Authors
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.
Claim
मोहम्मद फिरोज खान नामक शख्स ने अपनी बेटी के साथ बकरीद पर गाय के खून से होली खेली है
Verification
नील महाजन नामक फेसबुक अकाउंट से हिंदू विरोधी बाटग्यांचा कर्दनकाळ- हिंदुत्वाचा तोफखाना नामक फेसबुक पेज पर यह पोस्ट शेयर की गई है।
इस पोस्ट में मोहम्मद फिरोज खान नामक शख्स के फेसबुक अकाउंट का स्क्रीनशॉट शेयर किया गया है। इस स्क्रीनशॉट में एक बाप-बेटी की फोटो दिखाई गई है। दोनों का चेहरा और हाथ खून से रंगे हुए है। पोस्ट इंग्लिश में लिखी गई है।
इस फोटो के नीचे लिखा है कि बकरीद पर गाय के खून के स्वाद से मेरी बेटी खुश हुई। गाय के खून से हमने होली खेली। इस फोटो की असलियत जानने के लिए बारीकी से पड़ताल शुरू की। गूगल रिवर्स सर्च करने पर पेज नं 3 पर अल अरेबिया नामक वेबसाइट के साथ कई अन्य अरबी साइट्स पर भी यह तस्वीर दिखाई दी।
खबर की हकीकत जानने के लिए गूगल ट्रांसलेट की मदद ली। साइट के मुताबिक यह तस्वीर मिस्र की राजधानी काहिरा में रहने वाले मुहम्मद अल असकारी नामक शख्स की है। ईद-अल-अधा त्यौहार पर बकरे को बलि चढ़ाने के बाद उसने अपनी बेटी के साथ यह फोटो शेयर की थी। सोशल मीडिया यूजर्स की आपत्तिके बाद उसने यह फोटो अपने अकाउंट से हटा दिया था।
अल अरेबिया की खबर के अनुसार मुहम्मद अल-असकारी हिस्ट्री विषय का शिक्षक है। उसी के एक छात्र ने अल अरेबिया से बात करते कहा कि असकारी बीच-बीच में इस तरह के फोटोज सोशल मीडिया में वायरल करता रहता है। उसका पढ़ाने के ढंग काफी अच्छा है इसलिए छात्रों में वह काफी फेमस है।
बारीकी से कई लेखों को पढ़ने के बाद यह तय हो गया कि वायरल हो रही तस्वीर भारत की ना होकर मिस्र की है। और इसे सोशल मीडिया में वायरल करने वाले शख्स का नाम मुहम्मद फिरोज खान नही बल्कि मुहम्मद-अल-असकारी है। उसने गाय के खून से नही बल्कि बकरे के खून से होली खेली थी।
Tools Used
- Google Search
- Google Reverse Image
- Facebook Search
Result: False
Authors
After completing his post-graduation, Yash worked with some of the most renowned newspapers such as like Lokmat, Dainik Bhaskar & Navbharat for the past 6 years. To make sure that no incorrect news reaches people and to maintain peace and harmony in society, he chose to become a fact-checker.