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कथित मॉब लिंचिंग का शिकार हुए झारखण्ड के तबरेज अंसारी के जनाजे में जुटी भीड़ को लेकर एक सन्देश तेजी से सोशल मीडिया में वायरल हो रहा है। सन्देश में कहा जा रहा है कि यदि शांति पूर्वक इतने लोग इकठ्ठा होकर मॉब लिंचिंग के खिलाफ प्रदर्शन करें तो इस पर कड़ा कानून बन सकता है।
तबरेज अंसारी उर्फ़ सोनू नामक युवक की हत्या कब और किन परिस्थितियों में हुई यह खोजने पर हमें
बीबीसी का एक लेख मिला। इस लेख में पूरा मामला विस्तार से बताया गया है। असल में तबरेज अंसारी पुणे में एक कंपनी में काम करता था। उसकी शादी अभी इसी साल अप्रैल में शाइस्ता के साथ हुई थी। झारखण्ड की राजधानी रांची से करीब 130 किलोमीटर दूर सरायकेला-खरसांवा ज़िले के कदमडीहा गाँव के निवासी सोनू पर बीते 17 जून को भीड़ ने चोरी का आरोप लगाकर हमला किया था। इस दौरान पुलिस ने उसे अपनी कस्टडी में भी लिया था। पुलिस की मानें तो तबरेज पर चोरी का इल्जाम था। जिसके चलते भीड़ ने उसकी पिटाई की थी। 18 जून को पुलिस हिरासत में लिए जाने के बाद 24 जून को हिरासत में ही उसकी मौत हो गई।
पुलिस पर गंभीर इल्जाम लगे। इस मामले में अब तक 11 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। मामले में इलाके के थाना प्रभारी को सस्पेंड भी किया गया है। हालांकि सूबे के पुलिस प्रमुख ने मामले को लिंचिंग से जोड़कर ना देखे जाने की बात की है।
इस घटना की निंदा देश के हर कोने में हुई। इससे पहले तबरेज के पिता की भी साल 2012 में
भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई थी। चोरी के शक में उसके पिता मज़कूर अंसारी की जमशेदपुर में जमकर पिटाई हुई थी जिसके बाद उनकी मौत हो गई।
बारीकी से पड़ताल करने पर पता चला कि यह पुराना वीडियो है। यह वीडियो असल में जहानाबाद में बिहार के बाहुबली नेता सहाबुद्दीन के शार्प शूटर तबरेज आलम उर्फ तब्बू के जनाज़े का है।
दैनिक जागरण के मुताबिक़ तबरेज का जरायम की दुनिया में बड़ा नाम था। सितम्बर 2018 में उसकी हत्या की गई थी।
वायरल वीडियो तक पहुँचने के लिए बारीकी से खोजने पर
ETV Bharat द्वारा यूट्यूब पर अपलोड एक वीडियो प्राप्त हुआ। यह वीडियो सितम्बर साल 2018 का है।
इस वीडियो का झारखंड के तबरेज अंसारी से कोई सम्बन्ध नही है।
इस फेक न्यूज़ को सोशल मीडिया में वायरल करने वाले अशरफ़ हुसैन ने ट्विटर में दिए बायो में फेक न्यूज़ और असली पत्रकारिता के मूल्यों को किस तरह व्यक्त किया है उसे स्क्रीनशॉट में देखा जा सकता है।
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