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Common Myth
मछली खाने के बाद दूध या दूध से बनी चीज़ें खाने से हमें रोका जाता रहा है। कहते हैं कि इससे त्वचा की बीमारी, ल्यूकोडर्मा (सफ़ेद धब्बे होना) होता है। कई बार आपने बाहर भी लोगों को मीट-मछली खाने के बाद दूध से बनी किसी चीज़ का सेवन करने से बचते हुए देखा होगा। कई वेबसाइट्स ने इसे आयुर्वेद पर आधारित बताया है। आजतक के “क्या आपको पता है मछली खाने के तुरंत बाद दूध क्यों नहीं पीना चाहिए” लेख के अनुसार आयुर्वेद के हिसाब से रोज़ाना मछली खाने के बाद दूध का सेवन करने से ल्यूकोडर्मा हो सकता है। अमर उजाला के “भूलकर भी मछली खाने के बाद न करें दूध का सेवन, जिंदगी भर पछताना पड़ेगा” लेख में भी यही कारण बताया गया है।
खाने की इस आदत पर हमारा अब तक विश्वास है, जबकि किसी भी डॉक्टर या विशेषज्ञ ने इस बात को नहीं माना है। असल में इसका कोई वैज्ञानिक प्रमाण या अध्ययन नहीं है जो यह साबित करे कि दूध और मछली एक साथ खाने से त्वचा की बीमारी होती है। बल्कि कई ऐसे पकवान हैं जिसमें मछली व दूध का साथ-साथ या एक दूसरे के बाद सेवन किया जाता है।
स्वास्थ्य संबंधी जानकारी देने वाली वेबसाइट प्रैक्टो के अनुसार ऐसा कोई वैज्ञानिक दावा नहीं है जिससे कि ये साबित किया जाए कि ल्यूकोडर्मा, जो विटिलिगो बीमारी का ही एक प्रकार है, खाने की किसी आदत से होता है।
यह बीमारी शरीर के किसी हिस्से या पूरे शरीर में फंगल इंफेक्शन या पिगमेंट-फॉर्मिंग सेल्स मिलनोसाइट्स (melanocytes) के नष्ट होने से होती है। पर हाँ, कुछ डॉक्टर्स और डाईटीशियन ये ज़रूर मानते हैं कि अगर दूध और मछली, दोनों का सेवन एक साथ किया जाये तो आपको इन्हें पचाने में दिक्कत आ सकती है। क्यूंकि मछली में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है और दूध में भी, तो दो अधिक प्रोटीन वाले खाद्य पदार्थों का साथ में सेवन करना अपच को निमंत्रण दे सकता है।
यह एक तरह का बस मिथ्य भर है, मछली की कई डिश ऐसी हैं जिनमें दही का इस्तेमाल किया जाता है, जैसे उसे मैरीनेट करने में। कॉन्टिनेंटल खानों में तो ज़्यादातर मछली के साथ क्रीम (दूध का एक उत्पाद) मिलाकर कई अलग-अलग प्रकार की डिश तैयार की जाती हैं।
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