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PGI चंडीगढ़ में भूत ने नहीं चलाई व्हीलचेयर, सोशल मीडिया में वायरल हुआ भ्रामक सन्देश
Claim:
पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एंड रिसर्च, चंडीगढ़ में भूत ने व्हीलचेयर को चलाया।
Verification:
आजकल सोशल मीडिया पर एक दावा बहुत ही तेजी से वायरल हो रहा है कि चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एंड रिसर्च सेंटर में रात के समय व्हीलचेयर स्वतः चलने लगी। यद्यपि यह दावा सुनने में काफी हास्यास्पद लगता है लेकिन वायरल वीडियो में व्हीलचेयर को स्वतः चलता देख किसी बाहरी कारण की मौजूदगी को दरकिनार नहीं किया जा सकता। अब दावे के मुताबिक तो यह बाह्य कारण कोई भूत है। चूंकि यह सत्य नहीं हो सकता इसलिए हमने इस दावे को लेकर अपनी पड़ताल शुरू किया।
अपनी पड़ताल के पहले चरण में वीडियो को कीफ्रेम्स की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें पता चला कि यह वीडियो ना सिर्फ भारत बल्कि विदेशों में भी तेजी से शेयर किया जा रहा है।
சக்கர நாற்காலியின் திகில் பயணம்.. #WheelChair | #Chandigarh https://t.co/47lsZxBtRj
— Polimer News (@polimernews) September 25, 2019
View this post on InstagramA security guard stepped outside for water when he saw this. Tap our bio link for the full story.
Wheelchair moving on its own at PGI chandigarh ,,,captured on CCTV
…Shhraaad effect pic.twitter.com/oHC5575MQL— Abhishek Puri (@360Abhishek) September 26, 2019
#PGI में रात को खुद चलने लगती है व्हील चेयर, रात को ड्यूटी नहीं करना चाहता स्टाफ, वीडियो वायरल… https://t.co/XNhiJ4U8rs #Chandigarh #ChandigarhPGI #ViralVideo #Wheelchair pic.twitter.com/EqaEgLCQIZ
— Chandigarh Kesari (@Chandigarhpk) September 26, 2019
अपनी पड़ताल के दौरान हमें डेली मेल यूके में प्रकाशित एक लेख मिला जिसमे यह बताया गया है कि, कैसे 19 सितम्बर को चंडीगढ़ के एक अस्पताल में एक व्हीलचेयर स्वतः चलने लगी। इससे रात में ड्यूटी पर उपस्थित सुरक्षाकर्मी डर गए और इस अनोखी घटना के पीछे किसी भूत-प्रेत का हाथ होने की बात कहने लगे। सुरक्षाकर्मियों के साथ उस दिन अस्पताल में मौजूद एक डॉक्टर की मानें तो व्हीलचेयर केवल हवा की वजह से चलने लगा इसके पीछे कोई भूत-प्रेत नहीं है। बाद में वीडियो में दिख रहे सुरक्षाकर्मी ने स्वतः भूत-प्रेत की बातों का खंडन करते हुए कहा कि “हममें से एक बाहर राउंड के लिए गया हुआ था जबकि दूसरा अंदर था। मैं बाहर पानी पीने आया था और मैंने व्हीलचेयर को स्वतः चलते देखा। व्हीलचेयर केवल हवा की वजह से चली थी। मुझे ठण्ड भी लग रही थी।”

हवा से व्हीलचेयर चलना आम दिनों में होने वाली घटना नहीं है अतः हमने यह जानना चाहा कि हवा से व्हीलचेयर चलने के पीछे कौन से कारण हो सकते हैं। इन कारणों की तलाश के दौरान हमें पता चला कि टेक्नोलॉजी के बेहतरीन इस्तेमाल से केवल एक मुस्कान के माध्यम से भी व्हीलचेयर को चलाया जा सकता है। एआई के बढ़ते उपयोग के फलस्वरूप ऐसी चीजें आजकल अक्सर देखने को मिल जाती है। यूके के एक प्रतिष्ठित न्यूज़ प्रतिष्ठान की मानें तो 2018 के अंत तक एक ऐसे व्हीलचेयर का निर्माण किया जा चुका है जो आपकी मुस्कान या किसी छोटी से गतिविधि को पहचान कर आपके निर्देशानुसार चल सकती है। इस बारे में विस्तृत जानकारी इस लेख में पढ़ी जा सकती है। खैर, जब हमने चंडीगढ़ स्थित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल एंड रिसर्च में व्हीलचेयर के स्वतः चलने की इस घटना का विस्तृत अध्ययन किया तो हमें पता चला कि यह चेयर ऑटोमेटेड यानि संचालित नहीं थी। तो इसका मतलब यह हुआ कि हम व्हीलचेयर के बारे में जो जानकारी जुटा रहे थे वह अब भी हमें मिल नहीं पाई थी। इसीलिए हमने व्हीलचेयर के स्वतः चलने के कारणों का पता लगाने के लिए अपनी पड़ताल जारी रखी।

घटना की रात ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टर और सुरक्षाकर्मी ने बताया की व्हीलचेयर के स्वतः चलने की पीछे किसी भूत-प्रेत का हाथ नहीं था बल्कि हवा के कारण व्हीलचेयर स्वतः चल पड़ी। हमने हवा के द्वारा व्हीलचेयर पर पड़ने वाले प्रभावों की जाँच पड़ताल शुरू की। अपनी पड़ताल के दौरान जब हमने “wheelchair can move automatically if friction is very less” कीवर्ड की सहायता से गूगल सर्च किया तो हमें 2014 में प्रकाशित एक लेख मिला। इसमें हस्तचालित व्हीलचेयर के बेहतर संचालन के लिए आवश्यक कारणों एवं विधियों का जिक्र है। इस लेख में यह बताया गया है कि इनर्शिया और फ्रिक्शन कैसे एक व्हीलचेयर के संचालन को सुगम या फिर दुर्गम बना सकते हैं। इस बारे में अधिक जानकारी के लिए यह जर्नल भी पढ़ा जा सकता है।

अब चूंकि हमें यह पता चल चुका था कि फ्रिक्शन व्हीलचेयर के संचालन में अहम रोल अदा करता है तो हमने इसके द्वारा व्हीलचेयर पर पड़ने वाले संभावित प्रभाव की पड़ताल शुरू की। अपनी पड़ताल के दौरान हमें एक लेख मिला जिसमें फ्रिक्शन कोफिसिएंट के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है। इस लेख के विस्तृत अध्ययन करने के बाद हमें पता चलता है कि अगर फ्रिक्शन कोफिसिएंट की वैल्यू जीरो यानि शून्य हो जाए तो कोई भी ऑब्जेक्ट काफी तेजी से या यूँ कहें कि बहुत ही कम या नगण्य बाह्य बल की सहायता से गति कर सकता है।

अब हमने यह जानने का प्रयास किया कि घटना की रात चंडीगढ़ में हवा की स्थिति क्या थी। अपनी इस खोज के दौरान जब हमने “19 september 2019 chandigarh weather report” कीवर्ड के माध्यम से गूगल सर्च किया तो हमें इस लेख के माध्यम से पता चला कि 19 सितम्बर को हवा का रुख बदला हुआ था और हमें यह भी पता चला कि घटना के वक़्त हवा सामान्य से थोड़ी अधिक थी।

हमारी पड़ताल में यह साबित हो गया कि व्हीलचेयर के स्वतः गति करने के पीछे का कारण हवा है ना कि कोई भूत-प्रेत। हम अपने पाठकों को यह भी बताना चाहते हैं कि इस तरह के बेबुनियाद और अंधविश्वास को बढ़ावा देने वाले भ्रामक दावे हमारे दैनिक जीवन में अक्सर ही दिख जाते हैं। हमें इन दावों पर विश्वास करने से पहले इनकी पूरी पड़ताल कर लेनी चाहिए।
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