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सोशल मीडिया पर कुछ यूजर्स 14 फरवरी को वैलेंटाइंस डे के रुप में मनाने का विरोध कर रहे हैं। यूजर्स भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू की तस्वीर को शेयर करते हुए दावा कर रहे हैं कि 14 फरवरी 1931 के दिन इन तीनों महान क्रांतिकारियों को फांसी की सजा दी गई थी। आज ही के दिन 2019 में हमारे 40 जवान पुलवामा अटैक में मारे गए थे। इसलिए आज का दिन हम लोगों को वैलेंटाइंस डे के रुप में नहीं बल्कि शहीद दिवस के तौर पर मनाना चाहिए।
पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
एक आसान Google सर्च यह बताने के लिए काफी है कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा ये मैसेज गलत हैं। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा 23 मार्च 1931 को लाहौर में दी गई थी। तीनों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है।
जब हमने गूगल पर कुछ कीवर्ड्स के जरिए सर्च किया तो हमें The Hindu की एक रिपोर्ट मिली। जिसे 23 मार्च 2017 को पोस्ट किया गया था। इस रिपोर्ट में भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी बहादुरी के बारे में बताया गया है। साथ ही इसमें यह भी बताया गया कि भगत सिंह और उनके साथियों को 23 मार्च 1931 को लाहौर में फांसी दी गई थी। जिसे Tribune India ने अपने पहले पेज पर छापा था।
पड़ताल के दौरान हमें 23 मार्च 2017 को किया गया Prasar Bharati का एक ट्वीट मिला। ट्वीट में Prasar Bharati ने शहीद दिवस के दिन Tribune India के 1931 के पेज को शेयर करते हुए भगत सिंह को याद किया गया था। हमें डीडी न्यूज के यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो भी मिला। जिसमें शहीद दिवस के दिन भगत सिंह को श्रद्धांजलि देते हुए उनकी कहानी को बताया गया है।
14 फरवरी, 1931 को, स्वतंत्रता सैनानी पंडित मदन मोहन मालवीय ने भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की फांसी को रोकने की अपील ब्रिटिश सरकार से की थी। उन्होंने ब्रिटिश भारत के वाइसराय को एक टेलिग्राम भेजा था। इस टेलीग्राम का एक अंश Revolutionaries and the British Raj की किताब में है। जिसमें मालवीय ने कहा,“ मैं महामहिम से अपील करता हूँ कि भगत सिंह, राज गुरु और सुखदेव के मामलों में दया के अपने विशेषाधिकार का प्रयोग करते हुए उनकी सजा को रोक दिया जाये और उन्हें जिंदगी दी जाए।
The Hindu की एक रिपोर्ट के मुताबिक ये गलत दावा Wikipedia की एक गलती के कारण वायरल हुआ है। Wikipedia ने अपने पेज पर लिखा था कि भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा 14 फरवरी 1931 को लाहौर में दी गई थी। जिसे भारत में शहीद दिवस के तौर पर मनाया जाता है।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों के मुताबिक भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा 23 मार्च 1931 को लाहौर में दी गई थी। तीनों को श्रद्धांजलि देने के लिए इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाता है। Wikipedia की एक गलती के कारण ये दावा वायरल हुआ है कि 14 फरवरी को भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को फांसी की सजा दी गई थी।
Result: False
Our Sources
The Hindu – https://www.thehindu.com/news/national/Bhagat-Singh-page-lsquovandalised-on-Wikipedia/article15445394.ece
tribuneindia –https://www.tribuneindia.com/news/archive/nation/from-the-tribune-archives-bhagat-singh-rajguru-and-sukhdev-executed-212278
Revolutionaries and the British Raj – https://books.google.co.in/books?id=7_rWWDEgIQMC&pg=PA90&lpg=PA90&dq=pandit+madan+mohan+malviya+appeal+viceroy+14+february&source=bl&ots=yc0SeVc3oO&sig=ACfU3U2pIyIGfZtb61F_ijtsb34y-MMIFQ&hl=en&sa=X&ved=2ahUKEwjkjvWW_7rgAhVDiXAKHZQmAlEQ6AEwD3oECAAQAQ#v=onepage&q=pandit%20madan%20mohan%20malviya%20appeal%20viceroy%2014%20february&f=false
Prasar Bharati – https://twitter.com/prasarbharati/status/844773203427786752
dd news – https://www.youtube.com/watch?v=pXSFAOcrIfc
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