Authors
An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.
वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे में सोमवार को हिंदू पक्ष ने दावा किया कि उन्हें मस्जिद में एक शिवलिंग मिला है. इसी बीच सोशल मीडिया पर कुछ तस्वीरों को शेयर करते हुए इसे ज्ञानवापी मस्जिद में सर्वे के दौरान मिले शिवलिंग का बताया जा रहा है।
फेसबुक और ट्विटर पर तीन तस्वीरें तेजी से वायरल हो रही हैं. एक तस्वीर में खुदी हुई जमीन के अंदर शिवलिंग के आकार जैसा एक पत्थर नजर आ रहा है. वहीं, दूसरी तस्वीर में पानी के बीच एक फव्वारा लगा देखा जा सकता है. तीसरी फोटो में एक विशाल शिवलिंग नजर आ रहा है. तीनों तस्वीरों को ज्ञानवापी मस्जिद विवाद से जोड़ा जा रहा है.
इंडिया टुडे की एक खबर की अनुसार, ज्ञानवापी मस्जिद विवाद 1991 में शुरू हुआ था, जब वाराणसी कोर्ट में कुछ स्थानीय पुजारियों ने याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि मुगल शासक औरंगजेब ने ज्ञानवापी मस्जिद को काशी विश्वनाथ मंदिर के एक हिस्से को तोड़कर बनवाया था. इस तर्क पर पुजारियों ने कोर्ट से कहा था कि उन्हें इस मस्जिद में पूजा करने की इजाजत दी जाए. इसके बाद से अभी तक यह मामला अलग-अलग अदालतों में घूम रहा है. हाल ही में वाराणसी कोर्ट ने मस्जिद में सर्वे करने का आदेश दिया. 16 मई को सर्वे के दौरान हिंदू पक्ष की ओर से दावे किए गए कि उन्हें मस्जिद में एक शिवलिंग मिला है. इसी हलचल के बीच सोशल मीडिया पर ये तस्वीरें वायरल हो रही हैं.
Fact Check/Verification
पहली तस्वीर
इस तस्वीर को रिवर्स सर्च करने पर हमें मई 2020 की कुछ खबरें मिलीं, जिनमें बताया गया था कि यह तस्वीर वियतनाम की है, जहां खुदाई के दौरान 1100 साल पुराना एक शिवलिंग मिला. इसके बाद कुछ कीवर्ड्स की मदद से हमें इस मामले को लेकर और भी कई खबरें मिलीं, जिनमें वायरल तस्वीर से मिलती-जुलती तस्वीरों को देखा जा सकता है.
नवभारत टाइम्स की एक खबर के अनुसार, वियतनाम में मई 2020 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) को खुदाई के दौरान बलुआ पत्थर का एक विशाल शिवलिंग मिला था. इस बात की जानकारी खुद विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ट्विटर पर दी थी.
एएसआई को ये शिवलिंग वियतनाम के माई सोन मंदिर परिसर में मिला था. उस समय हिंदुस्तान टाइम्स सहित कई मीडिया संस्थाओं ने इसको लेकर खबरें प्रकाशित की थीं.
दूसरी तस्वीर
फव्वारे की इस तस्वीर को सोशल मीडिया यूजर्स यह बताते हुए शेयर कर रहे हैं कि यह वही ‘शिवलिंग’ है जिसके ज्ञानवापी मस्जिद में मिलने का दावा हिंदू पक्ष ने किया है. चूंकि फोटो में दिख रहा स्ट्रक्चर शिवलिंग के आकार का नहीं है, कुछ लोग तंज कर रहे हैं कि हिंदू पक्ष इतना अंधभक्त हो गया है कि उसे ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद फव्वारा भी शिवलिंग नजर आ रहा है.
लेकिन जो लोग यह तंज कर रहे हैं उनका दावा गलत है. ज्ञानवापी विवाद में हिंदू पक्ष ने इस तस्वीर में दिख रहे फव्वारे को लेकर कोई दावा नहीं किया है. असल में यह तस्वीर राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह की है और 2016 की है. ज्ञानवापी विवाद से इसका कोई लेना देना नहीं है.
दरअसल 16 मई को सर्वे के दौरान जब हिंदू पक्ष ने यह दावा किया कि ज्ञानवापी मस्जिद में एक शिवलिंग मिला है, तब मुस्लिम पक्ष का कहना था कि यह कोई शिवलिंग नहीं बल्कि एक फव्वारा है. ज्ञानवापी मस्जिद में मौजूद जिस ढांचे को शिवलिंग या फव्वारा बताया जा रहा है, उसे आज तक की इस खबर में देखा जा सकता है. लेकिन यह ढांचा वायरल तस्वीर वाले फव्वारे से काफी अलग है.
तीसरी तस्वीर
विशाल शिवलिंग की इस फोटो को खोजने पर सामने आया कि ये शिवलिंग ओडिशा के बालासोर के एक मंदिर में स्थित है. ये बाबा भूसंदेश्वर का मंदिर है. इंटरनेट पर इस शिवलिंग की कई तस्वीरें और वीडियो मौजूद हैं.
Conclusion
इस तरह हमारी पड़ताल में साबित हो जाता है कि इन दोनों तस्वीरों का ज्ञानवापी विवाद से कोई संबंध नहीं है. पहली तस्वीर वियतनाम की है. वहीं, दूसरी तस्वीर अजमेर शरीफ दरगाह की है. तीसरी फोटो ओडिशा के एक मंदिर की है. ज्ञानवापी विवाद की आड़ में इन्हें गलत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है.
Result: False Context/False
This story is later updated with the third picture.
Our Sources
Report of Navbharat Times, published on May 27, 2020
Tweet of S. Jaishankar of May 27, 2020
Getty Images
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