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सरकार ने जब से नुकसान में चल रही सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनियों का निजीकरण (privatization) करना शुरू किया है, तब से किसी न किसी सरकारी कंपनी को प्राइवेट कंपनियों के हाथों बेचने सम्बन्धी दावे वायरल होते ही रहते हैं। ऐसी ही एक खबर सोशल मीडिया (social media) पर एक बार फिर देखने को मिली है।
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सोशल मीडिया (social media) पर बीएसएनएल को लेकर एक दावा खूब वायरल हो रहा है। सोशल मीडिया (social media) पर एक पेपर की कटिंग को शेयर करते हुए कहा जा रहा है कि सरकार 65 हजार टॉवर रिलायंस को सौंपने की तैयारी में है (privatization)। इसी के साथ ये भी कहा जा रहा है कि अब वो दिन दूर नहीं जब भारत का नाम बदल कर अम्बानिस्तान या अडानिस्तान रख दिया जायेगा।
वायरल पोस्ट से जुड़ा आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है।
Fact Check/Verification
सोशल मीडिया (social media) पर वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हमने गूगल रिवर्स सर्च के तस्वीर को खोजने का प्रयास किया। इस दौरान हमें वायरल दावे से जुड़ी कोई जानकारी हासिल नहीं हुई। इसके बाद हमने कुछ कीवर्ड्स के जरिए गूगल पर सर्च किया।
इस दौरान वायरल तस्वीर से जुड़े कई आर्टिकल मिले। जिनके जरिए हमें पता चला कि ये खबर गलत है। यह आज की नहीं बल्कि पांच साल पुरानी खबर है। दैनिक जागरण पर छपे एक आर्टिकल के मुताबिक सरकार ने 65 हजार टॉवरों को निजी कंपनियों को सौंपने की तैयारी की थी। इस आर्टिकल में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं था कि सिर्फ रिलायंस जियो को बीएसएनएल अपने 65 हजार टॉवर बेचेगा।
वायरल दावे के बारे में और सच्चाई पता करने के लिए हमने एक बार फिर कुछ कीवर्ड्स के जरिए गूगल पर सर्च किया। जिसके बाद हमें साल 2018 में प्रकाशित इकॉनमी टाइम्स का एक आर्टिकल मिला। जिसमें साफ-साफ तौर पर बताया गया था कि बीएसएनएल अपना बिजनेस जियो को नहीं बेचने जा रहा था। यानि बीएसएनएल के टॉवरों का निजीकरण (privatization) नहीं हो रहा था।
बीएसएनएल के टॉवरों के कारोबार के बारे में ज्यादा जानकारी हासिल करने के लिए हमने अपनी पड़ताल जारी रखी। अपनी पड़ताल के दौरान हमें लाइव मिंट का एक आर्टिकल मिला। जिसके मुताबिक बीएसएनएल ने अपने 13 हजार से ज्यादा टॉवरों को टेलिकॉम कंपनियों एयरटेल, वोडाफोन और जियो को किराये पर दे रखा है। जिसमें से जियो बीएसएनएल का सबसे बड़ा मोबाइल टॉवर ग्राहक है। जियो ने बीएसएनएल से कुल 8 हजार से ज्यादा टॉवर किराये पर लिया हुआ है।
Conclusion
सोशल मीडिया (social media) पर 5 साल पुरानी खबर को गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। रिलायंस और बीएसएनएल के बीच 65 हजार टॉवरों के अधिग्रहण को लेकर कोई डील नहीं हुई है।
Result: False
Our Sources
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Daink Jagran – https://www.jagran.com/uttar-pradesh/allahabad-city-15215523.html
Economies times – https://telecom.economictimes.indiatimes.com/news/no-plan-to-sell-tower-business-to-jio-bsnl/65963275