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Fact Check
ये तस्वीरें काबुल में भारतीय दूतावास पर हमले की है.
नहीं, ये तस्वीर कई साल पुरानी हैं.
सोशल मीडिया पर दो तस्वीरों का एक कोलाज इस दावे से शेयर किया जा रहा है कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर हमला हुआ है.
हालांकि हमने अपनी जांच में पाया कि वायरल कोलाज में शामिल एक तस्वीर करीब 15 साल पहले काबुल में हुए भारतीय दूतावास पर हमले के बाद की है तो वहीं दूसरी तस्वीर करीब 8 साल पहले काबुल में मौजूद जर्मन दूतावास के पास हुए हमले की है.
वायरल कोलाज में मौजूद पहली तस्वीर में एक ध्वस्त हुए बिल्डिंग के पास खड़े होकर तीन लोग कुछ इशारा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वहीं दूसरी तस्वीर में ध्वस्त हुए एक अन्य बिल्डिंग की तस्वीर मौजूद है, जिसके पास कई सुरक्षाकर्मी और राहतकर्मी दिखाई दे रहे हैं.
इस कोलाज को X पर वायरल दावे वाले कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें लिखा हुआ है “ काबुल में भारतीय दूतावास पर कायराना हमला”.

काबुल में भारतीय दूतावास पर हालिया हमले के दावे से वायरल हो रहे कोलाज की पड़ताल में हमने सबसे पहले उस तस्वीर की पड़ताल की, जिसमें तीन लोग इशारा करते हुए दिखाई दे रहे हैं. रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें कई मीडिया आउटलेट की वेबसाइट पर साल 2009 में प्रकाशित रिपोर्ट में यह तस्वीर मिली.

इन रिपोर्टों में बताया गया था कि 8 अक्टूबर 2009 को अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में भारतीय दूतावास पर हमला हुआ था. इसमें करीब 17 लोगों की मौत हो गई थी और तालिबान ने इस हमले की जिम्मेदारी ली थी. हमले के अगले दिन भारत की तत्कालीन विदेश सचिव निरुपमा राव अफगानिस्तान की यात्रा पर गई थीं और उन्होंने विस्फोट से हुए नुकसान का जायजा भी लिया था. इस दौरान उन्होंने अफगानिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति हामिद करजई, विदेश मंत्री दादफर रांगीन स्पांता और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जलमई रसूल से भी मुलाकात की थी.

इसके अलावा हमें अपनी जांच में फोटो वेबसाइट गेटी पर मौजूद एक तस्वीर भी मिली, जो 9 अक्टूबर 2009 को खींची गई थी. तस्वीर के साथ मौजूद कैप्शन में बताया गया था कि तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव ने 9 अक्टूबर 2009 को काबुल स्थित भारतीय दूतावास पर हुए हमले का जायजा लिया था. इस हमले में 17 लोगों की मौत और 63 लोग घायल हो गए थे.

जांच में हमें इससे जुड़ी एक अन्य तस्वीर फोटो लाइब्रेरी अलामी की वेबसाइट पर भी मिली. यह तस्वीर समाचार एजेंसी एपी के फोटोग्राफर अलताफ कादरी ने 9 अक्टूबर 2009 को खींची थी. फोटो के साथ मौजूद कैप्शन में लिखा हुआ था, “अफगानिस्तान में भारत के तत्कालीन राजदूत जयंत प्रसाद तत्कालीन भारतीय विदेश सचिव निरुपमा राव के दौरे पर उनकी मदद करते हुए”.

इसके बाद हमने अपनी जांच में दूसरे तस्वीर की पड़ताल की तो हमें रिवर्स इमेज सर्च में समाचार वेबसाइट ABC की वेबसाइट पर 31 मई 2017 को प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में यह तस्वीर मौजूद थी.

रिपोर्ट में बताया गया था कि अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में जर्मन दूतावास के पास मौजूद एक सीवेज टैंकर में रखे बम से धमाका हुआ था. जिसमें करीब 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी.
जांच में हमें इससे जुड़ी एक रिपोर्ट रायटर्स की वेबसाइट पर भी 31 मई 2017 को प्रकाशित भी मिली. इस रिपोर्ट में वायरल तस्वीर से जुड़ी कई अन्य तस्वीर भी मौजूद थी.

रायटर्स की रिपोर्ट में बताया गया था कि राजधानी काबुल में मौजूद अलग-अलग दूतावासों वाले इलाके में 31 मई 2017 को एक सीवेज टैंकर में छिपे एक शक्तिशाली बम में विस्फोट हुआ था. जिसमें करीब 80 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी और 400 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. यह विस्फोट इतना भयंकर था कि जर्मन दूतावास परिसर के नजदीक विस्फोट वाली जगह पर एक विशाल गड्ढा हो गया था और सड़क किनारे खड़ी एक इमारत का अगला हिस्सा पूरी तरह से उड़ गया था. वहीं सैकड़ों मीटर दूर तक घरों की खिड़कियां चकनाचूर हो गईं तथा दरवाजे टूट कर गिर गए थे.
हमने अपनी जांच में यह भी पता करने की कोशिश की कि क्या हाल में अफगानिस्तान में मौजूद भारतीय दूतावास पर कोई हमला भी हुआ है तो हमें इससे जुड़ी कोई विश्वसनीय रिपोर्ट नहीं मिली.
हमारी जांच में मिले साक्ष्यों से यह स्पष्ट है कि काबुल में भारतीय दूतावास पर हालिया हमले के दावे से वायरल हो रहे कोलाज में मौजूद एक तस्वीर करीब 15 साल पुरानी है तो दूसरी तस्वीर करीब 8 साल पुरानी है.
Our Sources
Article Published by Bangalore Mirror on 10th Oct 2009
Photo available on Getty Images
Photo available on Alamy
Article Published by ABC News on 31st May 2017
Article Published by Reuters on 31st May 2017
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