Claim
2 मार्च 1981 को विधानसभा में शेख़ अब्दुल्ला ने धारा 370 को ख़त्म कराने का बिल पेश किया था।

Verification
इन दिनों एक उर्दू अखबार की कटिंग के साथ कश्मीर के दिवंगत नेता शेख अब्दुल्ला को लेकर एक सन्देश सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है। सोशल मीडिया प्लेटफार्म ट्विटर पर इसे कई बार शेयर और रिट्वीट किया गया है। इस तस्वीर में दावा किया जा रहा है कि शेख अब्दुल्ला ने 2 मार्च साल 1981 को धारा 370 खत्म करने का बिल जम्मू-कश्मीर की विधान सभा में पेश किया था।
धारा 370, भारतीय संविधान के भाग 21 की वह संवैधानिक व्यवस्था है जो कश्मीर को भारत के अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार प्रदान करती है। दावे की सत्यता जानने के लिए सबसे पहले गूगल पर हमने ‘शेख अब्दुल्ला’ के बारे मे खोजना आरम्भ किया।
इस दौरान हमें
‘दैनिक भास्कर‘ की खबर मिली। ख़बर के मुताबिक ‘शेख अब्दुल्ला’ ने अपनी आत्मकथा ‘आतिशे चीनार’ में यह स्वीकार किया है कि उनके पूर्वज एक सप्रू गोत्र के कश्मीरी पंडित थे और उनके परदादा का नाम ‘बालमुकुंद कौल’ था खबर में यह भी कहा गया है कि शेख अब्दुल्ला जम्मू कश्मीर के दूसरे प्रधानमंत्री थे और वह कश्मीर को एक अलग राष्ट्र बनाना चाहते थे। खोज के दौरान
टाइम्स ऑफ़ इंडिया का भी एक लेख प्राप्त हुआ। इसमें प्रकाशित खबर के मुताबिक़ शेख ने धारा 370 का ढांचा तैयार किया था और यह मांग रखी थी कि कश्मीर को एक अलग राष्ट्र का दर्जा नहीं बल्कि एक ऐसे राज्य का दर्जा चाहिए जहां केंद्र सरकार का कोई हस्तक्षेप न हो।
पड़ताल के दौरान धारा 370 पर
इंडिया टुडे की एक और खबर हाथ लगी। खबर में कहा गया है कि ‘शेख अब्दुल्लाह’ को साल 1952 में ‘कश्मीर साजिश केस’ के तहत 11 साल की जेल हुई थी।
तमाम खबरों को पढ़ने के बाद यह साबित नहीं हो पाया कि शेख अब्दुल्ला ने कभी भी धारा 370 को समाप्त करने की बात भी की थी। हमारी पड़ताल में किया जा रहा दावा गलत साबित हुआ।
Tools used
- Google Keywords Search
- Twitter Advanced Search
Result- False