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Fact Check
“8 साल में बस इतना बदला है भारत”. कश्मीर के संदर्भ में इस कैप्शन के साथ सोशल मीडिया पर एक वीडियो जमकर वायरल हो रहा है. इस पोस्ट को चार अलग-अलग वीडियो को मिलाकर बनाया गया है. इसके साथ अप्रत्यक्ष रूप से ये कहा जा रहा है कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले कश्मीर में सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी होती थी, लेकिन पिछले आठ सालों यानि 2014 में मोदी के पीएम बनने के बाद बदलाव आया और अब पत्थरबाजों या अराजक तत्वों से सख्ती से निपटा जाता है.
ट्वीट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.
वायरल वीडियो के पहले हिस्से में जम्मू-कश्मीर पुलिस की एक गाड़ी पर कुछ उपद्रवी पत्थर और डंडो से हमला करते दिख रहे हैं. इसके बाद वाले हिस्से में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद की शपथ लेते नजर आ रहे हैं. तीसरे हिस्से में एक गाड़ी के बोनट से एक व्यक्ति को बंधा देखा जा सकता है. आखिरी वाले वीडियो में बंदूक लिए एक जवान जमीन पर बैठे कुछ लोगों से सख्ती से पेश आता हुआ दिख रहा है.
वीडियो को ट्विटर और फेसबुक पर हजारों लोग शेयर कर चुके हैं. यूजर्स का कहना है कि पत्थरबाज गायब हो गए हैं. साथ ही, कुछ ने ये भी कमेंट किया है कि मोदी के आने के पहले भारत में रक्षा क्षेत्र पर ध्यान नहीं दिया जाता था.


वायरल वीडियो में पत्थरबाजी और सुरक्षाबलों की सख्ती को लेकर तीन वीडियो दिखाए गए हैं. एक वीडियो मोदी के शपथ वाले वीडियो से पहले दिखता है और बाकी दोनों इसके बाद. तीनों वीडियो की कहानी कुछ इस तरह से है.
पहला वीडियो

इस वीडियो के एक कीफ्रेम को यांडेक्स पर रिवर्स सर्च करने पर हमें एक ट्वीट मिला, जिसमें इस वीडियो जैसी ही एक तस्वीर मौजूद है. वीडियो और तस्वीर को मिलाने से साफ समझ आता है कि दोनों एक ही घटना के शॉट्स हैं. फोटो के नीचे लिखा है कि इसे 31 मई, 2019 को कश्मीर के श्रीनगर में खींचा गया था.
प्राप्त ट्वीट के कैप्शन में लिखा है कि इस तस्वीर को पुलित्जर पुरस्कार से नवाजा गया था. इसके बाद कुछ कीवर्ड्स की मदद से हमें फोटो और वीडियो को लेकर कई खबरें मिल गईं. खबरों के अनुसार, प्रदर्शनकारी और पुलिस बल के बीच तनाव को दिखा रही इस फोटो को न्यूज एजेंसी ‘एपी’ के फोटोग्राफर दार यासीन ने 31 मई 2019 को श्रीनगर में खींचा था. वायरल वीडियो को उस समय कुछ कश्मीरी यूट्यूब चैनल्स ने शेयर किया था. ये बात भी सच है कि इस फोटो के लिए दार यासीन को पुलित्जर पुरस्कार मिला था.
यानी कि ये वीडियो मोदी शासनकाल काल का है, न कि पहले का, जैसा कि इसे पेश किया जा रहा है.
अब बात करते हैं उन दोनों वीडियो की, जिन्हें वायरल वीडियो में मोदी के पीएम बनने के बाद का बताया जा रहा है.

गाड़ी के बोनट पर बंधे इस व्यक्ति का वीडियो 2017 में काफी चर्चा में आया था. इसको लेकर इंटरनेट पर ढेरों खबरें मौजूद हैं. यह वीडियो 9 अप्रैल 2017 का है, जब भारतीय सेना के एक अफसर मेजर लीतुल गोगोई ने कश्मीर के बडगाम में एक व्यक्ति को जीप के बोनट पर बांधकर मानव कवच की तरह इस्तेमाल किया था.
इस तरह बांधकर शख्स को कई गावों में घुमाया गया था. गोगोई का कहना था कि उन्होंने ऐसा पत्थरबाजों से बचाव के लिए किया था. इस फैसले पर गोगोई को प्रशंसा और आलोचना दोनों मिली थी. इस घटना के बाद उन्हें सम्मानित भी किया गया था.
आखिरी हिस्सा

रिवर्स सर्च की मदद से हमें पता चला कि कई लोगों ने इस वीडियो को अप्रैल 2017 में यूट्यूब पर शेयर किया था. एक जगह वीडियो के साथ लिखा है कि ये कश्मीर के पाइमास पखारपोरा का वीडियो है. वीडियो में एक युवक, जवान से बोल भी रहा है कि वो पाइमास पखारपोरा का रहने वाला है. गौरतलब है कि पखारपोरा कश्मीर के बडगाम में एक इलाके का नाम है.
साल 2017 में कश्मीर में सेना की कार्रवाई के कई और भी वीडियो सामने आए थे, जिनको लेकर बवाल हुआ था. संभवत यह वीडियो भी कश्मीर का है और 2017 का है, लेकिन पुख्ता तौर पर यह कहना मुश्किल है.
यहां यह भी बता दें कि गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2021 में जम्मू कश्मीर में पत्थरबाजी के मामलों में 88% की कमी आई थी. इसको लेकर अगस्त 2021 में द इंडियन एक्सप्रेस ने एक खबर प्रकाशित की थी. खबर में गृह मंत्रालय के आंकड़ों का हवाला देकर बताया गया है कि 2019 में जनवरी से जुलाई के बीच पत्थराव के 618 मामले सामने आए थे. 2020 में यह मामले घटकर 222 पर आ गए. 2021 में फिर भारी कमी आई और यह आंकड़ा 76 पर आ गया. इस दौरान सुरक्षाबलों के घायल होने के मामलों में भी काफी कमी देखी गई. इस बारे में तब जम्मू-कश्मीर के एक अधिकारी का कहना था कि यह कमी भारी संख्या में सुरक्षाबल की तैनाती, कोरोना प्रतिबंध और उग्रवादी संगठनों व उनके ओवर ग्राउंड वर्कर्स पर कार्रवाई करने की वजह से आई है.
इस तरह हमारी पड़ताल में यह निष्कर्ष निकलता है कि पत्थरबाजी के जिस वीडियो को वायरल पोस्ट में 2014 के पहले का बताने की कोशिश की गई है, वह सिर्फ तीन साल पुराना है और मोदी शासन काल का ही है. हालांकि, यह सच है कि दूसरा वीडियो मोदी के पीएम बनने के बाद का है. आखिरी वीडियो के बारे में स्पष्ट तौर कुछ नहीं कहा जा सकता.
Our Sources
Reports of AP, AajTak, Hindustan Times, Zee News and The Indian Express
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