उत्तर प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं और आगामी दो महीनों में राज्य में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। राज्य में कई योजनाओं के शिलान्यास हो रहे हैं तो कई पूरे हो चुके प्रोजेक्ट्स के उद्घाटन भी किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में बीते 3 दिसंबर को देश के गृह मंत्री अमित शाह ने सहारनपुर में मां शाकुंभरी विश्वविद्यालय की आधारशिला रखी।
शाह ने इस मौके पर दावा किया कि उत्तर प्रदेश में पिछले पांच वर्षों में कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा की स्थिति में जबरदस्त तरक्की हुई है। अमित शाह ने दावा किया कि योगी राज में यूपी में अपराध के आंकड़ों में गिरावट हुई है।
अमित शाह ने मंच से कहा, ”असल में योगी सरकार के कार्यकाल में अपराध दर में लगभग 60 फीसद की कमी आई है। मेरे पास आंकड़े हैं जो खुद इस बात की गवाही दे रहे हैं।”
अमित शाह ने आंकड़े साझा करते हुए कहा, “मैं योगी जी और आप (अखिलेश यादव) के 5 वर्षों के कार्यकाल का तुलानात्मक अध्ययन लाया हूं। योगी सरकार में डकैती में 70 फीसद कमी आई है। हथियार के दम पर लूटपाट की घटनाओं में 69 फीसद की गिरावट दर्ज हुई है। हत्या के मामलों में 30% की गिरावट देखी गई है। दहेज के कारण होने वाली हत्याओं में 22.5% की कमी दर्ज की गई है।”
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का बिगुल फूंके जाने से पूर्व, न्यूजचेकर ने गृह मंत्री अमित शाह द्वारा योगी राज में यूपी में अपराध दर में आई 60 फीसद गिरावट वाले दावे की पड़ताल की। इसके साथ ही हमने योगी आदित्यनाथ के मार्च 2017 में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद से अपराध के अन्य आकंड़ों की क्या सच्चाई है, उसकी भी पड़ताल की।
दावा 1: अपराध दर में आई 60 फीसद गिरावट
न्यूजचेकर ने अखिलेश यादव की सरकार और योगी आदित्यनाथ की सरकार में हुए संज्ञेय अपराधों की तुलना की।
इसके लिए हमने राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों की मदद ली। आंकड़ों के अनुसार 15 मार्च, 2012 को जब अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी, उस वक्त भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) के तहत राज्य में संज्ञेय अपराध के कुल 1,98,093 मामले थे और अपराध दर 96.4 फीसद थी।
अपराध की दर 2017 तक लगातर बढ़ती रही और भाजपा के सत्ता में आने तक बढ़कर 139.3 प्रतिशत हो चुकी थी। उस समय राज्य में आईपीसी के तहत दर्ज मामलों की संख्या बढ़कर 3,10,084 हो गई थी। अखिलेश सरकार की तरह योगी राज में भी अपराध दर लगातार बढ़ रही थी और 2019 में ये अब तक के सबसे उच्चतम स्तर 156.3 प्रतिशत पहुंच चुकी थी। इसके बाद साल 2020 यानी जिस वर्ष कोरोना संक्रमण फैला हुआ था उस वर्ष अपराध दर में हल्की गिरावट दर्ज की गई। साल 2020 में अपराध दर 155.1 प्रतिशत थी, तो वहीं कुल अपराधिक मामलों की संख्या 3,55,110 हो चुकी थी।
ऐसे में साफ है कि सरकार के खुद के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं कि अखिलेश यादव और योगी आदित्यनाथ दोनों के राज में अपराध दर में लगातार बढ़ोत्तरी ही दर्ज की गई है। अमित शाह के योगी राज में यूपी में अपराध के आंकड़ों में 60 फीसद गिरावट के उलट इस दौरान 43 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। ्
Result: False
दावा 2 : हत्या के मामलों में 30% की गिरावट
उत्तर प्रदेश में जहां संज्ञेय अपराध में वृद्धि दर्ज की गई, वहीं हत्या जैसे गंभीर अपराध में कुछ सुधार देखने को मिला है। उत्तर प्रदेश में हत्याओं के आंकड़े देखने पर अंतर स्पष्ट नजर आ रहा है। राज्य में 2012 में हत्या के 4966 मामले दर्ज किए गए, जबकि 2013 में बढ़कर 5,047, तो वहीं 2014 में बढ़कर 5,150 हो गए। 2015 में इसमें गिरावट देखी गई और ये आंकड़े घटकर 4,732 हो गए। हालंकि, 2016 में इन मामलों में आंशिक वृद्धि दर्ज की गई और ये बढकर 4,889 हो गए, लेकिन 2015 से ही गिरावट का ट्रेंड शुरू हो गया है।
योगी सरकार के सत्ता में आने के बाद हत्या के मामलों में गिरावट जारी है। उत्तर प्रदेश में आईपीसी के तहत दर्ज हत्या के मामले 4,324 थे ,जो कि 2018 में घटकर 4,018 और 2019 में 3,806 हो गए। 2019 में हत्या के अपराध की दर 1.7% थी। साल 2020 यानी महामारी के कारण लंबे समय तक लॉकडाउन झेलना पड़ा, इस वर्ष में यह अपराधिक मामले गिरकर 3,779 हो गए।
एनसीआरबी के आंकड़ें दर्शाते हैं कि उत्तर प्रदेश में हत्या के मामलों में 2015 से ही गिरावट दर्ज की जा रही है। अखिलेश सरकार की तुलना में, योगी सरकार के कार्यकाल में हत्या की घटनाओं में गिरावट जारी रही। वहीं न्यूजचेकर का अध्ययन बताता है कि गृह मंत्री अमित शाह द्वारा योगी राज में यूपी में हत्या के मामले में की गई 30 फीसद की गिरावट के दावे के अलग 19.67 फीसद की गिरावट दर्ज की गई है।
Result: Misleading
दावा 3: डकैती में 70 फीसद की गिरावट
कुछ ऐसा ही ट्रेंड डकैती के आंकड़ों में भी देखने को मिला। अखिलेश सरकार के पहले दो वर्षों में डकैती के सबसे अधिक मामले देखने को मिले, वहीं 2014 से इसमें गिरावट दर्ज होनी शुरू हो गई।
अखिलेश की समाजवादी सरकार में डकैती के सबसे अधिक 596 मामले साल 2013 में आए थे। उसके बाद से गिरावट दर्ज की जाने लगी। जहां 2014 में ये अचानक से गिरकर 294 हो गए, वहीं 2015 में 277 और 2016 में 284 मामले सामने आए थे।
योगी आदित्यनाथ की सरकार में भी डैकती के आंकड़ों में गिरावट जारी रही। साल 2017 के आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में डकैती के 263 मामले दर्ज किए गए, वहीं 2018 में यह घटकर 144 हो गए। उसके अगले दो वर्ष यानी 2019 और 2020 में ये आंकड़ा 120 रहा।
दोनों सरकारों के कार्यकाल में डकैती के दर्ज औसत मामलों की तुलना करने पर हमें 2013 से गिरावट देखने को मिलता है। न्यूजचेकर के अध्ययन के मुताबिक, ये गिरावट अमित शाह के 70 फीसद गिरावट के दावे से इतर 54 फीसद है।
Result: Misleading
दावा 4: दहेज हत्या में 22.5 फीसदी की गिरावट
अमित शाह के दावों से उलट, यूपी में दहेज हत्या के मामलों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिली है। जहां 2012 में 2,244 मामलों के साथ दहेज हत्या की अपराध दर 2.3 प्रतिशत थी, वहीं 2017 में मामले बढ़कर 2,524 हो गए और अपराध दर भी 2.4 प्रतिशत दर्ज की गई। साल 2020 यानी महामारी वर्ष में 2,274 मामले दर्ज किए गए और दहेज हत्या की अपराध दर 2.1 प्रतिशत थी।
ऐसे में ये साफ है कि अमित शाह द्वारा यूपी में योगी राज में दहजे हत्या के मामलों में 22.5 प्रतिशत की गिरावट के दावे के उलट 1.73 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
Result: False
Conclusion
न्यूजचेकर के अध्ययन के अनुसार, उत्तर प्रदेश में गृह मंत्री अमित शाह द्वारा किए गए दावों के उलट,
1) कुल संज्ञेय अपराधों (आईपीसी) में 43 फीसद की वृद्धि हुई है न कि 60 फीसद की।
2) डकैती के मामले 54 फीसद कम हुए हैं न कि उसमें 70 फीसद की कमी दर्ज की गई है।
3) हत्या के मामले में 19.67 फीसद की कमी आई, न कि 30 फीसद की।
4) दहेज से होने वाली मौतों में 22.5 फीसद की कमी नहीं बल्कि 1.73 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है।
Sources
NCRB
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