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चंद्रयान-2 के बाद आज ISRO ने अपना पहला मिशन पूरा किया, सुबह करीब 9 बजकर 28 मिनट पर CARTOSAT-3 को सफलता पूर्वक लॉन्च कर दिया। धरती की निगरानी और मैप सैटलाइट CARTOSAT-3 के साथ अमेरिका के 13 नैनो सैटेलाइट्स भी छोड़े गए हैं। कार्टोसैट-3 की मदद से भारत अब बड़े स्तर पर मैंपिग कर सकेगा जिससे शहरों की प्लानिंग और ग्रामीण इलाकों के संसाधनों का प्रबंधन भी किया जा सकेगा।
इससे पहले छोड़े गए हैं CARTOSAT सीरीज़ के 8 सैटेलाइट
CARTOSAT-3 इस सीरीज की 9वीं सैटेलाइट है जिसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया गया है। इसे PSLV-C47 रॉकेट से छोड़ा गया है। कार्टोसैट-3 पृथ्वी से 509 किलोमीटर की ऊंचाई पर चक्कर लगाएगा। इस सीरीज की सबसे पहली सैटेलाइट 5 मई 2005 को छोड़ी गई थी:
कार्टोसैट-1: 5 मई 2005
कार्टोसैट-2: 10 जनवरी 2007
कार्टोसैट-2ए: 28 अप्रैल 2008
कार्टोसैट-2बी: 12 जुलाई 2010
कार्टोसैट-2 सीरीज: 22 जून 2016
कार्टोसैट-2 सीरीज: 15 फरवरी 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 23 जून 2017
कार्टोसैट-2 सीरीज: 12 जनवरी 2018
क्यों ख़ास है CARTOSAT-3 ?
CARTOSAT-3 तीसरी पीढ़ी की बेहद चुस्त और उन्नत सैटेलाइट है जो हाई रेजॉलूशन तस्वीर लेने की क्षमता रखती है। इसका भार 1,625 किलोग्राम है और यह बड़े पैमाने पर शहरों की प्लानिंग, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय जमीन के इस्तेमाल और जमीन के लिए उपभोक्ताओं की बढ़ती मांग को पूरा करने में मददगार साबित होगी। ISRO के मुताबिक पीएसएलवी–सी47 ‘एक्सएल‘ कॉनफिगरेशन में पीएसएलवी की ये 21वीं उड़ान थी।
ISRO का कहना है कि भारत की ये अब तक की सबसे बेहतरीन अर्थ ऑबज़रवेशन सैटेलाइट है जिसकी मदद से सरहद पर कड़ी निगरानी की जा सकेगी। इसरो मार्च तक 13 सैटेलाइट और छोड़ने की तैयारी में है।
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