Authors
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.
Claim
दिल्ली के चांदनी चौक से आम आदमी पार्टी की विधायक और अब कांग्रेस कार्यकर्ता अलका लाम्बा ने एक ट्वीट किया है। ट्वीट में गणपति बप्पा शब्द को टैग करते हुए सड़क के किनारे कुछ मूर्तियों को दिखाया गया है। सड़क किनारे बड़ी संख्या में मूर्तियों को देखा जा सकता है। लाम्बा का दावा है कि अब इन गणेश मूर्तियों को कोई नहीं पूछने वाला है।
#GaneshChaturthi #GanpatiBappaMorya…
क्या आज इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने वाला कोई नहीं ??? pic.twitter.com/omqwjmzhR5— Alka Lamba – अलका लाम्बा (@LambaAlka) September 9, 2019
Verification
गणेश चतुर्थी पर मूर्ति विसर्जन को लेकर सोशल मीडिया में एक नई बहस छिड़ गई है। कांग्रेस कार्यकर्ता और दिल्ली से विधायक अलका लाम्बा ने एक ट्वीट के माध्यम से गणेश मूर्तियों पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि, ‘अब इनको पूछने वाला कोई भी नहीं है।’ सड़क किनारे पानी में भीगी हुई मूर्तियां क्या वाकई गणपति बप्पा की ही हैं? इस बात की सत्यता प्रमाणित करने के लिए पड़ताल आरम्भ की। इस दौरान सोशल मीडिया पर ऐसे ही दावे करने वाले कई ट्वीट्स नज़र आये। इन सबमे सबसे दिलचस्प बात यह है कि जैनब सिकंदर ने भी अपने आधिकारिक आकउंट से इस वीडियो में दिख रही मूर्तियों को गणेश की मूर्ति बताते हुए पर्यावरण पर अपनी राय रखी है।
At the risk of being called a jihadi terrorist for simply voicing my opinion on an environmental issue, may I please just ask those who do the Ganpati Visarjan in natural water bodies: WHY can’t you use eco-friendly, biodegradable (non-toxic paint) idols?pic.twitter.com/EmhIjiC31t
— Zainab Sikander (@zainabsikander) September 7, 2019
#GaneshChaturthi #GanpatiBappaMorya…
क्या आज इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने वाला कोई नहीं ??? pic.twitter.com/DvF3bvps9S— Archana Chaubey INC (@Archanarchaubey) September 10, 2019
#GaneshChaturthi #GanpatiBappaMorya…
क्या आज इन मूर्तियों को अपने घर ले जाने वाला कोई नहीं ??? pic.twitter.com/ZahclIQ7rA— Vinay Uteriya (@VinayUteriya6) September 9, 2019
सोशल मीडिया प्लेटफार्म फेसबुक पर भी सेम क्लेम करता हुआ एक वीडियो प्राप्त हुआ जिसमें सड़क के किनारे बड़ी संख्या में मूर्तियों को दिखाया गया है जो पानी से भीगी हुई हैं।
गणपति पूजा एक ऐसा महोत्सव है जिसकी चमक गुजरात और महाराष्ट्र जैसे प्रांतों में कुछ खास ही दिखाई देती है। सड़क किनारे भीगी हुई मूर्तियों का सच जानने के लिए इस साल हुए गणपति महोत्सव और विसर्जन से सम्बंधित ख़बरों को खंगालना शुरू किया। इस दौरान कई ख़बरों के लिंक सामने आये। जनसत्ता की एक खबर के मुताबिक इस साल गणपति विसर्जन 12 सितम्बर को किया जाना है।
पड़ताल के दौरान एक ट्वीट प्राप्त हुआ जो जैनब सिकंदर को टैग करते हुए ट्वीट किया गया था। अंकुर सिंह नामक ट्विटर यूजर ने लिखा है कि वीडियो में दिख रही मूर्तियां गणेश की ना होकर दशामा विसर्जन की हैं और एक महीने पुरानी हैं। वीडियो में दिखाई गई जगह अहमदाबाद के साबरमती नदी के किनारे की है।
This is one month old video from Ahmedabad
It’s not Ganapati, but Dashama Visarjan
People left idols at the bank of Sabarmati river, to keep the river clean.
Municipal corporation immersed these idols at Visarjan spots, not in Sabarmati river. https://t.co/hdOexdafh1
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) September 9, 2019
इन्हीं तथ्यों के आधार पर खोज शुरू किया। इस दौरान 10 अगस्त 2019 को यूट्यूब पर अपलोड हुआ एक वीडियो प्राप्त हुआ। वीडियो में अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन के चेयरमैन विजय नेहरा ने अहमदाबाद वालों को थैंक्स कहा है, इसका कैप्शन दिया गया है।
खोज के दौरान हमें विजय नेहरा का वह ट्वीट भी मिल गया जिसे उन्होंने करीब 1 महीने पहले शेयर किया था।
I shared this one month ago.
Retweeting this in light of some out of context videos being circulated on social media. #Ahmedabad #SwachhBharat #SwachhSabarmati https://t.co/yxIR8L46zr— Vijay Nehra (@vnehra) September 9, 2019
हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि जैनब सिकंदर और अलका लाम्बा ने जिस वीडियो क्लिप को गणपति बप्पा का बताकर शेयर किया है असल में वह करीब एक माह पुराना दशामा माता विसर्जन के दौरान का है।
Tools Used
- InVID
- Google Reverse Image
- Twitter Advanced Search
- YouTube Search
- Google Keywords
Result: Misleading
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.