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बिहार की पोल्ट्री फार्म्स की मुर्गियों में नहीं फैला कोरोना वायरस, सोशल मीडिया में वायरल हुआ भ्रामक दावा

Claim:

बिहार स्वास्थ्य विभाग द्वारा मुर्गी पोल्ट्री प्रोडक्ट्स में कोरोना वायरस की पुष्टि की गई है।

जानिए क्या है वायरल दावा:

शेयरचैट पर हिंदी अखबार दैनिक जागरण की एक कटिंग वायरल हो रही है। वायरल अखबार की कटिंग में दावा किया जा रहा है कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री ने पोल्ट्री प्रोडक्ट्स में कोरोना वायरस की पुष्टि करते हुए लोगों से चिकन और अंडा उत्पाद ना खाने की सलाह दी है।

अखबार की कटिंग में कहा जा रहा है कि बिहार स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि शनिवार की सुबह दस अलग-अलग जगहों से पोल्ट्री फार्म्स से मुर्गों का सैंपल पटना लाया गया जहां पर मुर्गों में कोरोना वायरस सामने आया है। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य के लोगों को हिदायत देते हुए कहा है कि लोग पोल्ट्री मुर्गा खाने से दूर रहें एवं पोल्ट्री उद्योग के मालिकों को हिदायत दी है कि वह इस समय अपने उद्योग को जितना जल्दी हो सके बंद कर दें ताकि आम लोगों में वायरस ना फैले। सैंपल अभी निम्नलिखित जगहों से ले जाया गया है- मुंगेर, आरा बक्सर, जमुई, लखीसराय, कटिहार, सिवान, बेगूसराय, पटना।

Verification:

चीन से शुरू हुआ कोरोना का संक्रमण भारत सहित दुनिया पर कहर बनकर टूटा है। वैश्विक महामारी (COVID-19) के कारण मुर्गों की कीमत में भारी गिरावट आई है। जिसके चलते मुर्गी पालन करने वाले कुछ लोग तो अपने फॉर्म की हज़ारों मुर्गियों को जिंदा दफन कर रहे हैं। कोरोना वायरस की वजह से देश में कई फ़ेक खबरें भी वायरल हो रही हैं। इसी को लेकर एक दावा तेज़ी से शेयर किया जा रहा है। वायरल दावे में कहा जा रहा है कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग को मुर्गियों में कोरोना का संक्रमण मिला है। 

देखा जा सकता है कि वायरल दावे को फेसबुक पर भी शेयर किया जा रहा है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रही अखबार की कटिंग को ध्यान से पढ़ने पर हमने उसमें कई खामियां पाई हैं। जिससे साफ पता लगता है कि इसे जानबूझकर अफ़वाह फैलाने के लिए साझा किया गया है। इसके साथ ही वायरल कटिंग में जिस फॉन्ट का इस्तेमाल किया गया है वो दैनिक जागरण से बिलकुल अलग है। वहीं ध्यान से देखने पर नज़र आएगा कि जो तारीख दी गई है वो भी इंग्लिश में है। साथ ही पूरी खबर में बहुत सारी स्पेलिंग मिस्टेक्स को भी साफ देखा जा सकता है। 

नीचे आप दैनिक जागरण अखबार में इस्तेमाल किए जाने वाले फॉन्ट को भी देख सकते हैं। 

कुछ कीवर्ड्स की मदद से हमने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे को खंगाला। पड़ताल के दौरान हमें 19 मार्च, 2020 को प्रकाशित आज तक की एक रिपोर्ट मिली। लेख पढ़ने के बाद हमने जाना कि बिहार में कोरोना वायरस को लेकर उड़ी अफवाह के चलते पोल्ट्री व्यवसाय पूरी तरह ठप हो गया है। खुदरा बाज़ार में 150 से 160 रूपए प्रति किलोग्राम बिकने वाला चिकेन फिलहाल 50 रूपए और 60 रूपए प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा है।  

https://aajtak.intoday.in/story/corona-havoc-on-poultry-business-in-bihar-chicken-market-crash-down-tutd-1-1172854.html

ऊपर मिली जानकारी से यह स्पष्ट नहीं हुआ कि बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने पोल्ट्री  में कोरोना वायरस की पुष्टि की है या नहीं। मुर्गी को लेकर किए जा रहे दावे से संबंधित जानकारी को खोजने के लिए हमने World Health Organization की आधिकारिक वेबसाइट को खोजा जहां हमें वायरल दावे से मिलती जुलती कोई खबर नहीं मिली। WHO द्वारा जारी दिशा निर्देश में कहीं भी पोल्ट्री से मनुष्य में वायरस फैलने की बात नहीं कही गयी है। हालांकि कच्चे और आधे पके हुए मांस और दूध दोनों चीज़ों से बचने का निर्देश दिया गया है। 

अधिक जानकारी के लिए हमने Animal & Fisheries Resources Department की आधिकारिक वेबसाइट को खोजा। तह तक जाने के लिए हमने वेबसाइट पर दिए गए नंबर पर संपर्क किया। जब हमने फोन किया तो संजीव कुमार नाम के एक कर्मचारी ने फोन उठाया। फिर हमने उनसे वायरल खबर के बारे में पूछा। उन्होंने वायरल खबर को फर्ज़ी बताया और कहा कि बिहार सरकार और पशु विभाग के बीच बैठक के बाद यह घोषणा की गई है कि पोल्ट्री चिकन, बकरी का मांस और मछली खाने से कोरोनावायरस नहीं होता है।

 

वायरल दावे की तह तक जाने के लिए हमने Bihar Health Department के ट्विटर हैंडल को खोजना शुरू किया। पड़ताल के दौरान हमें 15 अप्रैल, 2020 को बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किया गया एक ट्वीट मिला। इस ट्वीट में वायरल दावे को फर्ज़ी बताया गया है। 

फेसबुक पर भी बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग ने 15 अप्रैल, 2020 को फेसबुक पोस्ट के माध्यम से पोल्ट्री प्रोडक्ट्स में कोरोना वायरस पाए जाने वाले दावे का खंडन किया है। 

https://www.facebook.com/BiharGovtHealthDept/photos/a.507776032987300/918778055220427/?type=3&theater

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन  करने पर हमने पाया कि लोगों को भ्रमित करने के लिए यह दावा किया जा रहा है।

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