियो प्राप्त हुआ जहां वायरल तस्वीर को दर्शाया गया था। वीडियो को देखने के बाद पता चला कि वायरल व्यक्ति का नाम ‘मातादीन भंगी’ है। वीडियो के मुताबिक़ ‘मातादीन भंगी’ को अंग्रेजों ने 1857 की क्रान्ति के वक्त अन्य क्रांतिकारियों के साथ फाँसी पर लटका दिया था।
वीडियो को बारीकी से खोजने के बाद हमें यूट्यूब के ‘नेशनल दस्तक’ नामक चैनल पर उपरोक्त वीडियो से सम्बंधित खबर प्राप्त हुई। खबर के मुताबिक ‘मातादीन शिरोमणि’ वह व्यक्ति थे जिन्होंने साल 1857 में क्रान्ति के जनक मंगल पांडेय को चर्बी लगे कारतूस के बारे में सूचित किया था।
उस समय कारतूस के ढक्कन का निर्माण गाय और सूअर के मांस से किया जाता था। मातादीन मेहतर को इस बात की सूचना इसलिए भी थी क्योंकि वह खुद कारतूस बनाने वाले कारखाने में काम करते थे। चर्बी वाले कारतूस का पता लगते ही मंगल पांडेय ने साल 1857 में अंग्रेज अधिकारी को गोली मारकर भारत में स्वतंत्रता संग्राम की आग जला दी थी।
यूट्यूब में प्राप्त वीडियो के मुताबिक़ क्रांति को भड़काने के आरोप में अंग्रेजों ने मातादीन मेहतर को मुख्य आरोपी बनाया था जिन्हें बाद में फाँसी दे दी गयी थी। लेकिन 200 अंग्रेजों को मौत के घाट उतारने वाली बात का कोई जिक्र नहीं है।
खोज के दौरान हमें मातादीन मेहतर के नाम पर दैनिक जागरण का एक लेख भी प्राप्त हुआ। जहां 1 दिसंबर को उनकी जयंती समारोह के आयोजन का उल्लेख किया गया था। लेख से मातादीन मेहतर के 19 सितंबर को जन्मदिन होने वाली बात की भी पुष्टि हो जाती है।
newschecker की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ।
Tools Used
- Google Search
- Youtube Search
Result– Misleading
Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.