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अब कोई भी स्कूल जून और जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा। यह फैसला हाई कोर्ट का है। इसका अनुपालन ना करने वाले स्कूलों पर गाज गिर सकती है जिसकी एवज़ में स्कूलों की मान्यता भी रद्द करने के अलावा वसूली भी की जा सकती है।
Investigation
आमतौर पर कुछ स्कूली बच्चों के अभिभावकों को यह शिकायत रहती है कि जब उनका बच्चा 2 महीने पढ़ने ही नहीं जाता तो फीस किस बात की दी जाए। इस तरह की बात सोचने वालों के लिए यह खबर खुशियों की सौगात से कम नहीं थी। वास्तव में यह खबर एक संस्था द्वारा जारी की गई है जिसका नाम अपराध ख़ुफ़िया जासूस है। यह सीआईडी नाम से पंजीकृत संस्था है। इस वायरल सन्देश में कहा गया है कि यदि कोई स्कूल मनमानी करे तो सीधे सीएम विंडो पर शिकायत कर सकते हैं। सीआईडी एक ऐसी संस्था है जिसका काम आमतौर पर जुर्म से जुड़े पहलुओं पर जांच करना है ना कि इस तरह के आदेश करने का। इसी बात पर शक होने के बाद हमनें रिवर्स इमेज सर्च की मदद से फोटो को खोजने की कोशिश की। इस क्रम में हमें कई लोगों के ट्वीट्स दिखाई दिए लेकिन खबर के सही या गलत होने का पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया। अब हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से खबर की पुष्टि के लिए खोज जारी रखी। हमें कई अखबारों और देश की प्रतिष्ठित वेब साइट्स द्वारा इस फोटो के बारे में जानकारी मिलना शुरू हो गई। इस बाबत यह बात पता चली कि जिस खबर की बात सोशल मीडिया में फैलाई जा रही है असल में यह भारत की खबर ना होकर पाकिस्तान की है। ज्यादा जानकारी के लिए abp न्यूज़ की इस लिंक को पढ़ा जा सकता है।
इसके अलावा जिस संस्था के लेटर हेड पर अमुक खबर प्रसारित की गई है उन्होंने इस खबर को फर्जी बताते हुए एक पत्र जारी किया है जिसे यहां देखा जा सकता है।
वास्तव में देश के किसी भी उच्चतम न्यायालय ने इस तरह का कोई भी आदेश पारित नहीं किया है जो स्कूलों पर इस तरह से बाध्यकारी हो। हमारी वायरल पड़ताल में यह खबर पूरी तरह से फेक साबित हुई।
Result: Fake