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Claim
एस्ट्राजेनेका के वैक्सीन पर कबूलनामे के बाद दो ग्राफिक्स का एक कोलाज वायरल.
Fact
दोनों ग्राफिक्स पुराने हैं.
ब्रिटिश कोर्ट में कोवीशील्ड वैक्सीन बनाने वाली फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के कबूलनामे के बाद दो ग्राफिक्स का एक कोलाज वायरल हो रहा है. एक ग्राफिक्स में उत्तर प्रदेश के कानपुर में एक हफ्ते में हार्ट अटैक से 98 लोगों के मौत की खबर है. वहीं, दूसरे में लिखा हुआ है कोरोना वैक्सीन से मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं है.
हमने अपनी इस रिपोर्ट में दोनों ही ग्राफिक्स की पड़ताल की और पाया कि कानपुर वाला ग्राफिक्स जनवरी 2023 का है, जबकि दूसरा ग्राफिक्स नवंबर 2022 का है.
गौरतलब है कि बीते दिनों ब्रिटेन में जेमी स्कॉट नाम के एक व्यक्ति ने दावा किया कि एस्ट्राज़ेनेका की कोविड वैक्सीन के कारण उनके दिमाग़ को नुक़सान पहुंचा है. जेमी स्कॉट ने इसको लेकर ब्रिटेन की कोर्ट में मुकदमा दायर किया और आरोप लगाया कि एस्ट्राज़ेनेका की वैक्सीन ख़राब थी. वहीं एस्ट्राज़ेनेका ने ब्रिटिश कोर्ट में जमा किए गए क़ानूनी दस्तावेजों में यह माना कि उनकी कोरोना वैक्सीन से कुछ मामलों में टीटीएस यानी थ्रॉम्बोसिस विद थ्रॉम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम हो सकता है. टीटीएस की वजह से खून के थक्के जमना और प्लेटलेट की कमी होने लगती है. इसकी वजह से कई बार दिल का दौरा पड़ने लग जाता है और दिमाग और शरीर के अन्य हिस्से में खून जम जाता है.
वायरल हो रहे कोलाज में ऊपर वाला ग्राफिक्स कथित तौर पर एबीपी न्यूज का है, जिसमें लिखा हुआ है “कानपुर-1 हफ्ते में हार्ट अटैक से 98 मौत”. वहीं, दूसरा ग्राफिक्स कथित तौर पर आज तक का है, जिसमें लिखा हुआ है “कोरोना वैक्सीन से मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं”.
यह कोलाज हमें हमारे टिपलाइन नंबर पर प्राप्त हुआ है.
Fact Check/Verification
Newschecker ने वायरल कोलाज की पड़ताल के लिए सबसे पहले दोनों ग्राफिक्स को संबंधित चैनल पर खंगाला. इस दौरान हमें यह ग्राफिक्स नहीं मिला. लेकिन हमें ग्राफिक्स में किए जा रहे दावे से संबंधित रिपोर्ट दोनों न्यूज चैनल की वेबसाइट पर मिली.
10 जनवरी 2023 को एबीपी न्यूज की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट में कानपुर में एक सप्ताह के अंदर 98 लोगों की हार्ट अटैक से मौत की खबर थी. हालांकि, रिपोर्ट में बताया गया था कि ये मौतें कड़ाके की ठंड और शीतलहर के दौरान हुई थी. रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि “ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में खून का थक्का जम रहा है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ रहा है”. हालांकि इस रिपोर्ट में कहीं भी हार्ट अटैक की वजह कोविड वैक्सीन नहीं बताई गई थी.
इसके अलावा, हमें इससे जुड़ी रिपोर्ट आजतक की वेबसाइट पर भी 8 जनवरी 2023 को प्रकाशित मिली. इस रिपोर्ट में कानपुर के एलपीएस हृदय रोग संस्थान के हवाले से बताया गया था कि एक सप्ताह में 98 लोगों की हार्ट और ब्रेन अटैक से मौत हुई, जिनमें से 44 की मौत हॉस्पिटल में हुई और वहीं 54 लोगों ने इलाज से पहले ही दम तोड़ दिया. रिपोर्ट में कार्डियोलॉजी के निदेशक विनय कृष्णा का बयान भी मौजूद था, जिसमें कहा गया था कि ठंड में अचानक ब्लड प्रेशर बढ़ने से नसों में खून का थक्का जम जा रहा है, जिससे हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक पड़ रहा है. हालांकि, इस रिपोर्ट में भी मौत की वजह कोविड वैक्सीन नहीं बताई गई थी.
हालांकि हम स्वतंत्र रूप से इसकी पुष्टि नहीं कर सकते हैं कि इनमें से किसी मौत की वजह कोरोना वैक्सीन थी या नहीं.
इसके बाद हमने दूसरे ग्राफिक्स की पड़ताल की, जिसमें लिखा हुआ था कि “कोरोना वैक्सीन से मौत के लिए सरकार जिम्मेदार नहीं”. इस दौरान हमें आजतक की वेबसाइट पर 29 नवंबर 2022 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि साल 2021 में दो युवतियों की मौत कथित तौर पर कोरोना वैक्सीनेशन के बाद हुई थी. जिसके बाद युवतियों के माता पिता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जवाब मांगा था. केंद्रीय स्वास्थ्य व परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामा दाखिल किया था और कहा था कि टीकों के प्रतिकूल प्रभाव के कारण हुई मौतों व मुआवजे के लिए केंद्र को जिम्मेदार मानना कानूनी रूप से उचित नहीं होगा.
जांच में हमें इससे जुड़ी रिपोर्ट द लल्लनटॉप की वेबसाइट पर भी मिली. इस रिपोर्ट में बताया गया था कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए जवाब में कहा कि वह वैक्सीन से हुई मौतों की जिम्मेदार नहीं है. साथ ही सरकार ने यह भी कहा कि मृतकों और उनके परिजनों के प्रति उसकी पूरी हमदर्दी है. लेकिन वैक्सीन से होने वाले किसी भी तरह के साइड इफेक्ट (AEFI) के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता है.
इसके बाद हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाते हुए यह भी पता करने की कोशिश की कि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से अभी तक कितने लोगों की मौत कोरोना वैक्सीन लेने की वजह से हुई है. हमें स्वास्थ्य मंत्रालय की तरफ से 17 मई 2022 को जारी की गई रिपोर्ट मिली.
इस रिपोर्ट में कोरोना वैक्सीन लेने के बाद हुई 254 लोगों की मौत की जांच की गई थी. रिपोर्ट में यह बताया गया था कि इनमें से 78 मामलों में वैक्सीन से सीधा संबंध था. वहीं 122 मामलों का टीकाकरण से सीधा संबंध नहीं बताया गया था. इसके अलावा 33 मामलों को अनिश्चित श्रेणी में और 21 मामलों को अवर्गीकृत श्रेणी में रखा गया था.
इसके बाद हमने यह भी जानने की कोशिश की कि कोरोना वैक्सीन से टीटीएस होने की संभावना कब तक रहती है. इस दौरान द वायर की वेबसाइट पर 1 मई 2024 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में एक ऑस्ट्रेलियन रिपोर्ट के हवाले से बताया गया था कि टीका लगने के चार से 42 दिनों के भीतर गंभीर और प्रतिकूल प्रभाव विकसित हो सकते हैं. इसके अलावा टीटीएस थोड़े समय के भीतर विकसित हो सकता है, ना कि टीकाकरण के वर्षों बाद.
इस रिपोर्ट में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज (सीएमसी) वेल्लोर के संक्रामक रोग विशेषज्ञ जैकब जॉन का बयान भी मौजूद था. जिन्होंने यह बताया था कि टीटीएस होने की यह अवधि 3-6 महीने तक भी बढ़ सकती है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया था कि इतिहास में किसी भी वायरस के खिलाफ कोई ऐसा टीका नहीं बना है जो 100% सुरक्षित हो. कई टीके जिनका उपयोग दशकों से किया जा रहा है, वह भी पूरी तरह से सुरक्षित नहीं है. इतना ही नहीं पोलियो टीके से भी दुर्लभ मामलों में पोलियोमाइलाइटिस रोग होने की संभावना रहती है.
Conclusion
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह साफ़ है कि दोनों वायरल ग्राफिक्स पुराने हैं.
Result: Missing Context
Our Sources
Article Published by ABP on 10th Jan 2023
Article Published by AAJ Tak on 29th Nov 2022
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