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जापानी कंपनी ‘कुबोटा’ को सोशल मीडिया में बताया गया चीनी कंपनी, धार्मिक एंगल देकर शेयर हुआ सन्देश

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim
एक मशीन को लेकर सोशल मीडिया में भारत और चीन के बीच तुलना की गई है। “कमाल कर दिया चाइना (China) ने, हम तो बस मंदिर मस्जिद के चक्कर में ही रह गए है।”
Verification
हार्वेस्टिंग सहित कुछ अन्य मशीनों का वीडियो सोशल मीडिया में तेजी से वायरल हो रहा है। ट्विटर पर इसे करीब 100 से भी ज्यादा बार शेयर और 300 से भी ज्यादा बार लाइक किया जा चुका है। पोस्ट में दावा किया गया है कि ये सारी मशीनें चाइना की हैं।
वीडियो की सत्यता जानने के लिए हमने वीडियो को बारीकी से देखना शुरू किया। इस दौरान हमें स्क्रीन पर एक मशीन का मॉडल नंबर दिखा।
स्क्रीनशॉट वाले मॉडल नंबर को गूगल पर खोजने पर मशीन का पूरा नाम प्राप्त हुआ।
गूगल परिणामों के मुताबिक मशीन के मॉडल का पूरा नाम ”कुबोटा ER 698 डैनमैक्स’ है। कुबोटा नाम से गूगल में खोजने पर पता चला कि यह जापान के ‘ओसाका’ शहर में स्थित है।
इंटरनेट पर हमें Kubota कम्पनी की आधिकारिक वेबसाइट मिली। इस वेबसाइट पर कृषि उत्पाद से सम्बंधित सभी मशीनों की जानकारी मौजूद है। वेबसाइट जापान की है इसका चाइना से कोई सम्बन्ध नहीं है। हालांकि इस कंपनी ने पूरी दुनिया में अपने शोरूम और कारखाने स्थापित किए हैं जिनमे चीन भी शामिल है।
पड़ताल के दौरान ही kubota कंपनी के बारे में ब्लूमबर्ग का एक लेख प्राप्त हुआ जो इस बात को पुख्ता करता है कि इस कंपनी का मुख्यालय जापान में ही है और यह जापानी कंपनी है। भारत में ब्लू चिम्प नामक फर्म इसके पार्ट्स असेम्बल करके मशीनों को बाजार में बेचती है।
गूगल पर ही हमें ‘इंडियन ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन’ नामक वेबसाइट प्राप्त हुई। भारतीय ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री में साल 2000 से लेकर साल 2019 तक कितना विकास और निवेश किया गया इसकी पूरी जानकारी यहाँ मौजूद है। वेबसाइट के मुताबिक भारतीय ऑटोमोटिव इंडस्ट्री पर साल 2000 से साल 2019 तक 21.38 अरब डॉलर निवेश किया जा चुका है।
Tools Used 
  • Google search
Result- False

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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