Claim
प्रधानमंत्री राहत कोष से एक मजदूर की नाबालिग बच्ची की जान बचाने के लिए 30 लाख रुपये स्वीकृत किए गए हैं
Verification
ऐसी ही एक खबर तेजी से सोशल मीडिया में शेयर की जा रही है।
नरेंद्र मोदी ने पीएम बनने के बाद लीक से हटकर कई कामों को अंजाम दिया है। खबर की पड़ताल के दौरान हमें उस व्यक्ति के बारे में पता चला जिसके बारे में सोशल मीडिया बात कर रहा है। यूपी के आगरा निवासी सुमेर सिंह की 16 साल की बेटी को अप्लास्टिक एनीमिया हुआ था। काफी इलाज के बाद जब रुपये कम पड़ गए तो उसने PMO कार्यालय को पत्र लिखकर आर्थिक मदद की गुहार लगाई थी। इलाज ना होने पर परिवार ने इच्छा मृत्यु की भी मांग की थी।
इस दौरान हमें
businesstoday का एक लेख प्राप्त हुआ। खबर के मुताबिक़ पीएम मोदी ने यूपी के एक गरीब को बेटी के इलाज के लिए 30 लाख रुपये की मदद की है। लेख ने साफ़ तौर पर कहा है कि प्रधानमंत्री राहत कोष से सुमेर सिंह की बेटी का इलाज कराने के लिए PMO ने 30 लाख रुपये दिए हैं। अपने आर्टिकल के साथ न्यूज़ एजेंसी ANI का एक ट्वीट भी शामिल किया है।
खबर के मुताबिक़ अप्लास्टिक एनीमिया रोग से लड़ रही बेटी की जान बचाने के लिए सुमेर ने अपनी जमीन भी बेच दी है।
नयी दुनिया समाचार भी इस खबर की पुष्टि करता है। अपने शीर्षक ‘PM मोदी ने सुन ली एक पिता की पुकार, आगरा की ललिता को इलाज के लिए मिले 30 लाख’ के हवाले से नयी दुनिया ने कहा है कि मोदी ने इलाज के लिए रुपये आवंटित किए हैं। 23 जून को लिखे गए इस लेख में जिक्र किया गया है कि बीमारी से जूझ रही ललिता के बोन मैरो के लिए जयपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने 10 लाख रूपए की मांग की थी। इसके बाद सुमेर सिंह ने PMO से खत लिखकर मदद की गुहार लगाई। इस लेख के साथ ANI के एक ट्वीट का लिंक भी दिया गया है लेकिन वह क्लिक करने पर ओपन नही होता।
TIMESNOW ने भी इस खबर को सही बताया है। खबर के मुताबिक आगरा निवासी सुमेर सिंह ने अपनी बेटी के इलाज के लिए कई लोगों से मदद मांगी। अपनी जमीन भी बेच दी लेकिन उनकी बेटी का इलाज ना हो सका। इस बाबत उसने एटा से संसद सदस्य राजवीर सिंह से मदद मांगी। लेख ने एक न्यूज़ पोर्टल की खबर के हवाले से पीड़ित को
पीएमओ रिलीफ फंड से कुछ राहत मिलने की बात कही थी लेकिन वह नाकाफी थी। डॉक्टरों ने बोन मैरो के लिए इलाज में 10 लाख रुपये की जरूरत बताई थी। हालांकि अपने शीर्षक में इस लेख ने पीड़ित को 30 लाख रूपए मिलने की बात कही है।
खोज के दौरान
अमर उजाला का एक लेख प्राप्त हुआ। इस लेख ने अपने शीर्षक ‘बीमार बेटी के बेबस पिता की गुहार, इलाज के लिए मदद करो या फिर ‘मौत’ दे दो सरकार’ से खबर की है। खबर में इस बात का जिक्र है कि PMO ने राहत के तौर पर 3 लाख रुपये दिए थे जिसे अस्पताल पहुंचा दिया गया। हालांकि ये रुपये इलाज के लिए नाकाफी हैं। इलाज के लिए चिकित्सकों ने 10 लाख रुपये की मांग की है। सुमेर सिंह ने अपना घर भी गिरवी रख दिया है। अब वे एक रिश्तेदार के यहाँ रहते हैं।
बारीकी से खोजने पर आज यानि 24 जून को
TOI की एक खबर मिली। इसने सभी खबरों को खारिज करते हुए पीएमओ द्वारा पीड़ित के इलाज के लिए 30 लाख रूपए न दिए जाने की बात की है। खबर ने पीड़ित सुमेर सिंह के वक्तव्य को कोट करते हुए शीर्षक बनाया है। सुमेर सिंह ने ऑनलाइन अफवाह के बदले लोगों से अपनी मदद की गुहार की है।
इस खबर के बारे में पत्रकार अरविन्द चौहान ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक कटिंग के साथ ट्वीट किया है।
क्या सच में गरीब लड़की के इलाज के लिए PMO ने 30 लाख रुपये राहत कोष से स्वीकृत किए हैं? खबर की असलियत जानने के लिए PIB की वेबसाइट खंगाली। यहां भी कुछ ऐसा नहीं दिखा जिसमें PMO द्वारा फंड रिलीज के सम्बन्ध में कोई जानकारी दी गई हो। PMO की वेबसाइट पर भी कोई प्रेस रिलीज नहीं मिली। PMO का आधिकारिक ट्वीटर अकाउंट खंगालने पर इस खबर से सम्बंधित कोई ट्वीट नहीं मिला।
ज्यादा जानकारी के लिए PMO के उप सचिव (फंड) के टेलीफोन नंबर पर संपर्क किया। इस बारे में जानकारी लेने की कोशिश की लेकिन फोन डिस्कनेक्ट कर दिया गया। PMO द्वारा इलाज के लिए 30 लाख रूपए का फंड रिलीज किए जाने की खबर को प्रमुखता देने वाले समाचार माध्यमों ने कहीं भी आधिकारिक रूप से PMO राहत फंड का कोई भी प्रमाण साझा नही किया है। इस बात से यह साबित होता है कि खबर भ्रामक है।
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