Friday, April 18, 2025

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DHFL कंपनी द्वारा बैंक से लिए करोड़ों रुपये के लोन को योगी सरकार द्वारा फंडिंग बताकर सोशल मीडिया में किया गया शेयर

Written By Nupendra Singh
Nov 5, 2019
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Claim-
DHFL – तुम मुझे ठेका दो मैं तुम्हे चंदा दूंगा योगी – ये लीजिए हुज़ूर, पूरे 31000 करोड़ है DHFL – ये लो तुम अपना हिस्सा 20 करोड़ मैं चला दिवालिया होने योगी – जैसी आपकी मर्जी हुज़ूर
            #योगी_सरकार_झूठी_है_31000_करोड़_लूटी_है
Verification- 
इन दिनों सोशल मीडिया पर योगी सरकार से संबंधित एक ट्वीट शेयर हो रहा है। ट्वीट शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि योगी सरकार द्वारा अंडर वर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से ताल्लुक रखने वाली DHLF कंपनी में 31000 करोड़ रुपयों का निवेश किया गया है। योगी सरकार पर तंज करते हुए हैशटैग में योगी सरकार पर 31000 करोड़ रूपये चुराने का आरोप लगाया गया है।
वायरल हो रहे दावे का सच जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। जहां कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से दावे को गूगल पर खोजा। इस दौरान LIVE MINT की वेबसाइट में प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ।
लेख के अनुसार योगी सरकार द्वारा EPF घोटाले से संबंधित दो अधिकारियों के DHLF कंपनी से संबंध होने के शक में उन्हें सीबीआई जाँच के लिए गिरफ्तार किया गया है ।
साथ ही इस तथ्य का भी खुलासा किया गया है कि योगी आदित्यनाथ द्वारा मुख्यमंत्री पद की शपथ के दो दिन बाद 17 मार्च 2017 को DHLF कंपनी को 2631 करोड़ रूपये ट्रांसफर हुए थे। 2631 करोड़ की इतनी बड़ी रकम के लेन-देन के लिए सरकार की मंजूरी तथा कैबिनेट में बिल पास होने की जरूरत होती है, और इस प्रक्रिया को पूरा होने में संभवतः एक सप्ताह का समय तो लगता ही है।
योगी सरकार द्वारा इतनी बड़ी रकम को मात्र दो दिन में DHLF कंपनी को ट्रांसफर करने वाली बात पर हमें शक हुआ तथा DHLF कंपनी को मात्र 2631 करोड़ रुपये देने का जिक्र है जबकि वायरल दावे में 31000 करोड़ रूपये देने का दावा किया है। इस कारण हमने गूगल पर और बारीकी से मामले कि जाँच की। इस दौरान उपरोक्त मामले से संबंधित हमें The Telegraph की वेबसाइट पर एक लेख प्राप्त हुआ।
लेख के मुताबिक उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के पूर्व वित्त निदेशक सुधांशु द्विवेदी और पूर्व सामान्य प्रबंधक प्रवीण कुमार गुप्ता को अवैध रूप से DHLF कंपनी को ‘एम्प्लॉय प्रोविडेंट फंड’ के 2631 करोड़ रूपये देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है।
लेख में आगे एक मंत्री के बयान का भी उल्लेख किया गया जहां मंत्री का कहना है कि ‘एम्प्लॉय प्रोविडेंट फंड’ के निवेश की नीति का निर्णय अखिलेश सरकार में लिया गया था। इसके साथ यह भी बताया कि EPF की एक छोटी धन राशि वैध रूप से यूनियन का नेता तथा  यूनियन श्रम मंत्रालय स्टॉक मार्किट में निवेश कर सकता है।
इस मामले में अखिलेश यादव ने मंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए इस मामले पर अपनी सफाई एक पत्रकार वार्ता में दी। ANI की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्य मंत्री अखिलेश यादव का कहना है कि वर्तमान की भाजपा सरकार अपने सरकार में हुए भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए अपना सारा आरोप हमारी नीति पर लगा रही है।
उपरोक्त लेखों को पढ़ने के बाद EPF के रकम की निवेश नीति का बिल योगी सरकार में पास नहीं हुआ और DHLF कंपनी को ट्रांसफर की गयी राशि 2631 करोड़ होने की पुष्टि हुई। अब वायरल हो रहे दावे में 31000 करोड़ का DHLF कंपनी और योगी सरकार से क्या संबंध है इस बात कि जानकारी जुटाना शुरू किया। खोज के दौरान हमें Economics times की वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ जहां DHLF कंपनी पर 31000 करोड़ के बैंक लोन की भरपाई न कर पाने के आरोप में केंद्र सरकार ने ‘गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय’ को मामले की जाँच करने का आदेश दिया है।
इस सभी तथ्यों को परखने के बाद newschecker.in टीम ने वायरल हो रहे दावे को भ्रामक पाया। जहां योगी सरकार का 31000 करोड़ रुपये से कोई सम्बन्ध नहीं है। 31000 करोड़ मूलधन राशि है जो DHLF कंपनी ने बैंक से कर्जा लिया था जिसकी भरपाई कंपनी द्वारा नहीं की गयी है और जिस पर केंद्र सरकार ने कार्रवाई करते हुए कंपनी की जाँच ‘गंभीर धोखाधड़ी जांच कार्यालय’ को दी है।
 Tools Used 
  • Google Search
Result- Misleading 

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