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Claim
बेंगलुरु के महालक्ष्मी हत्या मामले का मुख्य आरोपी अशरफ है.
Fact
नहीं, महालक्ष्मी की हत्या उसके प्रेमी मुक्ति रंजन रे ने की थी, बाद में उसने भी सुसाइड कर लिया.
बीते दिनों कई सोशल मीडिया यूजर्स और कई न्यूज आउटलेट्स द्वारा बेंगलुरू महालक्ष्मी हत्या मामले को इस तरह से शेयर किया गया कि महालक्ष्मी के मुस्लिम प्रेमी अशरफ ने उसकी हत्या कर शव के टुकड़े फ्रिज में रख दिए. इस खबर को दिल्ली में 2022 में हुई श्रद्धा वालकर हत्याकांड की तरह पेश किया, जहां प्रेमी आफताब ने उसके टुकड़े कर फ्रिज में रख दिए और फिर बाद में जंगलों में फेंक दिया था.
हालांकि, बाद में आई न्यूज रिपोर्ट और पुलिस के बयान से यह स्पष्ट हुआ कि महालक्ष्मी की हत्या अशरफ नाम के शख्स ने नहीं, बल्कि ओड़िशा के भद्रक जिले के रहने वाले उसके प्रेमी मुक्ति रंजन रे ने की थी. बाद में मुक्ति रंजन रे ने भी सुसाइड कर लिया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया कि महालक्ष्मी के प्रेम संबंध अशरफ नाम के शख्स के साथ भी थे. लेकिन कुछ महीनों पहले वे दोनों अलग हो गए थे.
लाइव हिंदुस्तान, न्यूज 24 और न्यूज 18 के एंकर अमन चोपड़ा ने अपनी रिपोर्ट में इसी दावे से खबर को प्रकाशित किया, जिसमें कहा गया कि “अशरफ ने महालक्ष्मी के 30 टुकड़े किए”.
इसके अलावा, यह दावा सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था.
Fact Check/Verification
कैसे सामने आया अशरफ का नाम?
जांच में मिली दैनिक भास्कर और बीबीसी हिंदी की रिपोर्ट में मौजूद जानकारी के अनुसार, महालक्ष्मी का परिवार मूल रूप से नेपाल के कठंद राज्य का रहने वाला है. उसके माता पिता करीब 30 साल पहले बेंगलुरू आकर बस गए. मॉल में काम करने वाली महालक्ष्मी की शादी नेलमंगला में रहने वाले हेमंत दास से हुई थी और दोनों की 4 साल की एक बेटी भी है. हालांकि करीब चार साल से दोनों अलग रह रहे थे.
महालक्ष्मी अक्टूबर 2023 से बसप्पा गार्डन के पास 5वीं क्रॉस पाइपलाइन रोड पर व्यालिकावल में किराए के मकान में रहती थी. बीते 21 सितंबर को महालक्ष्मी के मकान मालिक ने उसकी मां और दो जुड़वां बहनों को फ़्लैट से दुर्गंध आने की सूचना दी. इसके बाद शाम को जब वे लोग वहां पहुंचे तो उन्होंने महालक्ष्मी के दोस्त से अतिरिक्त चाबी लेकर घर का दरवाजा खोला.
दरवाजा खोलते ही उन्हें खून के धब्बे, कीड़े और फ्रिज में महालक्ष्मी के शव के टुकड़े दिखे, जिसके बाद वे लोग चिल्लाते हुए बाहर आए. फिर पुलिस वहां पहुंची और इस दौरान महालक्ष्मी के अलग हो चुके पति हेमंत दास भी मौके पर पहुंचे. हेमंत ने इस दौरान मीडिया के सामने से यह बात कही कि महालक्ष्मी के संबंध अशरफ नाम के व्यक्ति से थे. इसके बाद मीडिया चैनलों ने अशरफ वाली बात आग की तरह फैला दी.
हालांकि बेंगलुरू पुलिस ने हेमंत दास के दावे का खंडन किया. एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी हिंदी को बताया कि “महालक्ष्मी के संबंध अशरफ के साथ थे लेकिन दोनों कुछ समय पहले अलग हो गए थे”.
पुलिस आखिर मुख्य आरोपी मुक्ति नाथ रे तक कैसे पहुंची?
आजतक की रिपोर्ट के अनुसार, जब बेंगलुरू पुलिस ने महालक्ष्मी की हत्या की जांच शुरू की तो उस दौरान पुलिस को उसका मोबाइल फोन भी मिला था. यह फोन 3 सितंबर 2024 से बंद था. इस मोबाइल के कॉल रिकॉर्ड में मुक्ति रंजन रे का नंबर मौजूद था. साथ ही पुलिस मॉल में काम करने वाले महालक्ष्मी के सहयोगियों से भी पूछताछ कर रही थी. पूछताछ में पता चला कि महालक्ष्मी मॉल में आखिरी बार 1 सितंबर को काम करने आई थी और उसी दिन से उसका एक और सहकर्मी मुक्ति रंजन रे भी गायब है. जब पुलिस ने मुक्ति रंजन रे के मोबाइल लोकेशन को खंगाला तो 2 और 3 सितंबर को भी उसका लोकेशन महालक्ष्मी के घर के पास ही मिला.
इसके बाद पुलिस ने मुक्ति रंजन रे की तलाश शुरू कर दी और पुलिस को टेक्निकल एनॉलिसिस के माध्यम से बेंगलुरु में रह रहे उसके भाई का पता लगा. पुलिस के साथ पूछताछ में उसके भाई स्मृति रंजन रे ने यह बताया कि मुक्ति रंजन रे ने उसके सामने महालक्ष्मी की हत्या की बात स्वीकारी थी. उसके भाई ने यह भी पुलिस को बताया कि मुक्ति रंजन को जब यह पता चला कि महालक्ष्मी के जीवन में कोई और शख्स भी है और इसके वाबजूद वह शादी का दवाब बना रही है, तो वह गुस्से से भर गया और फिर उसने महालक्ष्मी की हत्या कर दी.
घटना को अंजाम देने के बाद आरोपी ने ओड़िशा जाकर की आत्महत्या
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, महालक्ष्मी की हत्या करने के बाद मुक्ति बेंगलुरू में रह रहे अपने भाई स्मृति रंजन रे के पास पहुंचा और उससे हत्या की बात बताई. इस दौरान स्मृति ने उसे पकड़े जाने से पहले भाग जाने के लिए कहा और साथ ही उसने मुक्ति को स्कूटर भी उपलब्ध कराया. इसके बाद वह ओड़िशा के बहरामपुर में अपने भाई सत्या रंजन रे के पास पहुंचा और वह वहां करीब 9 दिनों तक रहा.
इसके बाद मुक्ति भद्रक जिले में अपने गांव भूईनपुर भी गया, जहां वह करीब 24 सितंबर की रात तक रहा. फिर वह जरूरी काम कहकर घर से निकला और इसके बाद अगले दिन 25 सितंबर की शाम को उसके गांव से करीब 1.5 किलोमीटर की दूरी पर पेड़ से लटकता हुआ उसका शव मिला. शव के पास से पुलिस को एक डायरी भी बरामद हुई, जिसमें उसने महालक्ष्मी की हत्या की बात कबूली है.
Conclusion
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह पता चलता है कि मुक्ति रंजन रे ही महालक्ष्मी की हत्या का मुख्य आरोपी था, जिसने ओड़िशा में अपने गांव में जाकर आत्महत्या कर ली. उसने अपने सुसाइड नोट में भी इस बात को स्वीकार किया है.
Result: False
Our Sources
Article Published by Dainik Bhaskar on 26th Sep 2024
Article Published by BBC Hindi on 27th Sep 2024
Article Published by AAJ TAK on 27th Sep 2024
Article Published by Hindustan Times on 29th Sep 2024
Article Published by The Hindu on 26th Sep 2024
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