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Claim:
कांग्रेस का समर्थन करने वाले एक फेसबुक पेज ने दावा किया है कि अमित शाह ने कहा कि सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष का नाम दिया था। सावरकर का जन्म 28 मई 1883 को हुआ था… वो 1857 की क्रांति में योगदान कैसे दे सकते हैं? कुछ भी? अमित शाह को इतिहास का कोई ज्ञान नहीं है वह केवल झूठ बोलते हैं… चिकारा फिर से इतिहास लिख रहे हैं।
Investigation:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिए गए एक बयान के बाद उनके इतिहास के ज्ञान को लेकर सोशल मीडिया में तरह-तरह की बातें हो रही हैं। इसी बीच हमें फेसबुक पर Feku Express नाम से संचालित एक पेज द्वारा शेयर किया एक पोस्ट मिला। पोस्ट मे दावा किया जा रहा है कि अमित शाह को इतिहास का ज्ञान नहीं है तथा उन्होंने 1857 की क्रांति को स्वतंत्रता संग्राम की संज्ञा देने का जो श्रेय सावरकर को दिया है वह गलत है, क्योंकि सावरकर का जन्म ही 28 मई 1883 को हुआ था तो वह 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में अपना योगदान कैसे दे सकते हैं?
इस पोस्ट को फेसबुक पर 1700 बार शेयर और लाईक किया गया है। करीब 340 लोगों ने इस पर टिप्पणी भी की है।
मामला चूंकि अमित शाह से जुड़ा था और लोगों द्वारा काफी तेजी से शेयर भी किया जा रहा था इसलिए हमने अपनी पड़ताल के प्रथम चरण में सबसे पहले यह जानने का प्रयास किया कि उपरोक्त दावे का आशय और संदर्भ क्या है? इसके लिए हमने ‘amit shah says savarkar made 1857 revolt historic’ कीवर्ड के साथ गूगल किया। जिसके परिणामस्वरूप हमें विभिन्न न्यूज़ सस्थानों द्वारा प्रकाशित कई ख़बरें मिलीं।

NDTV द्वारा यूट्यूब पर अपलोड किए एक वीडियो में हमें अमित शाह द्वारा दिए गए इस बयान का आशय पता चला। अमित शाह ने एक समारोह में बोलते हुए राष्ट्र के निर्माण में सावरकर के योगदानों को गिनाया था।
अब हमें अमित शाह का यह बयान तो मिल चुका था लेकिन बयान की पूरी सच्चाई हमें अभी पता नहीं चल पाई थी। इस संदर्भ में अधिक जानकारी के लिए हमने ‘अमित शाह ने कहा सावरकर ना होते तो 1857 की क्रांति ऐतिहासिक नहीं बन पाती’ कीवर्ड की सहायता से गूगल सर्च किया। इससे हमें अनेक उपयोगी परिणाम प्राप्त हुए।

परिणामों में हमें India TV का एक लेख मिला जिसमें यह बताया गया है कि अमित शाह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) में गुरूवार को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘गुप्तवंशक-वीर: स्कंदगुप्त विक्रमादित्य’ के समारोह में बोल रहे थे। यहां बोलते हुए उन्होंने कहा “वीर सावरकर ने ही 1857 की क्रांति को पहले स्वतंत्रता संग्राम का नाम देने का काम किया वरना आज भी हमारे बच्चे उसे विद्रोह के नाम से जानते।’’
अब हमने यह जानने का प्रयास किया कि शाह द्वारा सावरकर पर दिए गए बयान का क्या वही अर्थ है जैसा उक्त फेसबुक पेज में वर्णित है। यह जानने के लिए हमने अमित शाह के यूट्यूब चैनल का रुख किया। वहां हमें अमित शाह का पूरा बयान मिला। उनका पूरा बयान सुनने के बाद हमें पता चला कि वो भारतीय इतिहास के बारे में बता रहे थे और इसी इतिहास में कई घटनाओं का वर्णन ना होने के उदाहरण गिनाते हुए उन्होंने यह कहा कि अगर वीर सावरकर ना होते तो हम 1857 की क्रांति को विद्रोह के नाम से जानते ना कि स्वतंत्रता संग्राम के नाम से।
अब यहां सोचने वाली बात ये है कि जब सावरकर का जन्म इस क्रांति के बाद यानि 28 मई 1883 को हुआ था तो उन्होंने इस क्रांति में अपना योगदान कैसे दिया? दरअसल सावरकर ने 1857 की क्रांति के ऊपर एक पुस्तक लिखी है जिसका नाम ‘द हिस्ट्री ऑफ द वॉर ऑफ इंडियन इंडिपेंडेंस’ है। सावरकर ने यह पुस्तक सन 1909 में प्रकाशित करवाया था। 1857 की क्रांति का वर्णन करती यह पुस्तक अपने आप में पहली वो किताब थी जिसमें 1857 की क्रांति का महिमामंडन किया गया था। इसी वजह से अमित शाह ने सावरकर को 1857 की क्रांति के प्रचार एवं प्रसार का श्रेय दिया है। इस पुस्तक के बारे में अधिक जानकारी Livemint में प्रकाशित इस ऑप-एड के माध्यम से प्राप्त की जा सकती है। जवाहर लाल नेहरू ने भी सावरकर के इस पुस्तक की तारीफ़ की थी।

हमारी पड़ताल में यह साबित हो गया कि अमित शाह ने सावरकर के साल 1857 की क्रांति में शामिल होने का जिक्र नहीं किया था बल्कि उनके द्वारा लिखी पुस्तक के माध्यम से लोगों में फैली जागरूकता का जिक्र करते हुए उन्हें 1857 की क्रांति को एक विद्रोह ना बनने देने की बजाय क्रांति के रूप में प्रसारित करने का श्रेय दिया था।
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Result: Misleading
JP Tripathi
July 6, 2019
Rangman Das
August 18, 2023
Arjun Deodia
February 21, 2022