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Common Myth
जब भी बात फिटनेस की आती है तो सबसे पहला ज़िक्र प्रोटीन का होता है। क्योंकि फिटनेस वाले लोग प्रोटीन डाइट पर खासा ज़ोर देते हैं। जिम जाने वाले और वज़न कम करने के लिए इच्छुक लोग अपने मेटाबॉलिज़्म को कंट्रोल में रखने के लिए भारी मात्रा में प्रोटीन लेते हैं। जबकि कुछ लोगों का कहना है कि लंबे समय तक उच्च मात्रा में प्रोटीन लेने से दिल, किडनी और हड्डियों को नुकसान पहुंच सकता है। प्रोटीन से भरपूर खाने को मांसपेशियों का भोजन भी कहा जाता है। लेकिन कहते हैं कि जब आवश्यकता से ज्यादा प्रोटीन मांसपेशियों को दिया जाता है तो बाहर से पता नहीं चलता लेकिन उसका नुकसान हमारे शरीर के अंदर होने लगता है जो अंगों को खराब करना शुरु कर देता है। क्या वाकई इस बात में सच्चाई है?
Fact
दरअसल किडनी में ख़राबी और किसी भी प्रकार की किडनी की समस्या वाले व्यक्ति को अगर हाई-प्रोटीन दिया जाता है तो वह उसके शरीर के लिए नकुसनादायक होता है। वहीं अगर हम बात करते हैं एक तंदरुस्त इंसान की जिसको किसी भी प्रकार की कोई भी किडनी से संबंधित बीमारी नहीं होती। ऐसा व्यक्ति अगर अपनी डाइट में हाई-प्रोटीन ले रहा है तो उससे उस व्यक्ति की किडनी को किसी भी तरह का कोई भी नुकसान नहीं होता। यह केवल लोगों द्वारा बनाया गया एक भ्रम है कि ज्यादा प्रोटीन का सेवन किडनी को नुकसान पहुंचाता है। हमेशा आपने डॉक्टर्स को यह कहते हुए सुना होगा कि किडनी के मरीज़ को डाइट में प्रोटीन की मात्रा कम से कम लेनी चाहिए। इसके उलट जानकार कहते हैं कि ज्यादा प्रोटीन लेने से मेटाबॉलिज़्म बढ़ता है और ये मांसपेशियों को भी ताकतवर बनाता है। किडनी के काम पर प्रोटीन का प्रभाव बहुत अधिक विवादास्पद है, विशेष रूप से ग्लोमेरुलर निस्पंदन दर (GFR) पर इसका प्रभाव है, जो यह जांचने के लिए है कि किडनी कितनी अच्छी तरह से रक्त को छानती हैं और अपशिष्ट को निकालती हैं। विशेषज्ञों ने अपनी शोध में ये पाया है कि हाई-प्रोटीन डाइट सुरक्षित है।
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