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श्रीनगर में नहीं इकट्ठा हुए 10 हज़ार प्रदर्शनकारी, देश, दुनिया के कई प्रतिष्ठित समाचार माध्यमों ने फैलाई अफवाह

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim
शुक्रवार को श्रीनगर में प्रदर्शन के दौरान 10000 कश्मीरियों पर भारतीय सैनिकों ने दागे आंसू गैस के गोले और बरसाई पैलेट गन से गोलियां।     
Verification
केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने के बाद सोशल मीडिया पर जम्मू-कश्मीर से जुड़ी कई भ्रामक खबरें वायरल हो रही हैं। ऐसी ही एक खबर को देश और विश्व की कुछ बड़ी न्यूज़ एजेंसियों जैसे aljazeera , irishtimes, reuters और Indiatoday द्वारा गलत दावे के साथ प्रकाशित और शेयर किया जा रहा है।
इन सभी न्यूज़ समाचार माध्यमों द्वारा प्रकाशित खबर का दावा है कि केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 में किये गए संशोधन के विरोध में 10000 कश्मीरी श्रीनगर में प्रदर्शन कर रहे थे। जिन पर काबू पाने के लिए भारतीय सुरक्षाबलों ने पैलेट गन और आंसू गैस का सहारा लिया।
हमने खबर की सत्यता जानने के लिए गूगल खंगाला। जहां हमें सबसे पहले ट्विटर पर किये दावे को ख़ारिज करता हुआ ANI का एक ट्वीट प्राप्त हुआ।
ANI के ट्वीट के मुताबिक भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने इस पूरे मामले को सिरे से ख़ारिज किया है। ANI द्वारा किये गए इस ट्वीट की पुष्टि के लिए हमने गृह मंत्रालय की वेबसाइट और ट्विटर हैंडल खंगाला। इस दौरान हमें गृह मंत्रालय के प्रवक्ता का ट्वीट प्राप्त हुआ। जहां वायरल हुई खबर को भ्रामक ठहराया गया था।
कश्मीर के सौरा इलाके में एक स्थानीय मस्जिद से नमाज़ अदा कर घर लौट रहे कुछ लोगों ने सुरक्षाकर्मियों पर पत्थरबाजी की थी लेकिन उनकी संख्या के बारे में आंकड़े स्पष्ट नहीं हैं। इस बात की पुष्टि गृहमंत्रालय के प्रवक्ता ने ट्वीट के माध्यम से की है।
ट्वीट के मुताबिक वायरल हुई खबर पूरी तरह भ्रामक है। श्रीनगर और बारामूला में धरना प्रदर्शन हुआ था लेकिन उसका इस तरह की भीड़ से कोई सम्बन्ध नहीं है।
Tools Used
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Result: False

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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