Authors
Claim
पाकिस्तानी हब पावर कंपनी ने भारत में ख़रीदे इलेक्टोरल बॉन्ड.
Fact
पाकिस्तानी कंपनी ने इस दावे का खंडन किया है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने 14 मार्च 2024 की शाम को अपनी वेबसाइट पर इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ा डेटा जारी किया. इस डेटा में बताया गया कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस तारीख को कितने रुपये के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे और साथ ही यह भी बताया गया कि कब और किस राजनीतिक पार्टी को कितने रुपए के चंदे इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में मिले.
इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर एक दावा काफ़ी वायरल होने लगा, जिसमें कहा गया कि पाकिस्तान की पावर कंपनी “हब पावर कंपनी” ने इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर भारत की राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया है.
हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल दावा सही नहीं है. जिस पाकिस्तानी कंपनी HUBCO के बारे में यह दावा किया जा रहा है, उसने सोशल मीडिया पर एक बयान जारी कर दावे का खंडन किया है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने दो अलग-अलग लिस्ट जारी की है. पहली लिस्ट में उन कंपनियों का ब्यौरा है, जिन्होंने अलग-अलग मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे थे. वहीं, दूसरी लिस्ट में राजनीतिक पार्टियों को मिले इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी दी गई थी. हालांकि, लिस्ट में यह साफ़ नहीं किया गया है कि किस कंपनी ने किस राजनीतिक पार्टी को चंदा दिया है.
चुनाव आयोग द्वारा अपलोड की जानकारी के अनुसार, देश की सत्ताधारी पार्टी को करीब 6060.5 करोड़ का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला, जबकि प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस को करीब 1421.8 करोड़ का चंदा मिला. वहीं, इस मामले में दूसरे नंबर पर रही तृणमूल कांग्रेस को करीब 1609.5 करोड़ का चंदा मिला.
वायरल दावे को सोशल मीडिया पर इलेक्टोरल बॉन्ड वाली लिस्ट के साथ साझा किया गया है. लिस्ट के साथ विकिपीडिया पर मौजूद पाकिस्तान की हब पावर कंपनी के डिटेल्स का स्क्रीनशॉट भी शेयर किया गया है.
कई यूजर्स ने सीधे तौर पर यह भी दावा किया कि हब पावर कंपनी ने यह चंदा भाजपा को दिया है. वहीं, कुछ ने यह दावा किया कि पाकिस्तानी कंपनी ने कांग्रेस को चंदा दिया था.
Fact Check/Verification
Newschecker ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले पाकिस्तान में मौजूद हब पावर कंपनी लिमिटेड की वेबसाइट को खंगाला. इस दौरान हमने पाया कि पाकिस्तानी कंपनी का पूरा नाम “द हब पावर कंपनी लिमिटेड” (HUBCO) है, जबकि लिस्ट में मौजूद कंपनी का नाम “HUB POWER COMPANY” है.
इसके बाद हमने वेबसाइट पर मौजूद “About Us” सेक्शन को खंगाला. हमने पाया कि यह पाकिस्तान की सबसे बड़ी स्वतंत्र बिजली उत्पादक कंपनी है, जिसके प्लांट बलोचिस्तान, पंजाब और पाक अधिकृत कश्मीर (POK) में हैं. इसके अलावा, वेबसाइट पर यह भी बताया गया है कि कंपनी की हिस्सेदारी कई अलग-अलग पाकिस्तानी कंपनियों में है और साथ ही यह चीन की “चीन पॉवर इंटरनेशनल होल्डिंग लिमिटेड” के साथ भी जॉइंट वेंचर के रूप में काम कर रही है.
पड़ताल के दौरान हमें HUBCO के आधिकारिक X एकाउंट से 15 मार्च 2024 को ट्वीट किया गया स्पष्टीकरण मिला, जो वायरल दावे के संदर्भ में था. जारी किए गए स्पष्टीकरण में HUBCO ने लिखा है कि “यह हमारे ध्यान में आया है कि HUBCO की गलत पहचान की जा रही है और इसे भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड के बारे में हाल की पूछताछ से जोड़ा जा रहा है, जिसमें “हब पावर कंपनी” नाम की एक भारतीय कंपनी भी शामिल है. हम स्पष्ट रूप से बताना चाहेंगे कि हमारा इस मामले में नामित कंपनी या भारत की किसी अन्य कंपनी से कोई संबंध नहीं हैं. मीडिया में जिन भुगतानों का ज़िक्र किया जा रहा है, उसका HUBCO से कोई लेना देना नहीं है. पाकिस्तान के बाहर हम जो भी भुगतान करते हैं, उसे स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के अप्रूवल के बाद ही किया जाता है”.
जांच में हमने इलेक्टोरल बॉन्ड के नियमों का पता लगाया और यह जानने की कोशिश की कि क्या कोई विदेशी कंपनी सीधे तौर पर भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर किसी राजनीतिक पार्टी को चंदा दे सकती है. इस दौरान हमें वित्त मंत्रालय की ओर से 2 जनवरी 2018 को जारी की गई प्रेस रिलीज प्राप्त हुई.
प्रेस रिलीज में मौजूद पहले पॉइंट के अनुसार, भारत का कोई नागरिक या कोई निकाय (Body) ही बांड खरीदने के लिए पात्र है.
इसलिए हमारी जांच में मिले अभी तक के साक्ष्यों से यह साफ़ है कि कोई भी विदेशी कंपनी, जो किसी भी तरह से भारत से सीधे तौर पर संबद्धित नहीं है, वह सीधे तौर पर अपने नाम से इलेक्टोरल बॉन्ड नहीं खरीद सकती है. इसलिए यह दावा करना कि पाकिस्तान की “द हब पावर कंपनी लिमिटेड” (HUBCO) ने अपने नाम से भारत में इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर राजनीतिक पार्टी को डोनेशन दिया, गलत है.
भारतीय हब पावर कंपनी की जांच में हमें अभी तक क्या-क्या मिला?
अब हमने लिस्ट में मौजूद भारतीय “HUB POWER COMPANY” की पड़ताल की. हमने इस कंपनी के डिटेल्स वैश्विक स्तर पर कॉरपोरेट कंपनियों का डिटेल्स रखने वाली वेबसाइट opencorporates.com पर खोजा. लेकिन हमें इस नाम या मिलते-जुलते नाम की कोई कंपनी भारत में रजिस्टर्ड नहीं मिली.
इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स को गूगल सर्च किया. इस दौरान हमें भारतीय वेबसाइट इंडिया मार्ट और जस्ट डायल पर “HUB POWER COMPANY” की प्रोफ़ाइल मिली. दोनों ही वेबसाइट पर कंपनी के बारे में दी गई जानकारी में एक ही जीएसटी नंबर GSTIN : 07BWNPM0985J1ZX और पता के तौर पर S/f- 2/40, Delhi-110031 लिखा था.
इसलिए हमने सबसे पहले जांच में मिले जीएसटी नंबर को जीएसटी की आधिकारिक वेबसाइट पर खोजा. हमने पाया कि यह कंपनी रवि मेहरा के नाम पर रजिस्टर्ड है. साथ ही हमने यह भी पाया कि इस कंपनी का व्यापार करने का मुख्य स्थान गीता कॉलोनी के ब्लॉक नंबर 2 के 40 नंबर वाली बिल्डिंग में दूसरे फ्लोर पर है. साथ ही यह भी बताया गया है कि इस कंपनी का जीएसटी रजिस्ट्रेशन 12 नवंबर 2018 को किया गया था, लेकिन बाद में इसे स्वतः संज्ञान के आधार पर कैंसिल या रद्द कर दिया गया.
चूंकि इस कंपनी के बारे में कोई और पुख्ता जानकारी नहीं दी गई थी, इसलिए हम गीता कॉलोनी के दिए गए एड्रेस पर पहुंचे. गीता कॉलोनी के ब्लॉक नंबर 2 में 40 नंबर के दो मकान हैं. पहला मकान, जो उजले रंग का है, उसमें हमें एक बुजुर्ग महिला मिलीं. हमने जब उनसे रवि मेहरा और पावर हब कंपनी के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि रवि नाम के व्यक्ति का मकान दूसरी साइड के 40 नंबर में है.
इसके बाद हम उस मकान पर भी पहुंचे, लेकिन चार मंजिल का वह मकान बंद था. मकान के गेट पर 2/40 लिखा हुआ था, जो जीएसटी की वेबसाइट पर भी मौजूद है. इसके बाद हमने वहां मौजूद अन्य लोगों से मकान के मालिक और पावर हब कंपनी के बारे में पूछा. वहां मौजूद लोगों ने बताया कि इस मकान के मालिक का नाम रवि अरोड़ा है और वह कोई व्यापारी नहीं, बल्कि सरकारी कर्मचारी हैं. इसके बाद हमने उन लोगों से ख़ास तौर पर यह पूछा कि क्या हालिया वर्षों में इस मकान से कोई बिजनेस भी चलता था. उन लोगों ने बताया कि “हमने पिछले 10 वर्षों में यहां ना तो हब पावर कंपनी नाम से बिजनेस या कोई अन्य बिजनेस चलते देखा है.”
इसके बाद हमने मकान के मालिक रवि अरोड़ा से भी संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि “ऐसी कोई कंपनी मैं नहीं चलाता हूं और ना ही मैं किसी रवि मेहरा को निजी तौर पर जानता हूं. मैं एक केंद्रीय सरकारी कर्मचारी हूं और मैं अपने परिवार के साथ इस मकान को छोड़कर दूसरी जगह पर साल 2022 में ही शिफ्ट हो गया था. लेकिन कभी-कभी इस मकान में जाता हूं”.
साथ ही उन्होंने हमें यह भी बताया कि “करीब एक-दो साल पहले तक रवि मेहरा के नाम पर सरकारी एजेंसियों के नोटिस हमारे इस मकान के पते पर आते थे. लेकिन जब हमने नोटिस लाने वाले डाकिए से इसकी पड़ताल की तो उसने हमें बताया कि रवि मेहरा नाम के उस शख्स का असली पता ओल्ड गीता कॉलोनी का 40 नंबर मकान है, लेकिन उसने आपके मकान का पता दे दिया है”. हालांकि, जब हमने उनसे यह पूछा कि क्या आपके पास अभी भी इस तरह के कोई नोटिस पड़े हैं तो उन्होंने कहा कि “यह काफ़ी पुरानी बात है इसलिए वर्तमान में मेरे पास नहीं हैं”.
हालांकि, हम अपनी जांच में रवि अरोड़ा द्वारा किए गए इस दावे कि, रवि मेहरा ओल्ड गीता कॉलोनी में रहता है, उसकी पुष्टि अभी तक की जांच के आधार पर नहीं कर सकते हैं. साथ ही हम इस कंपनी की जीएसटी फाइलिंग के बारे में पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं. इस बारे में कोई भी नई जानकारी मिलने पर स्टोरी को अपडेट किया जायेगा.
Conclusion
हमारी जांच में मिले अभी तक के साक्ष्यों से यह साफ़ है कि पाकिस्तानी कंपनी द्वारा सीधे तौर पर भारत में अपने नाम से इलेक्टोरल बॉन्ड ख़रीदे जाने का दावा फ़र्ज़ी है. लेकिन हम यह भी पुख्ता तौर पर नहीं कह सकते हैं कि चुनाव आयोग की लिस्ट में मौजूद HUB POWER COMPANY और जांच में मिली रवि मेहरा नाम के शख्स की HUB POWER COMPANY एक ही है.
Result: False
Our Sources
Tweet made by Pakistan business outlet HUBCO on 15th March
Press release by Ministry of Finance
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