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Common Myth
हमारी जीभ के अलग-अलग हिस्से अलग-अलग स्वाद का अनुभव कराते हैं, जीभ के सबसे ऊपरी भाग से हमें मीठे का स्वाद आता है, जीभ के दोनों किनारें हमें नमक का स्वाद बताते हैं, इसके पीछे का हिस्सा हमें खट्टे का स्वाद कराता है तो सबसे पीछे वाला हिस्सा कड़वे स्वाद का अनुभव कराता है।
Fact
स्कूल के दिनों से हम ये मानते आए हैं कि जीभ के अलग-अलग हिस्से हमें मीठे, नमकीन, खट्टे और कड़वे स्वाद का अनुभव कराते हैं। कितनी ही बार हुआ है कि हम इस तथ्य से कभी पूरी तरह सहमत नहीं हो पाए। लेकिन कई वैज्ञानिकों ने इसे गलत साबित कर दिया है। कोलंबिया युनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने हमारी जीभ में मौजूद लगभग 8 हजार से ज्यादा टेस्ट बड्स का अध्ययन किया और पाया कि हमें ये सभी टेस्ट बड्स हर स्वाद का अनुभव कराती हैं। अपने अध्ययन के दौरान उन्होंने पाया कि ये जीभ नहीं बल्कि मस्तिष्क है जो हमें इन टेस्ट बड्स द्वारा भेजे गए अलग-अलग संकेतों की व्याख्या देता है।
ये खोज चूहों को अलग-अलग रसायन पिला कर की गई है। जिससे उनके टेस्ट बड्स द्वारा भेजे गए संकेतों को ध्यान से पढ़ा जा सके।
कैसे फैला भ्रम?
ये भ्रम क्यों और कैसे फैला ये जानने के लिए हमें काफी पीछे जाना होगा, जर्मनी के वैज्ञानिक डी. पी हैनिग ने मूलभूत स्वादों (मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा ) के अनुभव का पता लगाने के लिए टेस्ट बड्स का अध्ययन किया। अपने 1901 में जारी किए गए पेपर में उन्होंने जीभ को अपने अध्ययन के अनुसार अलग-अलग हिस्सों में बांट दिया। आगे चलकर किसी ने भी इस अध्ययन पर सवाल नहीं उठाए और ये भ्रम इसी तरह पीढ़ी दर पीढ़ी फैलता गया।
आप चाहें तो खुद भी जीभ के अलग-अलग हिस्सों पर इन सभी स्वादों का अनुभव कर, इस भ्रम को दूर कर सकते हैं।
Sources
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