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AI/Deepfake
अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने काबा जाकर दुआ मांगी.
वायरल तस्वीरें असली नहीं है. ये एआई से बनाई गई हैं और इन तस्वीरों का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.
अखिलेश यादव की काबा में दुआ मांगते हुए तस्वीरों का एक कोलाज सोशल मीडिया पर वायरल है, जिसमें वे एहराम (हज या उमराह के दौरान मुस्लिम तीर्थयात्रियों द्वारा पहनी जाने वाली विशेष पोशाक) पहने सऊदी अरब के मक्का स्थित इस्लाम के पवित्र धार्मिक स्थल काबा के सामने दुआ मांगते हुए दिखाई दे रहे हैं. तस्वीर के ज़रिये सोशल मीडिया यूज़र्स इसे सांप्रदायिक रंग देते हुए दुष्प्रचार के इरादे से शेयर कर रहे हैं.
हालांकि, हमारी जांच में सामने आया कि वायरल तस्वीरें असली नहीं, बल्कि AI से जनरेट की गई हैं.
एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूज़र ने तस्वीर शेयर करते हुए लिखा, “इंटरनेट पे ये दो फोटो वायरल हो रहा है!! क्या अखिलेश मुल्ला हो चुका है ✅ या अभी कुछ यदु बचा है.” इस पोस्ट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है. इसी तरह के कैप्शन के साथ तस्वीर को अन्य यूज़र्स ने भी शेयर किया है. पोस्ट्स को यहां, यहां और यहां है.

सबसे पहले, भारत में किसी प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति के किसी धार्मिक स्थल पर जाने की ख़बरें आमतौर पर मीडिया में व्यापक कवरेज पाती हैं. यदि अखिलेश यादव ने वास्तव में मक्का की यात्रा की होती, तो यह न केवल मीडिया बल्कि राजनीतिक हलकों में भी चर्चा का विषय होती, जबकि वायरल तस्वीर से जुड़ी ऐसी कोई विश्वसनीय मीडिया रिपोर्ट या आधिकारिक जानकारी मौजूद नहीं है. ये तस्वीरें केवल सोशल मीडिया पोस्ट्स तक सीमित हैं.
अखिलेश यादव की काबा में दुआ मांगते हुए तस्वीर का सच क्या है?
तस्वीर का बारीकी से विश्लेषण करने पर इसमें कई ऐसी विसंगतियां दिखाई देती हैं, जो इसके एआई-जनरेटेड होने की ओर इशारा करती हैं. बैकग्राउंड में दिख रही प्राकृतिक धूप की तुलना में चेहरे पर लाइटिंग असामान्य रूप से स्मूथ और सपाट नजर आती है. अखिलेश यादव के चारों ओर किनारे (edges) भी अननेचुरल दिखते हैं, जो एआई कंपोज़िट इमेज में आमतौर पर देखे जाते हैं. इसके अलावा, काबा की चौड़ाई असामान्य रूप से वास्तविक संरचना से कम प्रतीत होती है- ऊपरी और निचले हिस्से की चौड़ाई में स्पष्ट अंतर दिखता है. साथ ही, काबा के पीछे दिखाई दे रही दीवारों की वास्तुकला भी मूल संरचना से मेल नहीं खाती.
AI डिटेक्शन टूल्स ने तस्वीर को एआई-जनरेटेड बताया
हमने वायरल तस्वीर को गूगल के Gemini चैटबॉट के माध्यम से SynthID टूल पर जांचा, जहां स्पष्ट रूप से इसे एआई-जनरेटेड बताया गया.

इसके अलावा, AI इमेज डिटेक्टर टूल Sightengine ने 99% संभावना के साथ तस्वीर को AI-जनरेटेड बताया, जबकि Hive Moderation ने इसे AI-जनरेटेड/डीपफेक बताते करते हुए 99.9% स्कोर दिया.

वहीं, अखिलेश यादव और उनकी सांसद पत्नी डिंपल यादव की वायरल तस्वीर के दाईं ओर नीचे एक लोगो भी दिखाई देता है, जो गूगल के एआई मॉडल ‘Gemini’ का है. आमतौर पर यह लोगो तभी दिखाई देता है जब किसी तस्वीर या वीडियो को Gemini AI की मदद से तैयार किया गया हो.
Gemini चैटबोट के ज़रिए इस तस्वीर को सर्च करने पर पुष्टि हो जाती है कि यह तस्वीर गूगल AI मॉडल से ही जनरेट की गई है.

इसके अलावा, हमने अखिलेश यादव और डिंपल यादव की सऊदी अरब यात्रा से जुड़े किसी भी हालिया रिकॉर्ड या मीडिया रिपोर्ट की पुष्टि के लिए गूगल पर संबंधित कीवर्ड्स सर्च किए. लेकिन इस तरह की कोई विश्वसनीय जानकारी या कवरेज नहीं मिली. साथ ही, अखिलेश यादव के आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट्स पर भी ऐसी किसी यात्रा का कोई ज़िक्र मौजूद नहीं है.
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स्पष्ट है कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव की वायरल तस्वीरें एआई के जरिए बनाई गई हैं और इन्हें दुष्प्रचार की मंशा से सोशल मीडिया पर शेयर किया जा रहा है. इन तस्वीरों का वास्तविकता से कोई संबंध नहीं है.
Sources
Google Gemini – SynthID (AI content detection tool)
Sightengine (AI image detection)
Hive Moderation (AI/deepfake detection)
Authentic reference images and videos of the Kaaba
Runjay Kumar
December 12, 2025
Runjay Kumar
December 11, 2025
JP Tripathi
December 11, 2025