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Fact Check
Claim
सोशल मीडिया पर यह दावा वायरल हो रहा है कि वर्ल्ड बैंक ने भारत से विकासशील देश का टैग हटाकर उसे पाक, जांबिया और घाना जैसे देशों के बराबर रखा है।
9 मार्च 2024 को एक वेरीफाईड एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल से किये गए पोस्ट में दावा किया गया है कि ”वर्ल्ड बैंक ने हटाया भारत से विकासशील देश का टैग अब पाक, जांबिया और घाना जैसे देशों के बराबर रखा।” पोस्ट में आगे लिखा है कि ”अबकी बार और आ गए तो भुखमरी पर लाकर खड़ा कर देंगे यह मेरा पूरा विश्वास है। अंधभक्तों आंखें खोलो विश्व गुरु का सपना दिखाकर भिखारी बनाया जा रहा है, भुखमरी बेरोजगारी अशिक्षा फैलाई जा रही है क्या इस बार भी बीजेपी जीतेगी या बुरी तरह हारेगी आप लोग अपनी राय दें?”
9 मार्च 2024 को शेयर किए गए एक्स पोस्ट में ‘वर्ल्ड बैंक ने हटाया भारत से विकासशील देश का टैग, अब पाक, जांबिया और घाना जैसे देशों के बराबर रखा’ हेडलाइन के साथ प्रकाशित जनसत्ता की रिपोर्ट के स्क्रीनशॉट के साथ इस दावे को शेयर किया गया है।
यह दावा हमें WhatsApp Tip Line (9999499044) पर भी प्राप्त हुआ।
Fact
वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले हमने गूगल पर कीवर्ड्स की मदद से जनसत्ता की इस इस खबर को खोजा। परिणाम में हमने पाया की यह खबर पुरानी है। जनसत्ता द्वारा इस खबर को 5 जून 2016 को प्रकाशित किया गया था। खबर के मुताबिक, उस समय वर्ल्ड बैंक ने अर्थव्यवस्था के बंटवारे की श्रेणियों के नामों में बदलाव किया था। इससे पहले तक लो और मिडिल इनकम वाले देशों को ‘विकासशील’ और हाई इनकम वाले देशों को ‘विकसित’ देशों में गिना जाता था। इस तरह वर्ल्ड बैंक भारत का उल्लेख ‘विकासशील’ देशों में करता था। इसके बाद साल 2016 में वर्ल्ड बैंक ने देशों का उल्लेख प्रति व्यक्ति आय के आधार पर करना शुरू कर दिया, श्रेणियों के नामों में बदलाव के बाद भारत को लोअर-मिडल इनकम देश या अर्थव्यवस्था कहा जाने लगा।
4 जून 2016 को आज तक द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, नए वर्गीकरण में जिन देशों का ग्रॉस नेशनल इनकम (प्रति व्यक्ति) 1,045 डॉलर से कम है, उन्हें लो इनकम देश या अर्थव्यवस्था कहा जाएगा, वहीं जिन देशों में ये आय 1,046 डॉलर से लेकर 4,125 डॉलर के बीच रहती है, उन्हें लोअर मिडिल इनकम देश कहा जाएगा।
31 मई 2016 को इकनोमिक टाइम्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में बताया गया है कि कई दशकों से देशों की अर्थव्यवस्था को ‘विकसित’ और ‘विकासशील’ के नाम से जाना जाता था। 2016 में वर्ल्ड बैंक ने इसके विवरण में बदलाव कर दिया और इसके बाद से देशों को उनकी प्रति व्यक्ति सकल घरेलू आय के आधार पर बांटा जाने लगा। इस बदलाव के पीछे वर्ल्ड बैंक ने तर्क दिया था कि वह देश, जिनकी प्रति व्यक्ति आय में अच्छा खासा अंतर है, एक ही श्रेणी में नहीं गिने जा सकते हैं।
2015 में वर्ल्ड बैंक की वेबसाइट पर प्रकाशित ब्लॉग में एक्सपर्ट्स ने विस्तार से बताया था कि ‘विकासशील देश’ या ‘विकासशील अर्थव्यवस्था’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करने में क्या समस्या है।
इसके बाद वर्ल्ड बैंक द्वारा जारी किए गए ‘वर्ल्ड डेवलपमेंट इंडिकेटर्स’ के 2016 के संस्करण में देशों को ‘विकासशील’ या ‘विकसित’ शब्दों से सूचित नहीं किया गया। इस बात की जानकारी वर्ल्ड बैंक ने एक ब्लॉग के जरिए भी दी थी।
नए फार्मूले के तहत देशों को चार श्रेणियों में बांट दिया गया है। यह श्रेणियां हैं- लो इनकम इकॉनमी, लोअर मिडल इनकम इकॉनमी, अपर मिडल इनकम इकॉनमी और हाई इनकम इकॉनमी।
इससे पहले साल 2022 में भी यह दावा वायरल हुआ था। उस समय Newschecker द्वारा किए गए फैक्ट चेक को यहां पढ़ा जा सकता है।
Result: Missing Context
Sources
Report published by Jansatta on 5th June 2016.
Report published by Aaj Tak on 4th June 2016.
Report published by Economic Times on 31st May 2016.
Blog published by World Bank 16th November 2015.
Blog Published by World Bank on June 30th 2023.
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