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Common Myth
इस ड्रेस का रंग जिसे सफेद और गोल्डन दिखता है यानि कि वो अपने दिमाग के बाएं हिस्से का इस्तेमाल करता है और जिसे ड्रेस में नीला और काला रंग नज़र आता है वो अपने दिमाग का दांया हिस्सा इस्तेमाल करता है।

कुछ साल पहले रंग को लेकर चर्चा में रही एक ड्रेस एक बार फिर वायरल हो रही है। इस ड्रेस की तस्वीर शेयर कर पूछा जा रहा है कि आपको इस ड्रेस का रंग क्या दिख रहा है। दावा किया जा रहा है कि जिसे इस ड्रेस का रंग सफेद और गोल्डन दिखा है वो शख्स अपने लेफ्ट ब्रेन यानि दिमाग के बाएं हिस्सा इस्तेमाल करता है और जिन्हें ये ड्रेस नीली और काली दिख रही है वो सभी राइट ब्रेन यानि दांए हिस्से का इस्तेमाल करते हैं। क्या ऐसा वाकई है कि कुछ लोग अपने राइट ब्रेन का इस्तेमाल करते हैं तो कुछ दांए?
Blue and black? Or white and gold? Color of dress divides netizens https://t.co/lo5ABvqAEH pic.twitter.com/x3URXSRw5d — Inquirer (@inquirerdotnet) February 28, 2015
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हमने इस तस्वीर को अपने दफ्तर में कई लोगों को दिखाया, कुछ को इसका रंग सफेद और गोल्डन लगा तो कुछ को नीला और काला। लेकिन ये दावा कितना सही है कि ऐसा केवल इसलिए हुआ क्योंकि कुछ लोग अपना राइट ब्रेन इस्तेमाल करते हैं और कुछ लेफ्ट?
BBC के एक लेख के मुताबिक अमेरिका की उटाह यूनिवर्सिटी के ब्रेन रिसर्चर जेफरी एंडरसन कहते हैं कि, बिल्कुल ऐसा है कि कुछ लोग यथाक्रम और तार्किक शैली का इस्तेमाल करते हैं और कुछ बेहिचक और स्वाभाविक तौर पर चीज़ों को देखते और समझते हैं हालांकि इसका लेफ्ट और राइट ब्रेन से कोई लेना नहीं है।
एंडरसन ने अपनी टीम के साथ मिलकर लगभग एक हजार से ज्यादा लोगों पर शोध किया और पाया कि सभी अपने मस्तिष्क के दोनों हिस्सों का बराबर इस्तेमाल करते हैं। एक ही हिस्से का इस्तेमाल किसी ने भी नहीं किया।
ये राइट और लेफ्ट ब्रेन की धारणा एक नॉबेल विजेता रिसर्च से निकली है जिसमें बताया गया है कि मस्तिष्क का हर हिस्सा एक अलग तरीके से काम करता है। हालांकि मस्तिष्क का दो हिस्सों में बंटवारा पॉप साइकोलॉजी (मनोविज्ञान) की देन है जो मानती है कि हमारे मस्तिष्क का एक हिस्सा भावनात्मक है और दूसरा तार्किक।
The Gaurdian में ड्रेस के रंग के रहस्य को तस्वीरों के जरिए बेहद अच्छे से समझाया गया है। लेख के मुताबिक इस तरह की तस्वीरों में दिखाई दे रही चीज के रंग उसकी आसपास की चीज़ों के रंगों की वजह हमारी आंखों को धोखा दे जाते हैं और हम ठीक से रंग पहचान नहीं पाते। हम चीज़ों को रोशनी के रिफ्लेक्शन की वजह से देख पाते हैं। जब हम किसी चीज को देखते हैं तो रोशनी अलग-अलग वेवलेंथ यानि तरंगों के साथ आंख में प्रवेश करती है (ये तरंगे रंगों के अनुरूप होती हैं)। ये रोशनी रेटीना में पहुंची है जहां से हमारे मस्तिष्क को संकेत पहुंचते हैं। न्यूरोसाइंटिस्ट बेविल कॉन्वे कहते हैं कि कई लोगों को सफेद बैकग्राउंड पर दिख रहा नीला रंग को नीला देखता है और कुछ लोगों को काले बैकग्राउंड पर नीला रंग सफेद दिख सकता है।


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