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वर्षों पहले JNU में अफजल गुरू की बरसी पर छपे पोस्टर को हालिया विवाद से जोड़कर किया गया शेयर

Claim:

अगर अभी भी जिस किसी का खून नहीं खौला होगा ना, तो उसका खून-खून नहीं बल्कि पानी है। 

Verification:

दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी हमेशा अलग-अलग विवादों को लेकर सुर्ख़ियों में रहती है। इन दिनों फीस वृद्धि को लेकर हुए बवाल पर जेएनयू में जमकर विरोध प्रदर्शन हुआ था। वहीं जेएनयू में हुई हिंसा को के आरोपियों को लेकर अलग-अलग दावे भी सोशल मीडिया पर किए जा रहे हैं। लेकिन अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि जेएनयू कैंपस के अंदर घुसकर छात्रों के साथ मारपीट करने वाले लोग कौन थे

फीस बढ़ोत्तरी को लेकर हुई हिंसा के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर जेएनयू में लगे एक पोस्टर की तस्वीर वायरल हो रही है। वायरल पोस्टर में लिखा गया है कि हम लोग एक Cultural Evening के लिए आप सभी को आमंत्रित करते हैं। यह शाम ब्राह्रणवादी सामूहिक विवेक के विरूद्ध है। दरअसल अफजल गुरू और मकबूल भट की न्यायिक हत्या के खिलाफ है। वायरल पोस्ट के साथ दावा किया जा रहा है कि अब भी अगर जिसका खून ना खौला तो वह खून नहीं पानी हैं।

कुछ अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे पोस्टर को खंगाला। पड़ताल के दौरान हमें आज तक और जनसत्ता का लेख मिला। लेख से हमने जाना कि जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में डेमोक्रैटिक स्टूडेंट यूनियन से ताल्लुक रखने वाले 10 छात्रों ने साबरमती ढाबा पर एक कार्यक्रम आयोजित किया था। यह कार्यक्रम अलगाववादी नेता मकबूल भट्ट और अफजल गुरू की बरसी पर था। जबकि इस कार्यक्रम का उद्देश्य कश्मीरियों को खुद के फैसले लेने के अधिकार दिए जाने को लेकर आवाज़ उठाना भी था।

जेएनयू में अफजल गुरु के लिए प्रोग्राम: एबीवीपी ने की छात्रों के निष्‍कासन की मांग, वीसी बोले-कराएंगे जांच

Hindi News राज्य कार्यक्रम का उद्देश्‍य ‘कश्‍मीरियों को खुद के फैसले लेने के अधिकार’ दिए जाने लेकर आवाज उठाना भी था। आयोजनकर्ताओं को शुरुआत में कार्यक्रम के लिए इजाजत मिल गई, लेकिन बीजेपी की छात्र विंग एबीवीपी के विरोध के बाद मंजूरी वापस ले ली गई। संसद पर हमले के

 

शुरुआत में आयोजनकर्ताओं को कार्यक्रम के लिए अनुमति मिल गई थी लेकिन एबीवीपी के विरोध के बाद मंजूरी वापस ले ली गई थी। जब इस संबंध में आयोजकों से पूछा गया तो उनका कहना था कि यह कार्यक्रम अफजल गुरू के पक्ष में बिल्कुल नहीं था। इसका उद्देश्य यह बताना था कि हमारा न्यायिक ढांचा कैसे काम करता है। इस कार्यकर्म का नाम द कंट्री विदआउट ए पोस्ट ऑफिस था। उन्होंने कहा कि जब अफजल को फांसी दी जा चुकी थी तो उसके कई दिन बाद इसकी सूचना से संबंधित पत्र उसके परिवार को मिला।  

You Tube खंगालने पर हमें India Today का वीडियो मिला। वीडियो में जेएनयू के वायरल पोस्टर को लेकर जानकारी दी गई है। पड़ताल में हमने इस मामले को 10 फरवरी, 2016 का पाया है।

जेएनयू में अफजल गुरु की बरसी पर हुआ हंगामा

जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में मंगलवार शाम को संसद हमले में शामिल आतंकी अफजल गुरु और जम्मू एंड कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के संस्थापक मकबूल भट की याद में सांस्कृतिक संध्या के आयोजन को लेकर जमकर हंगामा हुआ.

हमारी पड़ताल में हमने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे जेएनयू के पोस्ट को 3 साल पुराना पाया है।

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