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विवेकानंद की आत्मकथा पर बनी फिल्म की एक क्लिप, शिकागो में उनके द्वारा दिए भाषण का बताकर हुई वायरल

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim- 
 
Swami Vivekananda in 1893 addressing world religious conference Chicago
 
हिन्दू अनुवाद – स्वामी विवेकानंद 1893 में शिकागो के विश्व धार्मिक सम्मेलन को संबोधित करते हुए।    
 
 
Verification- 
 
एक फेसबुक यूजर ने अपने पोस्ट में एक क्लिप शेयर करते हुए दावा किया है कि यह 1893 में शिकागो के एक धार्मिक सम्मेलन में भाषण देने वाले स्वामी विवेकानंद का है। क्लिप में एक युवक स्वामी विवेकानंद जैसे वेषभूषा में एक सभा को भाषण देते हुए नजर आ रहा है।
 
1893 में दिए गए भाषण का वीडियो रिकॉर्ड हुआ था और वीडियो कलर विज़न में था इसलिए शक के आधार पर हमने वीडियो की पड़ताल आरम्भ की। अपनी पड़ताल में विश्व की सबसे पहली कलर फिल्म कब रिकॉर्ड हुई थी इस तथ्य को खोजा।
 
इस दौरान, the telegraph  वेबसाइट पर प्रकाशित एक लेख से पता चला कि विश्व की सबसे पहली फिल्म 1902 में रिकॉर्ड की गई थी। गूगल में बारीकी से खोजने पर हमें  theatlantic नामक वेबसाइट में अपलोड एक वीडियो मिला। जिसमें विश्व की सबसे पहली कलर विज़न फिल्म वाली कब बनी थी इसका पता चला।
 
 
पड़ताल की अगली कड़ी में हमने 1893 में विवेकानंद द्वारा शिकागो के एक धार्मिक सम्मेलन में दिए भाषण को गूगल पर खंगाला। इस दौरान विवेकानंद समिति नामक यूट्यूब चैनल पर स्वामी विवेकानंद की ओरिजिनल आवाज़ में रिकार्डेड ऑडियो प्राप्त हुआ। 
 
 
इन सब तथ्यों को परखने के बाद अब यह पता लगाना था कि जब 1902 में पहली रंगीन फिल्म रिकॉर्ड हुई थी तो विवेकानंद की वेषभूषा में भाषण देने वाले युवक के वायरल रंगीन वीडियो का सच क्या है। वायरल वीडियो का सच जानने के लिए कुछ स्क्रीनशॉट्स द्वारा गूगल पर खोजा। इस दौरान यूट्यूब पर उनकी आत्मकथा पर बनी फिल्म ‘विवेकानंद’ में वायरल क्लिप प्राप्त हुई।  
 
 
newschecker.in की पड़ताल में वायरल दावा भ्रामक साबित हुआ। 
 
Tools used
  • Google Search
  • YouTube

Result: Misleading

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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