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Fact Check
Claim
बाबरी मस्जिद वाली जगह से तीन किलोमीटर दूर बन रहा है राम मंदिर.
Fact
नहीं, वायरल दावा फ़र्ज़ी है.
22 जनवरी को अयोध्या में बन रहे राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी. प्रधानमंत्री मोदी इस दौरान भगवान राम की मूर्ति गर्भ गृह में रखेंगे. इस कार्यक्रम में करीब 7000 अतिथियों को आमंत्रित किया गया है. इस बीच सोशल मीडिया पर गूगल मैप का एक स्क्रीनशॉट वायरल हो रहा है, जिसके सहारे यह दावा किया जा रहा है कि जिस जगह पर बाबरी मस्जिद को ध्वस्त किया गया था, वहां से क़रीब 3 किलोमीटर दूर राम मंदिर बनाया जा रहा है.
हालांकि, हमने अपनी जांच में पाया कि यह दावा फ़र्ज़ी है. राम मंदिर उसी जगह पर निर्माणाधीन है, जहां 6 दिसंबर 1992 से पहले बाबरी मस्जिद मौजूद थी.
गौरतलब है कि अयोध्या में मौजूद जिस भूमि पर राम मंदिर निर्माणाधीन है, उसपर मुस्लिम और हिंदू दोनों ही समुदाय सालों से अपना दावा कर रहे थे. हिंदू मत से जुड़े लोगों का मानना था कि उक्त भूमि पर ही भगवान राम का जन्म हुआ और बाद में वहां मुग़ल शासक बाबर द्वारा मस्जिद बना दी गई. इसी दौरान साल 1992 में हिंदू संगठनों ने उक्त भूमि पर मौजूद बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया. इसके बाद यह मामला कई वर्षों तक अदालत में चला. साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए उक्त भूमि राम मंदिर को सौंपने का आदेश दिया.
गूगल मैप के वायरल स्क्रीनशॉट में एक जगह पर बाबर मस्जिद परिसर को पिन किया गया है और थोड़ी दूर पर रामजन्मभूमि मंदिर अयोध्या को टैग कर यह दिखाने की कोशिश की गई है कि दोनों में करीब 3 किलोमीटर की दूरी है.
Newschecker ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले वायरल स्क्रीनशॉट को ध्यान से देखा. इसके बाद हमने स्क्रीनशॉट में टैग किए गए दोनों लोकेशन को गूगल मैप्स पर ढूंढा.
इस दौरान हमने सबसे पहले राम जन्मभूमि वाले स्थान को खोजा और हमने उक्त जगह का सेटेलाइट व्यू भी देखा. हमें उक्त जगह पर बड़े आकार के मंदिर का स्ट्रक्चर भी दिखाई दिया, जिससे यह साफ़ हो गया कि असल राम मंदिर वाली जगह यही है.
इसके बाद हमने वायरल स्क्रीनशॉट में दिखे “बाबर मस्जिद” वाली जगह को खंगाला तो पाया कि असल में वहां पर सीता राम बिरला मंदिर मौजूद है.
इस दौरान हमने यह भी पाया कि किसी ने उक्त जगह के रिव्यू सेक्शन में बाबरी मस्जिद की फोटो गलत तरीके से अपलोड कर दी है, जिससे लोग उसे बाबरी मस्जिद समझ रहे हैं.
जांच में हमने गूगल अर्थ प्रो की भी मदद ली. इस दौरान वहां मिली सेटेलाइट फोटो, जो 2023 में ली गयी थी उसमें निर्माणाधीन राम मंदिर देखा जा सकता है.
हमने श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सदस्य कामेश्वर चौपाल से भी संपर्क किया, तो उन्होंने भी वायरल दावे का खंडन करते हुए कहा कि “भगवान श्री राम की जन्मभूमि कई वर्षों से विवाद का मुद्दा रही है. 1528 में बाबर ने इस जन्मभूमि को नष्ट कर दिया था. तब से हिंदू समुदाय का संघर्ष जारी है. यदि स्थान को बदल कर मंदिर बनाने की बात होती तो यह विवाद खड़ा ही नहीं होता, मंदिर कब का बन गया होता. जब यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में गया तब कोर्ट ने फैसला सुनाया कि यह जगह राम जन्मभूमि है. इस फैसले के आधार पर ही ट्रस्ट का गठन किया गया और ट्रस्ट ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण कराया. इस बीच कुछ लोग अपनी अज्ञानता के कारण ऐसे गलत बयान दे रहे हैं”.
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह साफ़ है कि राम मंदिर अपनी असल जगह पर ही निर्माणाधीन है. वायरल दावा फर्जी है.
Our Sources
Google Search
Google Map
Google Earth Pro
Conversation with Shri Kameshwar Choupal, Member, Ram Mandir Trust
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