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Fact Check
सोशल मीडिया पर एक सड़क के किनारे लगे बोर्ड की तस्वीर वायरल है। वायरल तस्वीर में देखा जा सकता है कि पंजाब के शहर मोगा में स्थापित अडानी ग्रुप की कृषि कंपनी (अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड) के रास्ते की जानकारी दी जा रही है। बोर्ड की तस्वीर शेयर करने वाले यूज़र का दावा है कि यह ‘अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड’ संसद में नए कृषि कानून के पास होने के तुरंत बाद बनाया गया है।

ट्वीट का आर्काइव लिंक यहाँ देखें।

इसके साथ ही संसद में पारित हुए नए कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार को घेरने के लिए कई सोशल मीडिया यूज़र्स ने इस वायरल तस्वीर को व्यंग्यात्मक तौर पर भी शेयर किया है।
केंद्र सरकार द्वारा नया कृषि कानून पास किए जाने के बाद जहाँ एक तरफ सोशल मीडिया पर मुद्दा गर्म है तो वहीं दूसरी तरफ विपक्ष और कई किसान संगठनों ने सड़क पर मोर्चा खोल दिया है।
एक तरफ केंद्र सरकार इस बिल से किसानों को होने वाले फायदे गिना रही है वहीं दूसरी तरफ विपक्षी दल इस नए कृषि कानून को किसानों के लिए अभिशाप बता रहे हैं। इसी कानून को लेकर कई किसान संगठनों व सैकड़ों विपक्षी दलों ने आज भारत बंद का ऐलान किया था।
इसी घमासान के बीच सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड के बोर्ड की तस्वीर शेयर कर दावा कर रहे हैं कि संसद में कृषि कानून के पारित होने के बाद रातों-रात ही अडानी ग्रुप ने यह कंपनी तैयार की है।
दावे की सत्यता जानने के लिए हमने अपनी पड़ताल आरम्भ की। पड़ताल के दौरान हमने सबसे पहले इस बात की जानकारी प्राप्त करने के लिए खोजना शुरू किया कि क्या अडानी ग्रुप की यह कंपनी अभी हाल ही में बनी है।
हमने गूगल पर अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड नाम से खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें गूगल पर www.adaniagrilogistics.com नाम की वेबसाइट मिली।

वेबसाइट को खंगालने पर पता चला कि अडानी एग्री लॉजिस्टिक एक कृषि कंपनी है जो अनाज का थोक में भण्डारण करती है। वेबसाइट पर आगे यह भी जानकारी दी गयी है कि साल 2007 में इस कंपनी ने भारतीय खाद्य निगम के लिए भारत का पहला आधुनिक अनाज भंडारण का ढाँचा बनाया था। साथ ही बताया गया है कि पंजाब और हरियाणा में कंपनी अनाज के भंडारण के लिए साइलो का निर्माण करवा चुकी है।

खोज के दौरान हमने who is who टूल की सहायता से यह भी पता लगाया कि गूगल पर मिली अडानी एग्री लॉजिस्टिक की वेबसाइट कितनी पुरानी है। जहां पड़ताल में हमें पता चला कि उक्त वेबसाइट साल 2014 में बनाई गयी थी।

पड़ताल के दौरान हमें भारत सरकार की खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग की वेबसाइट मिली। जहां इस बात की जानकारी दी गयी है कि भारतीय खाद्य निगम भंडारण क्षमता में वृद्धि करने के लिए खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग साइलो का निजी निवेशकों द्वारा निर्माण करवा रहा है।

खोज के दौरान ही हमें indian express की वेबसाइट पर साल 2015 की एक रिपोर्ट भी मिली। जहां यह जानकारी दी गयी है कि अडानी ग्रुप का पंजाब के मोगा शहर में पहले से ही 2 लाख मीट्रिक टन का साइलो है।

उपरोक्त वेबसाइट पर मिली जानकारी के मुताबिक अडानी ग्रुप का साइलो, पंजाब के शहर मोगा में साल 2015 के पूर्व से ही निर्मित है। जिसके बाद हमने गौर किया कि वायरल तस्वीर में पंजाब के शहर मोगा का ही जिक्र किया गया है।

सटीक जानकारी के लिए हमने मोगा शहर में निर्मित अडानी ग्रुप के साइलो को गूगल अर्थ टूल पर भी खंगाला। इस दौरान गूगल अर्थ पर मिली साइलो की तस्वीर से यह पता चला कि इस साइलो का निर्माण रातों-रात नहीं किया जा सकता है। क्योंकि यह साइलो हज़ारों टन के कई स्टील के कंटेनर का समूह है जिसे एक दिन या एक रात में बनाना मुमकिन नहीं है।

खोज में हमें गूगल अर्थ पर ही वायरल हो रही बोर्ड की वायरल तस्वीर भी मिली। जहां इस तस्वीर को गूगल अर्थ पर साल 2016 में अपलोड किया गया था।

हमारी पड़ताल में यह बात सिद्ध होती है कि वायरल तस्वीर हालिया किसान बिल से संबंधित नहीं है तथा ‘अडानी एग्री लॉजिस्टिक लिमिटेड’ कोई नई निर्मित कंपनी नहीं है असल में यह कंपनी कई वर्षों से भंडारण का काम कर रही है।
https://www.adaniagrilogistics.com/
https://dfpd.gov.in/peg-storage-scheme-hi.htm
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