गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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क्या वाराणसी में ईवीएम के साथ सचमुच हुई हेराफेरी? जानिए पूरा सच

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An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.

उत्तर प्रदेश में चुनाव खत्म हो जाने के अगले दिन यानी 8 मार्च 2022 को ईवीएम पर बवाल शुरू हो गया. समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कुछ वीडियोज शेयर करते हुए वाराणसी में प्रशासन द्वारा ईवीएम की हेराफेरी करने का आरोप लगाया.

इन वीडियोज में एक टेंपो में ढेर सारे ईवीएम के बॉक्स देखे जा सकते हैं. टेंपो पर कुछ लोग खड़े हैं और आसपास काफी भीड़ दिख रही है. लोग बीजेपी सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते नजर आ रहे हैं.

ट्वीट का आर्काइव यहां देखा जा सकता है.

ट्वीट का आर्कइव यहां देखा जा सकता है.

अनीस राजा नाम के एक सपा कार्यकर्ता ने वीडियो के साथ लिखा कि वाराणसी में ईवीएम बदलने की बड़ी साजिश पकड़ी गई है. इसी तरह कई अलग-अलग कैप्शंस के साथ ये वीडियोज वायरल हो रहे हैं.

इसके साथ ही 8 मार्च की शाम को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि वाराणसी में स्थानीय प्रत्याशियों को बिना सूचित किए जिलाधिकारी ईवीएम मशीनों की मूवमेंट करा रहे हैं.

Fact Check/Verification

आरोपों पर क्या है चुनाव अधिकारियों का बयान?

इस बारे में हमें उत्तर प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी का एक ट्वीट मिला, जिसमें इस मामले को लेकर एक प्रेस रिलीज मौजूद थी. प्रेस रिलीज में लिखा है कि, “टेंपो में जो ईवीएम दिख रही हैं वह मतगणना अधिकारियों के प्रशिक्षण के लिए रखी गईं थीं. यह प्रशिक्षण 9 मार्च 2022 को आयोजित होना था. इसी वजह से 8 मार्च को इन ईवीएम मशीनों ‌को स्टोरेज से एक कॉलेज ले जाया रहा था, जहां ट्रेनिंग होनी थी. इसी दौरान राजनीतिक दलों के कुछ लोगों ने इस वाहन को रोक लिया और यह अफवाह फैला दी गई कि ये ईवीएम मशीनें मतदान में इस्तेमाल हुई थीं.”

प्रेस रिलीज में आगे बताया गया है कि “जो मशीनें मतदान के लिए इस्तेमाल हुईं थीं वह स्ट्रांग रूम के अंदर सील बंद हैं और केंद्रीय अर्धसैनिक बलों की निगरानी में सुरक्षित हैं. यह मशीनें ट्रेनिंग के लिए इस्तेमाल होने वाली मशीनों से बिल्कुल अलग हैं”. अखिलेश यादव के आरोपों पर वाराणसी के डीएम कौशल राज शर्मा ने भी यही बयान दिया है.

चुनाव आयोग और वाराणसी के डीएम द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण से इस बात को भी बल मिलता है कि जो मशीनें वायरल वीडियोज में दिख रही हैं उन पर “प्रशिक्षण/ जागरूकता ईवीएम” लिखा स्टीकर चिपका हुआ है. बेहतर क्वालिटी के वीडियो में ईवीएम पर यह स्टीकर साफ-साफ नजर आ रहा है.

वाराणसी में ईवीएम
Screenshot from viral video

तो फिर क्या वाराणसी में अधिकारियों से नहीं हुई कोई चूक?

दरअसल, इस बात को खुद वाराणसी के कमिश्नर दीपक अग्रवाल ने स्वीकारा है कि ईवीएम मशीनों की मूवमेंट में प्रशासन की तरफ से चूक हुई थी. दीपक अग्रवाल के इस बयान का वीडियो भी वायरल हो रहा है.

इसको लेकर भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा ने भी अपना बयान दिया है. चंद्रा का कहना है कि प्रक्रिया का पालन करते हुए वाराणसी के एडीएम को ट्रेनिंग वाली ईवीएम की मूवमेंट को लेकर राजनीतिक दलों को सूचित करना था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसकी वजह से यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने एडीएम को सस्पेंड कर दिया है. हालांकि, ईवीएम के साथ छेड़छाड़ या हेराफेरी के दावे को चंद्रा ने भी खारिज कर दिया है.

Conclusion

इस तरह हमारी जांच में ये निकलकर सामने आता है कि ईवीएम की मूवमेंट को लेकर वाराणसी प्रशासन से गलती जरूर हुई थी, लेकिन वीडियो में दिख रही मशीनें मतदान वाली मशीनों से अलग थीं और उन्हें प्रशिक्षण के लिए रखा गया था. इसके अलावा, अगर आगे इस मामले में कुछ और जानकारी सामने आती है तो उसे इस फैक्ट चेक में अपडेट कर दिया जाएगा.

Result: False Context/Missing Context

Sources

Tweet of UP CEO

Viral Video screenshots

Versions of Varanasi DM, Varanasi Commissioner and Chief Election Commissioner of India

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An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.

Arjun Deodia
An Electronics & Communication engineer by training, Arjun switched to journalism to follow his passion. After completing a diploma in Broadcast Journalism at the India Today Media Institute, he has been debunking mis/disinformation for over three years. His areas of interest are politics and social media. Before joining Newschecker, he was working with the India Today Fact Check team.

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