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सोशल मीडिया पर एक तस्वीर शेयर की जा रही है। तस्वीर को 1948 में लंदन में हुए ओलंपिक का बताया गया है। दावा किया गया है कि भारतीय टीम ने बिना जूतों के मैच खेला था जबकि उस समय नेहरू के कपड़े और जूते विशेष विमान से विदेश से मंगाए जाते थे।
ट्वीट का आर्काइव वर्जन यहां देखा जा सकता है।
सन 1947 में देश की आजादी के बाद जवाहर लाल नेहरू को देश का पीएम बनाया गया था। 2 मई 2019 को News18 द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अनुसार, भारतीय संविधान सभा ने 15 अगस्त 1947 को लार्ड माउंटबेटन को भारत का प्रथम गवर्नर जनरल बनाया गया था। उसके बाद उसी दिन माउंटबेटन ने नेहरू को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री की शपथ दिलाई थी। नेहरू, राजनीति की दुनिया में हमेशा से अपने महंगे शौक और आलीशान रहन-सहन के लिए सुर्खियों में छाए रहते थे। वह दिखने में काफी साधारण थे, लेकिन अपनी जिंदगी को रॉयल अंदाज में जीते थे। 6 मार्च 2021 को The Hindu Times द्वारा प्रकाशित एक लेख के मुताबिक, नेहरू खानदान की जन्मभूमि कश्मीर थी और नेहरू के दादा पंडित गंगाधर नेहरू दिल्ली के कोतवाल हुआ करते थे। ऐसे में उनकी शानों-शौकत भरी जिंदगी काफी चर्चा में रहती थी। जवाहर लाल नेहरू के कपड़ों को लेकर यह कहानी काफी प्रचलित है कि उनके कपड़े धुलने के लिए लंदन भेजे जाते थे। अब इसी किस्से से जोड़कर सोशल मीडिया यूजर्स ने दावा किया है कि देश के खिलाड़ियों को खेलने के लिए जूते नहीं थे, लेकिन नेहरू जी खुद के महंगे शौक पूरा किया करते थे।
वायरल दावे को ट्विटर पर कई अन्य यूजर्स द्वारा भी शेयर किया गया है।
ट्वीट्स का आर्काइव वर्जन यहां और यहां देखा जा सकता है।
उपरोक्त तस्वीर को फेसबुक पर भी कई यूजर्स द्वारा पोस्ट किया गया है।
फेसबुक पोस्ट्स को यहां, यहां और यहां देखा जा सकता है।
फेसबुक पर उपरोक्त दावे को कितने लोगों ने पोस्ट किया है, यह जानने के लिए हमने CrowdTangle टूल का उपयोग किया। इस दौरान हमने पाया कि 3 दिन के अंदर फेसबुक पर इस संदेश को 61 से अधिक बार शेयर किया गया है, जिसे कुल 2962 इंटरैक्शंस (रिएक्शन, कमेंट, शेयर) प्राप्त हुए हैं।
Fact Check/Verification
क्या सच में 1948 में लंदन में हुए ओलंपिक में भारतीय टीम ने बिना जूतों के मैच खेला था? इसका सच जानने के लिए हमने पड़ताल शुरू की। सबसे पहले हमने वायरल हो रही तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च की मदद से गूगल पर खोजा। इस दौरान हमें 30 नवंबर, 2020 को olympics की वेबसाइट पर प्रकाशित एक खबर मिली, जिसमें उपरोक्त दावे के साथ शेयर की जा रही तस्वीर प्रकाशित थी।
Olympics की वेबसाइट पर प्रकाशित जानकारी के मुताबिक, टीम इंडिया के खिलाड़ी नंगे पांव मैदान में फुटबॉल खेल रहे थे। हालांकि, भारतीय खिलाड़ी इतने उत्साह के साथ फुटबॉल रहे थे, जैसे उनके लिए जूते का होना जरूरी ही नहीं था। लेकिन बाद में कप्तान T. Ao ने इस पर एक टिप्पणी की, “आप देखते हैं, हम भारत में फुटबॉल खेलते हैं, जबकि आप बूटबॉल खेलते हैं.” उनकी यह टिप्पणी मीडिया में चर्चा में रही थी।
वायरल तस्वीर की सत्यता जांचने के लिए हमने कुछ कीवर्ड्स की सहायता से गूगल पर खोजना शुरू किया। इस दौरान हमें कई नतीजे प्राप्त हुए। प्राप्त नतीजों में हमें 1948 ओलंपिक से संबंधित कई मीडिया रिपोर्ट्स प्राप्त हुईं।
हमें The Naga Republic और Sports-Nova पर साल 1948 ओलंपिक से जुड़ी ख़बरें प्राप्त हुईं. 27 जनवरी 2018 को The Naga Republic द्वारा प्रकाशित लेख के मुताबिक, ‘कुछ ही देर बाद एक प्रेस कांफ्रेंस में भारतीयों से पूछा गया कि वे नंगे पैर क्यों खेलते हैं? मजाकिया अंदाज में T.Ao ने कहा, “आप देखते हैं, हम भारत में फुटबॉल खेलते हैं, जबकि आप बूटबॉल खेलते हैं!” T. Ao की इस बात ने लंदन के अखबार में खूब सुर्खियां बटोरी थी।
7 सितंबर, 2019 को Sports-Nova द्वारा प्रकाशित लेख के मुताबिक, जब एक रिपोर्टर ने टी. एओ से बिना बूट के खेलने का कारण पूछा, तो उन्होंने मजकिया अंदाज में जवाब दिया कि भारतीय फुटबॉल खेलते हैं, बूटबॉल नहीं।
इसके अलावा हमें 31 जुलाई 2018 को फीफा का एक ट्वीट और 1 अगस्त, 2018 को स्पोर्ट स्टार द्वारा प्रकाशित एक लेख मिला, जिसमें वायरल तस्वीर से संबंधित खबर प्रकाशित की गई थी। फीफा ने अपने ट्विटर हैंडल से तस्वीर को शेयर करते हुए कैप्शन में लिखा था, ‘इस दिन 1948 में भारत ने अपना पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। भारतीय टीम, जिनमें से अधिकांश खिलाड़ी नंगे पांव खेल रहे थे। वे फ्रांस से 2-1 हारे, लेकिन हारने से पहले पूरी तरह मुकाबला किया।’
SPORT STAR में प्रकाशित लेख के मुताबिक, भारत ने पहली बार 1948 के लंदन ओलंपिक में एक स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में खेलने के लिए अपनी फुटबॉल टीम भेजी थी। भारतीय खिलाड़ी उस समय नंगे पैर खेल खेलते थे, जो अन्य देशों के लिए सामान्य नहीं था। हालांकि, अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) द्वारा उपलब्ध कराए गए जूतों को सिर्फ ऐसे मौकों के लिए रखा, जब गीली और फिसलन वाली विदेशी पिचों पर खेलना हो या फिर ऐसी परिस्थितियों में, जब उन्हें जूते पहनने के अलावा कोई विकल्प नहीं हो।
प्राप्त मीडिया रिपोर्ट्स और फीफा के ट्वीट में इस बात का कहीं जिक्र नहीं मिला कि साल 1948 का ओलंपिक खेल रही भारतीय फुटबॉल टीम इसलिए जीत न सकी, क्योंकि उनके पास जूते नहीं थे बल्कि स्पोर्टस्टार के मुताबिक, उस वक्त भारतीय खिलाड़ी जूते का इस्तेमाल नहीं किया करते थे।
Conclusion
हमारी पड़ताल में मिले तथ्यों से यह साफ होता है कि सोशल मीडिया पर भारतीय खिलाड़ियों की तस्वीर के साथ ‘साल 1948 का ओलंपिक खेल रही भारतीय फुटबॉल टीम इसलिए जीत न सकी क्योंकि उनके पास जूते ही नहीं थे’ का वायरल दावा भ्रामक है। उस वक्त भारतीय खिलाड़ियों द्वारा जूतों का कम इस्तेमाल किया जाता था।
Result: Misleading
Our Sources
Report Published By The Naga Republic, Dated 27 January 2018
Report Published By Olympics, Dated 20 June 2021
Tweet By FIFA On 31 July 2021
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