रविवार, दिसम्बर 22, 2024
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क्या वाकई नहीं चुकानी होगी जून-जुलाई की फीस?

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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अब कोई भी स्कूल जून और जुलाई महीने की फीस नहीं ले सकेगा। यह फैसला हाई कोर्ट का है। इसका अनुपालन ना करने वाले स्कूलों पर गाज गिर सकती है जिसकी एवज़ में स्कूलों की मान्यता भी रद्द करने के अलावा वसूली भी की जा सकती है।

Investigation

आमतौर पर कुछ स्कूली बच्चों के अभिभावकों को यह शिकायत रहती है कि जब उनका बच्चा 2 महीने पढ़ने ही नहीं जाता तो फीस किस बात की दी जाए। इस तरह की बात सोचने वालों के लिए यह खबर खुशियों की सौगात से कम नहीं थी। वास्तव में यह खबर एक संस्था द्वारा जारी की गई है जिसका नाम अपराध ख़ुफ़िया जासूस है। यह सीआईडी नाम से पंजीकृत संस्था है। इस वायरल सन्देश में कहा गया है कि यदि कोई स्कूल मनमानी करे तो सीधे सीएम विंडो पर शिकायत कर सकते हैं। सीआईडी एक ऐसी संस्था है जिसका काम आमतौर पर जुर्म से जुड़े पहलुओं पर जांच करना है ना कि इस तरह के आदेश करने का। इसी बात पर शक होने के बाद हमनें रिवर्स इमेज सर्च की मदद से फोटो को खोजने की कोशिश की। इस क्रम में हमें कई लोगों के ट्वीट्स दिखाई दिए लेकिन खबर के सही या गलत होने का पुख्ता प्रमाण नहीं मिल पाया। अब हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से खबर की पुष्टि के लिए खोज जारी रखी। हमें कई अखबारों और देश की प्रतिष्ठित वेब साइट्स द्वारा इस फोटो के बारे में जानकारी मिलना शुरू हो गई। इस बाबत यह बात पता चली कि जिस खबर की बात सोशल मीडिया में फैलाई जा रही है असल में यह भारत की खबर ना होकर पाकिस्तान की है। ज्यादा जानकारी के लिए abp न्यूज़ की इस लिंक को पढ़ा जा सकता है।

https://abpnews.abplive.in/india-news/what-is-the-truth-of-the-high-courts-ban-on-school-fees-in-summer-vacation-855943

इसके अलावा जिस संस्था के लेटर हेड पर अमुक खबर प्रसारित की गई है उन्होंने इस खबर को फर्जी बताते हुए एक पत्र जारी किया है जिसे यहां देखा जा सकता है।

वास्तव में देश के किसी भी उच्चतम न्यायालय ने इस तरह का कोई भी आदेश पारित नहीं किया है जो स्कूलों पर इस तरह से बाध्यकारी हो। हमारी वायरल पड़ताल में यह खबर पूरी तरह से फेक साबित हुई।

Result: Fake

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Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

JP Tripathi
Since 2011, JP has been a media professional working as a reporter, editor, researcher and mass presenter. His mission to save society from the ill effects of disinformation led him to become a fact-checker. He has an MA in Political Science and Mass Communication.

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