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क्या कोरोना संक्रमित मरीज़ की पहचान 10 सेकेंड तक सांस रोकने से होती है? पढ़े वायरल दावे की पूरी पड़ताल

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म शेयरचैट पर एक स्क्रीनशॉट तेज़ी से वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है कि कोरोना के पॉजिटिव और नेगेटिव के खेल से रहें सावधान। पोस्ट में कहा जा रहा है कि, ज्ञात हुआ है कि अभी हल्की सर्दी-खांसी वालों को भी कोरोना जांच कराने पर कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि खोज करने का वक्त नहीं मिला है। पहले जांच के चक्कर में न पड़कर स्वयं आत्म परीक्षण करें:- 

1. कोई सुगंधित फूल को सूंघे, अगर सुगंध मिले तो नेगेटिव

2. गुड़ खाएं अगर मीठा लगे तो नेगेटिव है। 

3. अपनी सांस 30 सेकेंड तक रोकें। यदि रोकने में सफल हैं तो नेगेटिव है। क्योंकि कोरोना पॉजिटिव होने पर 10 सेकेंड भी सांस रोकना मुश्किल हो जाएगा।

अपनी सांस 30 सेकेंड तक रोकें। यदि रोकने में सफल हैं तो नेगेटिव है। क्योंकि कोरोना पॉजिटिव होने पर 10 सेकेंड भी सांस रोकना मुश्किल हो जाएगा।
शेयरचैट पर वायरल दावा

Fact Check/Verification

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे की सत्यता जानने के लिए सबसे पहले हमने World Health Organization की आधिकारिक वेबसाइट पर डब्लूएचओ द्वारा प्रकाशित Myth Buster सेक्शन खंगाला।

जहां खोज के दौरान हमने जाना कि 10 सेकेंड तक सांस रोकने से कोरोना का परीक्षण हो जाने वाली बात महज़ एक अफ़वाह है। WHO का कहना है कि कोरोना के सामान्य लक्षण सूखी खांसी, बुखार और थकान है। कोरोना से पीड़ित कुछ लोगों में निमोनिया के लक्षण भी पाए जा सकते हैं। कोई व्यक्ति कोरोना संक्रमित है या नहीं इसका पता केवल लैब टेस्ट कराने पर ही पता लग सकता है।

 WHO का कहना है कि कोरोना के सामान्य लक्षण सूखी खांसी, बुखार और थकान है। कोरोना से पीड़ित कुछ लोगों में निमोनिया के लक्षण भी पाए जा सकते हैं।

अधिक जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से गूगल खंगालना आरंभ किया। पड़ताल के दौरान हमें वायरल दावे से संबंधित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिली।

अधिक जानकारी हासिल करने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से गूगल खंगालना आरंभ किया। पड़ताल के दौरान हमें वायरल दावे से संबंधित कुछ मीडिया रिपोर्ट्स मिली।

पड़ताल के दौरान हमें आज तक और दैनिक जागरण द्वारा प्रकाशित की गई मीडिया रिपोर्ट्स मिली। 

यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर डॉक्टर फहीम यूनुस ने बताया कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे में कोई सच्चाई नहीं है।

इन रिपोर्ट्स के मुताबिक यूनिवर्सिटी ऑफ मैरीलैंड के चीफ क्वालिटी ऑफिसर डॉक्टर फहीम यूनुस ने बताया कि सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे में कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने बताया कि “पूरी दुनिया में कई सारे ऐसे कोरोना मरीज़ भी हैं जो 10 सेकेंड से ज्यादा अपनी सांस रोक पाने में सक्षम हैं।” जबकि कई बुज़ुर्ग कोरोना वायरस पीड़ित ना होने पर भी इतनी देर तक अपनी सांस नहीं रोक सकते हैं। 

Conclusion

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि 10 सेकेंड तक सांस रोकने वाला दावा सही नहीं है। पड़ताल में हमने पाया कि कई कोरोना संक्रमित मरीज़ 10 सेकेंड से ज्यादा देर तक सांस रोकने में सक्षम हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी वायरल दावे को एक अफ़वाह बताया है। 


Result: False


Our Sources

WHO https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/advice-for-public/myth-busters#breath 

AAJ TAK https://aajtak.intoday.in/gallery/10-seconds-breath-control-can-reveals-you-are-not-corona-virus-patient-tlif-7-47836.html 

Dainik Jagran https://www.jagran.com/lifestyle/health-can-someone-self-diagnose-coronavirus-by-holding-breath-for-10-seconds-20228043.html 


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