शुक्रवार, नवम्बर 22, 2024
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एस्प्रिन से नहीं किया जा सकता कोरोना का उपचार, वायरस को बैक्टीरिया बताकर शेयर किया गया फेक दावा

Claim:

कोविड-19 एक बैक्टीरिया है और इसका इलाज ऐस्प्रिन से किया जा सकता है।

जानिए क्या है वायरल दावा:

ट्विटर पर Amun Ra नामक यूज़र द्वारा दावा किया जा रहा है कि इटली ने कोविड-19 पीड़ितों पर परीक्षण किया और पता चला कि यह एक वायरस नहीं बल्कि बैक्टीरिया है। यह खून को जमा देता है और ऑक्सीजन की कमी को कम करता है। उनका कहना है कि वेंटिलेटर समय और पैसे की बर्बादी करता है। जबकि वो लोग ऐस्प्रिन से कोविड-19 का इलाज कर रहे हैं और यह सक्सेस भी हो रहा है।

Verification:

पिछले साल चीन के वुहान शहर से पैदा हुआ कोरोना वायरस अब तक लाखों लोगों को अपना शिकार बना चुका है। पूरी दुनिया में फैला यह वायरस थमने का नाम नहीं ले रहा है। यूरोप में कोरोना वायरस ने सबसे पहले इटली को अपना शिकार बनाया था। यहां कुल 2,32, 997 केस पाए गए और अबतक 33,415 मौतें हुई हैं। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर कोरोना वायरस के इलाज को लेकर तरह-तरह की खबरें आती रहती हैं। वायरल हो रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स के माध्यम से पड़ताल आरंभ की। 

दावे के आर्काइव वर्जन को यहां देख जा सकता है।

देखा जा सकता है कि वायरल दावे को ट्विटर पर कई यूज़र्स द्वारा शेयर किया गया है। 

वायरल दावे को सत्यता जानने के लिए सबसे पहले World Health Organization की आधिकारिक वेबसाइट को खंगाला। खोज के दौरान हमने पाया कि WHO ने अपने Myth Buster सेक्शन में कोरोना वायरस से जुड़ी कई अफवाहों का खंडन किया हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से होने की अफवाह का खंडन किया है। WHO ने इस खबर को गलत बताया है और साथ ही यह भी बताया है कि COVID-19 एक वायरस है। 


कुछ कीवर्ड्स की मदद से खोज आगे बढ़ाने पर हमें Pre Print द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक COVID-19 एक ऐसा वायरस है जो किसी भी मरीज़ के फेफड़ों को संक्रमित करता है। यह ऐसा वायरस है जो कोरोना मरीज की सांस नली और फेफड़ों पर हमला करता है। साथ ही कोरोना वायरस ‘सार्स’ और ‘मार्स’ वायरस के परिवार का ही सदस्य है और एक दूसरे से मिलता-जुलता भी है। 

यह साबित हो चुका है कि कोरोना वायरस, SARS और MARS जैसे ही वायरस की तरह फैलता है। लेकिन कोविड-19 कोई बैक्टीरिया नहीं बल्कि वायरस ही है। 

कुछ अध्ययनों में COVID-19 और खून के थक्के (Blood Clots) के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध पाया गया है। कोविड​​-19 के लक्षण वाले मरीज़ में Coagulation abnormalities वाले लक्षण दिख सकते हैं। लेकिन यह दावा करना गलत है कि COVID-19 खून का थक्का (Thrombosis) है।

WHO की आधिकारिक वेबसाइट पर हमने यह खोजा कि क्या कोरोना वायरस का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से हो सकता है। पड़ताल में हमने पाया कि एंटीबायोटिक दवाएं केवल बैक्टीरिया के खिलाफ काम करती है। जैसा कि अब हम जानते हैं, COVID-19 वायरस के कारण होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन बताता हैं कि (2019-nCOV) New Coronavirus एक वायरस है। साथ ही एंटीबायोटिक्स का उपयोग संक्रमण को रोकने या इलाज के लिए नहीं किया जा सकता है।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि इटली ने कोरोना वायरस को बैक्टीरिया नहीं बताया है और न ही कोरोना वायरस का इलाज खोजा है। पड़ताल में हमने पाया कि कोविड-19 के बैक्टीरिया होने का दावा और इसका इलाज ऐस्प्रिन से किए जाने की बात केवल एक अफ़वाह है। लोगों को भ्रमित करने के लिए ऐसा दावा किया जा रहा है। 

Tools Used:

Google Keywords Search 

Media Reports 

Result: False 

(किसी संदिग्ध ख़बर की पड़तालसंशोधन या अन्य सुझावों के लिए हमें WhatsApp करें: 9999499044  या ई-मेल करें: checkthis@newschecker.in)

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