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क्या इटली के डॉक्टरों ने कोरोना वायरस को बताया बैक्टीरिया? सोशल मीडिया पर फेक दावा वायरल है।

व्हाट्सएप पर एक मैसेज बहुत तेज़ी से वायरल हो रहा है। दावा किया जा रहा है इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर ऑटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि एक ग्लोबल घोटाला है। लोग असल में “ऐमप्लीफाईड ग्लोबल 5G इलैक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन (ज़हर)” के कारण मर रहे हैं।

दावा किया गया है कि इटली ने इस वायरस को हराया है और कहा है कि “फैलीआ-इंट्रावासकूलर कोगूलेशन (थ्रोम्बोसिस) के अलावा और कुछ नहीं है। इसका मुकाबला करने का तरीका आर्थात इलाज कुछ इस तरह बताया गया है।

ऐंटीबायोटिकस (Antibiotics tablets}

ऐंटी-इंनफ्लेमटरी (Anti-inflammatory) और

ऐंटीकोआगूलैटस (Aspirin) को लेने से यह ठीक हो जाता है।

इस जानकारी को ज्यादा से ज्यादा शेयर करने की अपील की गई है।

नीचे देखा जा सकता है कि हमारे आधिकारिक नंबर पर यूज़र द्वारा वायरल दावे की सत्यता जानने की अपील की गई थी।”

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

ट्विटर पर भी वायरल दावे को अलग-अलग यूज़र्स द्वारा शेयर किया जा रहा है।

Fact Check/Verification

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे की सत्यता जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू किया। हमने हर दावे को क्रमशः खोजना शुरू किया।

पहला दावा

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर ऑटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि बैक्टीरिया है। जिसकी वजह से खून के थक्के जम जाते हैं और मरीज की मौत हो जाती है।

पड़ताल के दौरान हमें The Lancet की एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक कोरोना वायरस में रेस्पिरेटरी फेल्योर को मौत का मुख्य कारण माना गया है। इसकी कारण से नसों में खून के थक्के जम जाते हैं और मरीज की मौत हो जाती है। हमें इस तरह की भी कोई जानकारी नहीं मिली कि कोविड-19 वायरस नहीं, बैक्टीरिया है।

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

दूसरा दावा

WHO का कानून कोविड-19 से मरने वाले लोगों के शरीर का पोस्टमॉर्टम करने की अनुमति नहीं देता है। लेकिन इटली में कोविड मृत शरीर का पोस्टमॉर्टम किया और पाया कि यह वायरस नहीं बल्कि बैक्टीरिया है।

इस दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने World Health Organization की आधिकारिक वेबसाइट को खंगाला। पड़ताल के दौरान हमने पाया कि डब्लूएचओ ने ऐसा कोई कानून नहीं बनाया है जो कोरोना वायरस से मरने वाले के शरीर का पोस्टमॉर्टम या रिसर्च करने से रोकता हो।

पड़ताल के दौरान हमें डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी की गई गाइडलाइंस मिली। जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस से मरने वालों को इस तरह से उपचार करना चाहिए जिससे बाकी लोगों को सुरक्षित किया जा सके और आगे किसी में संक्रमण फैलने से रोका जा सके।

अधिक खोजने पर हमें WHO द्वारा Myth Buster का सेक्शन मिला जिसमें बताया गया है कि कोरोना वायरस एक वायरस है, कोई बैक्टीरिया नहीं।

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

तीसरा दावा

इटली के वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका इलाज एंटीबायोटिक्स, एंटी इन्फ्लेमेटरी या एस्प्रिन से किया जा सकता है।

WHO की आधिकारिक वेबसाइट खंगालने पर हमने पाया कि वह पहले ही साफ कर चुका है कि कोरोना वायरस एक वायरस है और इसका इलाज किसी भी तरह की एंटीबायोटिक्स से नहीं किया जा सकता है।

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

अधिक खोजने पर हमें 24 अगस्त, 2020 को Reuters द्वारा प्रकाशित की गई मीडिया रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक इटली ने कोरोना वायरस वैक्सीन पर ह्यूमन ट्रायल शुरू कर दिया है। अब सोचने वाली बात यह है कि अगर वहां कोरोना वायरस का इलाज एंटीबायोटिक्स से हो रहा होता तो वो वैक्सीन का परीक्षण क्यों करता।

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

चौथा दावा

लोग कोरोना वायरस से नहीं बल्कि 5G इलेक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन ज़हर के कारण मर रहे हैं।

पड़ताल के दौरान हमें अप्रैल, 2020 में ET Telecom द्वारा प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली। इसके मुताबिक कोरोना वायरस के लिए हाई स्पीड ब्राडबैंड 5G जिम्मेदार नहीं है। इन दोनों का आपस में कोई तकनीकी आधार नहीं है।

इटली विश्व का पहला देश बन गया है जिसने एक कोविड-19 से मृत शरीर पर अटोप्सी (Postmortem) का आयोजन किया है। जांच में पता लगा है कि यह एक वायरस नहीं बल्कि यह एक ग्लोबल घोटाला है।

कुछ अलग-अलग कीवर्ड्स की मदद से गूगल खंगालने पर हमें वायरल दावे से संबंधित कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली।  

Conclusion

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर वायरल हो रहे दावे का बारीकी से अध्ययन करने पर हमने पाया कि इटली के डॉक्टरों के नाम से वायरल हो रहा दावा फर्ज़ी है। पड़ताल में हमने पाया कि इटली ने कोविड-19 से मृत शरीर पर ऑटोप्सी (Postmortem) नहीं किया है।


Result: False


Our Sources

World Health Organization https://www.who.int/emergencies/diseases/novel-coronavirus-2019/advice-for-public/myth-busters#virus

Reuters https://www.reuters.com/article/us-health-coronavirus-italy/italy-begins-testing-potential-covid-19-vaccine-on-volunteers-idUSKBN25K17F?ref=inbound_article

ET Telecom https://telecom.economictimes.indiatimes.com/news/theory-of-5g-spreading-covid-19-a-hoax-that-has-no-technical-basis-un-ict-agency/75318703


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