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कृषि कानूनों की वापसी के बाद का नहीं है भाजपा के कार्यक्रम में तोड़फोड़ का यह वीडियो

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सोशल मीडिया पर 18 सेकंड की एक वीडियो क्लिप को शेयर करते हुए दावा किया गया है कि तीनों कृषि कानूनों के वापसी के बाद भाजपा नेताओं की पिटाई शुरू हो गई है।

एक सोशल मीडिया यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा कि तीनों कृषि कानूनों के वापसी की घोषणा के बाद रूझान आने शुरू हो गए हैं। आगे मीडिया पर सवाल उठाते हुए लिखा गया है कि कोई गोदी मीडिया इसे नहीं दिखाएगा।

शेयर किए गए वीडियो में कुछ लोग लोग भाजपा के बैनर लगे एक मंच पर लाठी डंडों से हमला करते दिख रहे हैं।

कृषि कानूनों
FB screenshot

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है। 

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट के आर्काइव को यहां देखा जा सकता है।

कृषि कानूनों
FB screenshot

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।

कृषि कानूनों
FB screenshot

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।

कृषि कानूनों
FB screenshot

उपरोक्त फेसबुक पोस्ट को यहां देखा जा सकता है।

24 नवम्बर 2021 को TV9 भारतवर्ष द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए, तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, किसान इस तीन कृषि कानूनों के विरोध में बड़े लंबे अरसे से आंदोलनरत थे। रिपोर्ट में तीनों कृषि कानूनों के बारे में जानकारी दी गई है। पहले कृषि कानून का नाम ‘कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य विधेयक 2020 था।’ इस कानून के अंतर्गत किसान अपनी सहूलियत के हिसाब से किसी भी जगह पर अपनी फसल को बेचने के लिए आज़ाद थे। यहां तक कि किसान दूसरे राज्य में भी अपनी फसल को बेच सकते थे। 

दूसरे कृषि कानून का नाम ‘कृषक कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 था।’ इस कानून के अंतर्गत किसान फसल बुआई से पहले ही, तय दर के हिसाब से अपनी फसल को बेच सकते थे। इस कानून को लेकर सरकार का कहना था कि किसानों को अब कम नुकसान होगा। 

तीसरे कृषि कानून का नाम ‘आवश्यक वस्तुएं संशोधन अधिनियम 2020 था।’ यह क़ानून काला बाज़ारी रोकने के लिए बनाया गया था। इस क़ानून के अंतर्गत, व्यापारी एक सीमित मात्रा में ही किसी भी कृषि उपज को जमा कर सकते थे।

लाइव हिंदुस्तान द्वारा प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक, शीतकालीन सत्र के पहले दिन, 29 नवम्बर को संसद ने तीनों कृषि कानूनों को समाप्त करने वाला बिल पास कर दिया था, जिसे अब राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी भी मिल गई है।  

Fact Check/Verification

शेयर किये जा रहे वीडियो का सच जानने के लिए हमने इसे invid टूल की मदद से कुछ की-फ्रेम्स में बदला। इसके बाद एक की-फ्रेम के साथ गूगल रिवर्स सर्च किया। इस प्रक्रिया में हमें की-फ्रेम से मिलती जुलती एक तस्वीर मिली। उसपर क्लिक करने पर हमें social news xyz की एक रिपोर्ट प्राप्त हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना बीते 10 जनवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री के लिए आयोजित होने वाले कार्यक्रम के दौरान की है। रिपोर्ट को पढ़ने बाद पता चला कि शेयर किया जा रहा वीडियो कृषि कानूनों की वापसी से पहले का है।

Screenshot
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इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स की मदद से यूट्यूब पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें इंडिया टुडे के यूट्यूब चैनल पर 3:23 मिनट का एक वीडियो मिला, जिसको यूट्यूब चैनल पर 11 जनवरी 2021 को अपलोड किया गया था। वीडियो के शुरुआती 20 सेकंड पर शेयर किये जा रहे वीडियो के एक दृश्य को देखा जा सकता है।

 

Screenshot

जनसत्ता द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक़, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, हरियाणा के करनाल में बीते 10 जनवरी को किसान महापंचायत को सम्बोधित करने वाले थे, लेकिन कृषि कानूनों को वापस लिए जाने के लिए आंदोलन कर रहे आक्रोशित प्रदर्शनकारियों ने रैली के लिए बना मंच तोड़ दिया। इसके बाद मनोहर लाल खट्टर के कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा था। 

Conclusion 

इस तरह हमारी पड़ताल में यह साफ़ हो गया कि शेयर किया जा रहा वीडियो, कृषि कानूनों के वापसी के बाद का नहीं है। शेयर किया जा रहा वीडियो बीते 10 जनवरी को हरियाणा के मुख्यमंत्री के लिए आयोजित होने वाले एक कार्यक्रम का है, जिसे अब भ्रामक दावे के साथ शेयर किया गया है।

Result: Misleading

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