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बांग्लादेश में पिटाई से घायल युवकों की पुरानी तस्वीर भारत में कोरोना वायरस के सन्दर्भ में की गई शेयर

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Claim- 

जितना आज दिहाड़ी, रेहड़ी  हाइवे पर चलते लोगों को मारकर सख्ती की जा रही है, अगर इसकी 10% भी कोरोना चेतावनी पर अंतराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर कर ली जाती तो भारत सुरक्षित रहता ।. 

जानिए वायरल दावा क्या है- 

कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में प्रधानमंत्री द्वारा 21 दिनों की बंदी का ऐलान किया गया है। इस बंदी के बीच सोशल मीडिया पर ऐसे कई वीडियो शेयर हो रहे हैं। बंदी के नियमों का पालन न करने वाले लोगों पर पुलिस कड़ी कार्रवाई करते नजर आ रही है। इसी बीच सोशल मीडिया पर घायल दिख रहे दो व्यक्तियों की तस्वीरें शेयर कर दावा किया जा रहा है कि इन दिहाड़ी मज़दूरों पर पुलिस द्वारा बर्बरता की गयी है।  

Verification- 

पूरी दुनिया में अपने संक्रमण से कोहराम मचाने वाले कोरोना वायरस ने अब अपना कहर  भारत में बरपाना शुरू कर दिया है। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप को रोकने के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने 21 दिनों तक पूरे भारत में बंदी का ऐलान किया है। जनता से बंदी के नियमों का पूर्ण रूप से पालन कराने अथवा बंदी के नियमों का उल्लंघन न होने के लिए पुलिस को इसकी ज़िम्मेदारी दी गयी है।  इसके साथ नियमों का पालन न करने वाले लोगों पर कड़ी कार्रवाई के लिए सरकार द्वारा पुलिस को हिदायत दी गयी है। इसी बीच ट्विटर पर दो घायल व्यक्तियों की तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि इन दिहाड़ी मजदूरों पर पुलिस द्वारा बर्बरता की गयी है। 

वायरल दावे को ट्विटर और फेसबुक पर खूब शेयर किया जा रहा है।  

 इस वायरल दावे को ट्विटर पर Faye Dsouza  एवं Dr Udit Raj नामक ब्लू टिक वाले हैंडल से भी शेयर किया गया है। 

 

 

 

इसी कड़ी में हमें फेसबुक पर भी वायरल दावा कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया प्राप्त हुआ।  

वायरल तस्वीरों का सच जानने के लिए गूगल तस्वीरों को खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें सबसे पहले हमें  matinews नामक वेबसाइट पर बंगाली भाषा में साल 2017 को प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ।  

गूगल ट्रांसलेशन की सहायता हमने जाना कि साल 2017 में  बंग्लादेश की राजधानी ढाका में ट्रैफिक पुलिस द्वारा एक रिक्शा चालक पर की गयी बर्बरता की तस्वीर है। 

इसके बाद वायरल पोस्ट में दूसरी अपलोड हुई तस्वीर में दिख रहे घायल युवक की जानकारी प्राप्त करने के लिए खोजना शुरू किया।   इस दौरान सबसे पहले हमें citizen diptonil Dutta नामक फेसबुक पेज पर वायरल तस्वीर प्राप्त हुई जहां इस तथ्य की जानकारी दी गयी है कि यह तस्वीर बंग्लादेश की है।  

इसी कड़ी में हमें Rajshahi medical college नामक फेसबुक पेज पर वायरल तस्वीर 17 जून साल 2019 को अपलोड हुई है।

इसी दौरान हमें  West Bangla Police नामक ट्विटर हैंडल पर वायरल तस्वीर Fake Post Alert हैशटैग के साथ अपलोड प्राप्त हुई।

ट्वीट में बताया गया है कि वायरल तस्वीर साल 2019 की है। जिसे इन दिनों भ्रामक दावों के साथ शेयर किया जा रहा है।    

पड़ताल के दौरान कई टूल्स और कीवर्ड्स का उपयोग करते हुए तथ्यों का बारीकी से अध्ययन करने पर पता चला कि जिस तस्वीर को वायरल किया जा रहा है उसका कोरोना या फिर भारत से कोई सम्बन्ध नहीं है  

 

Tools Used 

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Result- False 

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़ताल, संशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in

Authors

A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

Nupendra Singh
A rapid increase in the rate of fake news and its ill effect on society encouraged Nupendra to work as a fact-checker. He believes one should always check the facts before sharing any information with others. He did his Masters in Journalism & Mass Communication from Lucknow University.

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