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Common Myth
क्या आपको मालूम है कि चमगादड़ दिन में सोते हैं? दिन के वक्त पेड़ पर उलटे लटके चमगादड़ अपनी नींद पूरी करते हैं क्योंकि वो रात को जागते हैं पर ऐसा है क्यों? हम सुनते आ रहे हैं कि चमगादड़ एक ऐसा पक्षी है जिसे दिन में दिखाई नहीं देता। चमगादड़ की यह ख़ासियत है कि जब हम सब लोग सो जाते हैं तब वो शिकार करने निकलते हैं और अपने लिए खाने की भी तलाश रात को ही करते हैं। लेकिन क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें दिन में दिखाई नहीं देता?
ऐसा नहीं है कि चमगादड़ दिन में बिल्कुल नहीं देख सकते पर रात के अंधेरे में ये ज्यादा बेहतर देख पाते हैं। दिन में रौशनी के कारण यह बहुत कम देख पाते हैं। इनकी आंखें बहुत छोटी और इनकी दृष्टि बेहद संवेदनशील होती हैं, जिसकी वजह से ये रात के अंधेरे में भी देख पाते हैं। चमगादड़ के लिए दिन की अपेक्षा रात में उड़ना ज्यादा आसान होता है। इंसानों की इनकी दृष्टि तेज़ व रंगीन नहीं होती।
चमगादड़ जब उड़ता है तो मुंह से उच्च आवृति की ध्वनि निकालता है। इन तरंगों को पराश्रव्य तंरगे कहते हैं। ये तंरगे सीधी रेखा में चलती हैं। चमगादड़ के मुंह से निकली हुई ये तंरगे जब किसी वस्तु से टकराती हैं तो ये परावर्तित होकर चमगादड़ के कानों तक पहुंचती हैं। चमगादड़ के कान इन तरंगों के प्रति बड़े ही संवेदनशील होते हैं। इन तरंगों की सहायता से चमगादड़ों को पता चल जाता है कि कौन-सी वस्तु कहां है और वे उनसे बच कर निकल जाते हैं।
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