Authors
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.
भारत में नए कृषि कानून का विरोध करने के लिए कई राज्य के किसानों का आंदोलन चल रहा है। आंदोलन के समर्थन में आज यानि 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया गया था। लेकिन ट्विटर पर ‘पूरा भारत खुला है‘ नाम का हैशटैग ट्रेंड करने लगा। इसी दौरान ट्विटर पर एक तस्वीर वायरल हो गई। तस्वीर में सब्जियों को बीच सड़क पर बिखरा हुआ दिखाया गया है। दावा किया जा रहा है कि देश में भारत बंद जबरन करवाया जा रहा है।
वायरल पोस्ट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।
सोशल मीडिया पर वायरल दावे को कई अन्य यूज़र्स ने भी शेयर किया है
Fact check / Verification
नए कृषि कानून को वापस लेने की मांग पर देश के किसानों का विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। किसानों ने अपनी मांगों को लेकर अडिग रहने व नए कृषि कानून के विरोध में अपना कड़ा रुख दिखाने के लिए 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया था। इसी सन्दर्भ में वायरल हुई तस्वीर की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल आरम्भ की।
पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले वायरल तस्वीर को गूगल पर रिवर्स इमेज टूल के माध्यम से खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर बंगाली भाषा की वेबसाइट पर प्राप्त हुई। यहाँ तस्वीर को 05 मई साल 2020 को अपलोड किया गया था।
बता दें कि देश में नए कृषि कानून को लेकर किसान आंदोलन 22 नवंबर साल 2020 से शुरू हुआ था और मौजूदा किसान आंदोलन के समर्थन के लिए देश में बंद का ऐलान 8 दिसंबर को किया गया। लेकिन जिस तस्वीर का हलावा देकर यह दावा किया जा रहा है कि देश में जबरन बंदी करवाने का प्रयास किया गया, वह पहले से ही इंटरनेट पर मौजूद है।
तस्वीर की अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए हमने अपनी पड़ताल को जारी रखा। इस दौरान हमें वायरल तस्वीर govserv.org नामक वेबसाइट पर मिली।
वेबसाइट पर तस्वीर को 8 मई साल 2020 को अपलोड किया गया है। कैप्शन में लिखे शब्दों को समझ पाना हमारे लिए मुश्किल हुआ। लेकिन इतना तो साफ हो गया कि यह तस्वीर आज की नहीं है।
वायरल तस्वीर ट्विटर के एक पोस्ट में भी मिली। यहाँ तस्वीर के कैप्शन में जानकारी देते हुए बताया गया है कि तस्वीर में दिख रहे दृश्य की जिम्मेदार इलाके की पुलिस है।
इसके अलावा वायरल तस्वीर फेसबुक के एक पोस्ट में भी मिली। यहाँ भी तस्वीर को मई साल 2020 को अपलोड कर जानकारी दी गयी है कि लॉकडाउन के दौरान दुकान खोलने पर पुलिस ने यह दुकान तोड़ दी।
Conclusion
वायरल तस्वीर की पड़ताल के दौरान उपरोक्त मिले तथ्यों से पता चला कि उक्त तस्वीर मौजूदा किसान आंदोलन से संबंधित नहीं बल्कि कुछ माह पुरानी है। हालांकि अपनी पड़ताल में हम यह पता नहीं लगा पाए कि वायरल तस्वीर किस स्थान की है। यदि भविष्य में तस्वीर से संबंधित कोई अधिक जानकारी मिलेगी तो हम अपने लेख को अपडेट करेंगे।
Result-False
Our Sources
https://twitter.com/im50faruk/status/1257595901717155842
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A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.