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A self-taught social media maverick, Saurabh realised the power of social media early on and began following and analysing false narratives and ‘fake news’ even before he entered the field of fact-checking professionally. He is fascinated with the visual medium, technology and politics, and at Newschecker, where he leads social media strategy, he is a jack of all trades. With a burning desire to uncover the truth behind events that capture people's minds and make sense of the facts in the noisy world of social media, he fact checks misinformation in Hindi and English at Newschecker.
सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर कर यह दावा किया गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Reliance Jio के लगभग 100 टॉवर टूटने पर तो संसद में दुख जताया। लेकिन किसान आंदोलन में हुई 207 मौतों पर खामोश हैं.
भारत में केंद्र सरकार द्वारा तीन नए कृषि कानूनों की घोषणा के बाद से ही सियासी पारा गर्म होने लगा था. जब देश की संसद ने इन कानूनों को मंजूरी दी तब भी कई किसान संगठनों और राजनैतिक दलों ने इसका विरोध किया और बाद में किसान संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों के माध्यम से कृषि कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग को एक आंदोलन में तब्दील कर दिया. बीच में सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के बीच समझौते की भी खबरें आई, लेकिन कई संयुक्त बैठकों के बाद भी नतीजा सिफर रहा. इसी बीच कड़ाके की सर्दी तथा अन्य कारणों से कई प्रदर्शनकारियों की मृत्यु भी हो गई.
आंदोलन के दौरान उद्योगपतियों के खिलाफ उपजे आक्रोश के फलस्वरूप Jio के सिम कार्ड तोड़ फेंकने और फिर टेलीकॉम कंपनियों के टॉवर तोड़ने के भी कई मामले प्रकाश में आये. भारतीय संविधान द्वारा प्रत्येक नागरिक को कानून के दायरे में रहते हुए पूरी स्वछंदता से अपनी बात कहने का हक़ है, बशर्ते अपनी बात कहने के दौरान अमुक व्यक्ति कोई हिंसा ना करे या किसी कानून का उल्लंघन ना करे. लेकिन इन प्रदर्शनों के दौरान कई बार हिंसा और कानून के उल्लंघन की खबरें प्रकाश में आई. तो वहीं भारत सरकार भी संविधान के दायरे में रहकर कोई भी कानून बना सकती है बशर्ते यह भारत के नागरिकों का अहित ना करते हो लेकिन विपक्ष और प्रदर्शनकारी किसानों का यह कहना है कि नए कृषि कानूनों से उनका अहित हो रहा है. बहरहाल, सरकार द्वारा पारित नए कृषि कानूनों से किसी को कोई समस्या है या नही या फिर इन कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान हिंसा हुई या नहीं, ये दोनों ही विषय बेहद संजीदा हैं और बिना किसी ठोस जानकारी के इन पर कोई भी टिप्पणी करना अनुचित है. सोशल मीडिया यूजर्स द्वारा शेयर किये जा रहे दावे के अनुसार प्रधानमंत्री मोदी ने लगभग 100 टॉवर्स टूटने के बाद संसद में दुख जताया। लेकिन 270 प्रदर्शनकारियों की मौत के बाद भी कुछ नहीं बोले. हमारे एक पाठक ने हमारे आधिकारिक WhatsApp नंबर पर यह दावा भेजकर दावे में टॉवर्स टूटने की संख्या तथा प्रदर्शनकारियों की मौत के जो आंकड़े दावे में दिए गए हैं उनका सच जानना चाहा.
इसी तरह के अन्य दावे यहां (1, 2) देखे जा सकते हैं.
कई फेसबुक यूजर्स ने भी इस दावे को शेयर किया है जिसे यहां (1, 2) देखा जा सकता है.
Fact Check/Verification
वायरल दावे की पड़ताल के लिए हमने सबसे पहले यह पता लगाने का प्रयास किया कि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में टॉवर्स तोड़ने को लेकर प्रधानमंत्री ने क्या बयान दिया था. इसके लिए हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड 2 मिनट और 2 सेकंड का एक वीडियो प्राप्त हुआ जिसमें प्रधानमंत्री कहते हैं, “जब पंजाब की धरती पर सैकड़ों की तादात के अंदर टेलीकॉम के टॉवर तोड़ दिए जाएं… क्या वह किसान की मांग से सुसंगत है क्या…“
इसके बाद हमने यह जानने का प्रयास किया कि किसान आंदोलन के दौरान पंजाब में कुल कितने टॉवर्स क्षतिग्रस्त किये गए. इसके लिए हमने फिर कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया जहां हमें India Today में प्रकाशित एक लेख प्राप्त हुआ। जिसमें जानकारी दी गई है कि पंजाब में 1500 से अधिक टेलीकॉम टॉवर्स को क्षति पहुंचाई गई है. इसके बाद हमें NDTV, Indian Express, Hindustan Times समेत अन्य कई प्रकाशनों में इस विषय पर प्रकाशित लेख प्राप्त हुए। जिनमें क्षतिग्रस्त टॉवर्स की संख्या 1500 के ऊपर बताई गई है तथा सूबे के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा इस विषय पर चिंता व्यक्त करने की भी बात कही गई है.
इसके बाद हमने यह जानने के प्रयास किया कि अब तक किसान आंदोलन में कितने प्रदर्शनकारियों की मृत्यु हो चुकी है. यह जानने के लिए भी हमने कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल सर्च किया। जहां हमें CNN द्वारा 12 फ़रवरी 2021 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली जिसमे यह आंकड़ा 147 के आसपास बताया गया है.
हालांकि किसान आंदोलन के दौरान मृत किसानों की संख्या पर अलग-अलग प्रकाशनों एवं पत्रकारों की अलग-अलग राय है. मसलन साहिल मुरली मेघनानी नामक एक पत्रकार के अनुसार कुल मृतक किसानों की संख्या 28 जनवरी तक 150 से अधिक थी. तो वहीं Scroll.in में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हवाले से यह दावा किया गया है कि किसान आंदोलन के दौरान मृतक किसानों को लेकर केंद्र सरकार के पास कोई ठोस जानकारी नहीं है. The Hindu में 18 जनवरी को प्रकाशित एक लेख के अनुसार खबर लिखे जाने तक नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए 67 किसानों की मृत्यु हो चुकी थी. तो वहीं The Tribune में 25 जनवरी को प्रकाशित एक लेख के अनुसार खबर लिखे जाने तक नए कृषि कानूनों का विरोध करते हुए 24 किसानों की मृत्यु हो चुकी थी.
Conclusion
इस प्रकार हमारी पड़ताल में यह बात साफ हो जाती है कि पंजाब में टॉवर्स तोड़े जाने का यह आंकड़ा भ्रामक हैं तथा किसान आंदोलन के दौरान मृतक किसानों की संख्या को लेकर शेयर किया गया आंकड़ा भी असत्यापित है.
Result: Partly False/Misleading
Sources
Report published by India Today
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