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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.
Claim
आयुर्वेद के विरोधी सावधान आयुष मंत्रालय ने पतंजलि कोरोनिल coronil को परमिशन दे दी है। जय भारत। आयुष मंत्रालय से पत्र प्राप्त हुआ
पतंजलि के को फाउंडर आचार्य बालकृष्ण द्वारा ट्विटर पर एक पत्र अटैच करते हुए दावा किया गया है कि आयुष मंत्रालय ने कोरोनिल को मंजूरी दे दी है। उनके कहने का मतलब है कि आयुष मंत्रालय ने कोरोना के ट्रायल को मंजूरी दे दी है। कोरोना की दवा कोरोनिल के लांचिंग के बाद से ही देश भर में इसकी जोर-शोर से चर्चा हो रही है।
इस दावे को सोशल मीडिया में कई तरह से शेयर किया जा रहा है। कोई इसे आयुर्वेद की जीत बता रहा है तो कोई कोरोनिल दवा को मंजूरी मिलने पर ख़ुशी जाहिर कर रहा है। योग गुरु रामदेव ने भी ट्विटर पर बालकृष्ण के ट्वीट को को-ट्वीट करते हुए लिखा है कि ‘आयुर्वेद का विरोध करने वालों के लिए घोर निराशा की खबर!
रामदेव और बालकृष्ण के ट्वीट का आर्काइव यहाँ और यहाँ देखा जा सकता है।
सोशल मीडिया में कोरोना की दवा कोरोनिल को लेकर यह सन्देश तेजी से शेयर किया जा रहा है।
फैक्ट चेक:
पूरी दुनिया के लिए नासूर बन चुके कोरोना वायरस की सटीक दवा का जहां दुनियाभर में ट्रायल चल रहा है वहीं भारत में पतंजलि ने कोरोनिल नामक दवा के निर्माण की बात कही है। दावा है कि कोरोना की दवा कोरोनिल से शत प्रतिशत मरीज ठीक हो रहे हैं। इसी बीच दवा को लेकर कुछ ख़बरें ऐसी भी आयी जिनसे पता चला कि बिना अनुमति के पतंजलि ने कोरोनिल का निर्माण किया है। इसके बाद आयुष मंत्रालय के एक लेटर द्वारा दावा किया जा रहा है कि मंत्रालय ने इसके ट्रायल की अनुमति दे दी है। कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से कोरोनिल के बारे में जानने का प्रयास किया। इस दौरान कई खबरों के लिंक खुलकर सामने आये।
News 18 द्वारा प्रकाशित एक खबर में आशंका जताई गई है कि कोरोना की दवा कोरोनिल के प्रयोग के समय मरीजों की स्थिति बिगड़ने पर कहीं एलोपैथिक दवाइयों का प्रयोग तो नही किया गया? इसके अलावा राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ़ हेल्थ साइंसेज के डॉक्टर नरोत्तम शर्मा कहते हैं कि अस्पताल में लक्षणहीन मरीजों को भर्ती किया गया था। इसलिए यह कहना कि इस दवा से शत-प्रतिशत मरीज ठीक हुए हैं यह उचित नहीं है। इसके अलावा राजस्थान के चिकित्सा मंत्री ने भी कहा था कि बिना मंजूरी के कोरोनिल का मरीजों पर ट्रायल हुआ था।
इसके अलावा कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह बात भी कही गई है कि आयुष मंत्रालय ने कोरोना की दवा कोरोनिल को मंजूरी नहीं दी थी। मंत्रालय का कहना है कि दवा के बारे में जांच जरूरी है।
कोरोनिल को लेकर उत्तराखंड आयुर्वेद विभाग के लाइसेंसिंग ऑफिसर का कहना है कि पतंजलि के आवेदन पर हमने लाइसेंस जारी किया था। लेकिन उस आवेदन में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं है कि पतंजलि ने कोरोना की दवा के लिए अनुमति मांगी थी।
इसके अलावा आयुष मंत्रालय द्वारा इस पूरे मामले पर एक प्रेस रिलीज भी जारी की गई थी। जिसे PIB की वेबसाइट पर देखा जा सकता है।
अब उस पत्र की बात कर लेते हैं जो इस समय वायरल हो रहा है।
वायरल हो रहे पत्र में लिखा है कि, पतंजलि ने कोरोनिल दवा के बारे में डिटेल मंत्रालय को सौंप दी है। इसके बाद विभाग इसकी जांच करेगा। लेटर का मूल यही है कि पतंजलि आयुर्वेद ने क्लिनिकल ट्रायल से जुड़े दस्तावेज जमा कर दिए हैं। अब आयुष मंत्रालय दवा से जुड़े डाटा की जांच करेगा। इसमें कहीं भी नहीं लिखा है कि मंत्रालय ने कोरोनिल को कोरोना की दवा के रूप में मरीजों पर प्रयोग की अनुमति दे दी है। बालकृष्ण ने अपने हैंडल से भ्रामक दावा किया है। फ़िलहाल मंत्रालय ने दवा को मंजूरी नहीं दी है।
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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.